सुहाग की निशानी की चमक, चांदी के भाव में आई तेजी ने की कुछ फीकी Agra News
स्थानीय मार्केट में 45 हजार रुपये से ऊपर बिक रही है चांदी।महिलाएं परंपरा निभाने के नाम पर सिर्फ बिछुए खरीद रहीं।
आगरा, जागरण संवाददाता। करवाचौथ पर महिलाओं द्वारा किए जाने वाले सोलह शृंगार का अलग ही महत्व है। इन सोलह शृंगारों में सुहाग का प्रतीक बिछुए और पायल भी शामिल है। इस साल चांदी की कीमतों ने सुहाग की इन निशानियों की चमक थोड़ी कम कर दी है।
करवाचौथ पर बिछुए बदलने की है परंपरा
परंपरा है कि हर करवाचौथ पर महिलाएं अपने बिछुए बदलती हैं। बिछुए सुहाग की निशानी है। विवाहित स्त्रियां जहां दो बिछुए पहनती हैं, वहीं कुंवारी लड़कियां तीसरी उंगली में बिछुए पहन लेती हैं। आमतौर पर चांदी के बिछुए ही पहने जाते हैं। कुछ महिलाएं सोने की बिछुए भी पहनती हैं। महंगाई के चलते गरीब महिलाएं गिलट की पायल और बिछुए से भी काम चला लेतीं हैं।
चांदी की कीमतों ने रोकी खरीदारी
गुरुवार को चांदी की कीमत 49,563 रुपये प्रति किलो थी। करवा चौथ पर महिलाएं बिछुए का सेट यानि चार बिछुए और पायल जरूर लेती हैं। लेकिन इस साल चांदी की कीमतों ने महिलाओं के पर्स पर एक्सट्रा वजन डाल दिया है। जो बिछुए का सेट अब तक 200 से 250 रुपये में आ जाते थे, वही सेट अब 400 से कम में नहीं मिल रहे हैं। यही हाल पायलों का भी है। 1000 रुपये में आने वाली पायल की कीमत 2000 रुपये से कम नहीं है। दोगुने हुई कीमतों ने महिलाओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
पायल नहीं खरीद रहीं महिलाएं
कीमतें ज्यादा होने के कारण महिलाएं परंपरा निभाने के लिए सिर्फ एक जोड़ी बिछुआ ही खरीद रही हैं। दो हजार रुपये की पायल की बजाय वे अपनी पुरानी पायल को ही साफ करा रही हैं। चांदी विक्रेता दिनेश बंसल बताते हैं कि चांदी इस बार महंगी है। ऐसे में महिलाएं पहले की तरह खरीदारी नहीं कर रही हैं। बिछुए तो खरीद रही हैं लेकिन वजन में काफी हल्के हैं।