SC के फैसले को लेकर जानिए क्या है राय, किसी ने सराहा तो किसी ने जताई पुर्नविचार की जरूरत
मुस्लिम धर्मगुरु बोले, नमाज और मस्जिद का चोली-दामन का साथ
आगरा, (जासं): अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद मुकदमे के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसले ने फिर बहस छेड़ दी है। सुप्रीम कोर्ट ने नमाज के लिए मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा न मानने वाले इस्माइल फारूकी मामले वाले फैसले के अंश को पुनर्विचार के लिए सात जजों की पीठ को भेजने से मना कर दिया। इस फैसले को लेकर राजनीतिक दलों के साथ ही धर्मगुरुओं के अपने-अपने तर्क हैं।
क्या कहते हैं धर्मगुरु
सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत है। नमाज और मस्जिद का चोली-दामन का साथ है। खानेकाबा सबसे पहली मस्जिद थी। मजहबी मामलों में जिम्मेदारों को मजबूती से बात उठानी चाहिए।
खुबैब रूमी, शहर मुफ्ती।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वोपरि है। इस फैसले को सभी पक्षों को मानना चाहिए।
योगेश पुरी, महंत मन:कामेश्वर मंदिर।
क्या कहते हैं राजनीतिक दल
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी को सम्मान करना चाहिए। जो भी फैसला आया है, उसका सभी पक्ष पालन करें।
दुष्यंत शर्मा, जिलाध्यक्ष कांग्रेस।
नमाज पढऩे के लिए मस्जिद आदिकाल से जरूरी है। मजबूरी में कहीं भी नमाज पढ़ी जा सकती है। यदि मस्जिद पास में है, तो मस्जिद में ही पढऩी चाहिए।
वाजिद निसार, महानगर अध्यक्ष सपा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला काफी सूझबूझ के बाद आया होगा। इसका सभी को सम्मान करना चाहिए। हां, किसी की आस्था पर चोट ठीक नहीं है।
डॉ. भारतेंदु अरुण, जिलाध्यक्ष बसपा।
मन की पवित्रता है तो हम कहीं भी इबादत कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो भी है, उसे सबको मानना चाहिए।
श्याम भदौरिया, जिलाध्यक्ष भाजपा।