Preterm Delivery: रिसर्च में आया सामने, आगरा में क्यों समय से पहले गूंज रही किलकारी
Preterm Delivery आंबेडकर विवि का रसायन विज्ञान विभाग एसएन मेडिकल कालेज के सहयोग से कर रहा शोध।
आगरा, प्रभजाेज कौर। ताजनगरी की हवा और पानी अब गर्भवती सि्त्रयों के लिए मुफीद नहीं रही। हवा और पानी में घुला प्रदूषण प्री टर्म डिलीवरी( समय से पहले डिलीवरी) का कारण बन रहा है।डा. भीमराव आंबेडकर विवि के रसायन विज्ञान विभाग द्वारा एसएन मेडिकल कालेज के सहयोग से किए जा रहे इस शोध में कई चौंकाने वाले तथ्य निकल कर सामने आए हैं।
विभाग के अध्यक्ष प्रो. अजय तनेजा के मार्गदर्शन में डा. मधु आनंद, प्रियंका अग्रवाल और लक्ष्मी सिंह शोध कार्य कर रही हैं। प्री टर्म डिलीवरी में पेस्टीसाइड(कीटनाशक), पोलिसाइक्लिक एयरोमेटिक हाइड्रोकार्बन्स और मेटल्स (कॉपर, जिंक, निकिल, कैडमियम, आर्सेनिक, लैड आदि) के असर को देखा रहा है। इस शोध में एसएन मेडिकल कालेज के प्रसूति विभाग के सहयोग से पिछले एक साल में 200 प्लेसेंटा(वह अंग है जिसके द्वारा गर्भाशय में स्थित भ्रूण के शरीर में माता के रक्त का पोषण पहुंचता रहता है और जिससे भ्रूण की वृद्धि होती है) एकत्र किए गए हैं।इनमें से 110 प्लेसेंटा में प्री टर्म डिलीवरी के थे और 90 फुल टाइम डिलीवरी के थे। विगत जून में इसी शोध का हिस्सा पेस्टीसाइड का गर्भवती सि्त्रयों पर शोध पत्र एंवायरमेंटल रिसर्च में छपा है।
आगरा का लघु उद्योग दे रहा बीमारी
शोध में पाया गया है कि प्रदूषण तत्वों में शामिल मेटल्स सबसे ज्यादा शहर के लघु उद्योगों से फैल रहा है।उद्योगों में चलने वाली मशीनों में इ स्तेमाल होने वाले अॉयल और उनसे हवा और पानी में फैलने वाले कॉपर, जिंक, निकिल, कैडमियम, आर्सेनिक, लैड का असर गर्भवती सि्त्रयों पर पड़ रहा है।
मॉर्डन लाइफस्टाइल है कारण
शोधकर्ता डा. मधु आनंद बताती हैं कि पिछले कुछ सालों में शहर में तेजी से चार पहिया वाहनों की संख्या में इजाफा हुआ है। साथ ही मॉर्डन घरों में अब चिमनी भी लगने लगी है। इन दोनों के कारण हवा में पोलिसाइक्लिक एयरोमेटिक हाइड्रोकार्बन्स फैल रहा है। देहातों में इसके फैलने का सबसे बड़ा कारण चूल्हा है।शोध में प्री टर्म डिलीवरी प्लेसेंटा में यह तत्व पाया गया है। हालांकि इसकी मात्रा कम है लेकिन यह काफी जहरीला है।
सबि्जयां भी नहीं है सुरक्षित
सब्जियों में कीट से बचाव के लिए इस्तेमाल होने वाला पेस्टीसाइड( डीडीटी, अॉर्गेनोक्लोरीन) भी कम हानिकारक नहीं है।शोध में अल्फा एचसीएच पांच गुना ज्यादा, पैरा-पैरा डीडीई दो गुना ज्यादा, गामा एक्सईएच ढाई गुना ज्यादा पाया गया है। जबकि इनकी शरीर में मात्रा शून्य होनी चाहिए।प्री टर्म डिलीवरी के मामले में महिलाओं में बेंजो ए पायरीन (नोन कार्सनोजन) चार गुना ज्यादा पाया गया है। उन्होंने बताया कि यह कैंसर का कारक है। यह समय से पहले पैदा हुए बच्चों में कैंसर का कारण बन सकता है। शोध में पाया गया है कि बीएचसी(बेन्जीन हेक्सा क्लोराइड) अगर एक पीपीबी यूनिट बढ़ता है तो बच्चे का वजन 2.6 ग्राम कम होता है।वहीं अल्फा एचसीएच अगर एक पीपीबी यूनिट बढ़ता है तो बच्चे के वजन पर 5.81 ग्राम की कमी आती है।
महिलाओं के शरीर में रहता है हार्मोन बनकर
यह प्रदूषण तत्व महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन के रूप में ही काम करने लगते हैं। यह फैटी टिश्यू में सालों छिपकर रहते हैं।गर्भाधारण के समय प्लेसेंटा बैरियर को पार कर यह भ्रूण तक पहुंच जाते हैं।
हमारी यह शोध पिछले डेढ़ साल से चल रही है।शोध में समय लग रहा है क्योंकि प्लेसेंटा लेना आसान नहीं होता है। अब हम वायु प्रदूषण पर शोध शुरू कर रहे हैं।
- डा. मधु आनंद, एंवायरमेंटल साइंटिस्ट