UP Board Exam: अजब है व्यवस्था, बच्चों ने नहीं देखी लैब की सूरत और सिर पर आ गई मुख्य परीक्षा Agra News
तमाम स्कूलों में नहीं हैं स्तरीय लैब और संसाधन। कई बच्चों ने अब तक नहीं देखी लैब की शक्ल 15 दिसंबर से प्रैक्टिकल।
आगरा, जागरण संवाददाता। यूपी बोर्ड परीक्षा से पहले होने वाली प्रयोगात्मक परीक्षा के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है। कारण स्कूलों में संसाधनों का अभाव है। ऐसे में 15 दिसबंर से शुरू हो रही इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षाएं खानापूर्ति से ज्यादा कुछ नहीं होंगी।
माध्यमिक शिक्षा सचिव नीना श्रीवास्तव ने यूपी बोर्ड परीक्षा 2020 इंटर की प्रयोगात्मक परीक्षा कराने के लिए तारीख का ऐलान कर दिया है। आगरा में 15 से 29 दिसंबर के बीच प्रैक्टिकल कराए जाने हैं, लेकिन रसायन व भौतिक विज्ञान की इन प्रयोगात्मक परीक्षाओं की तैयारी कितनी गंभीरता से कराई जा रही है, इन हालातों को देखकर समझा जा सकता है। यह तो बानगी भर है, यूपी बोर्ड के लगभग सभी स्कूलों में यही हाल है। वहीं निजी स्कूलों की स्थिति और भी ज्यादा खराब है और तमाम स्कूलों में लैब के नाम पर कुछ भी नहीं, जहां बच्चे प्रैक्टिकल कर सकें।
केस वन
साकेत कॉलोनी में साकेत इंटर कॉलेज। प्रधानाचार्य को लेकर विवाद है, कार्यालय में दो-दो ताले लगे हैं। स्कूल के सभी दस्तावेज, लैब की चाबियां आदि कार्यालय में रखे होने के कारण गत तीन सिंतबर से एक भी प्रैक्टिकल नहीं हो सका है। ऐसे में बोर्ड प्रैक्टिकल कैसे होंगे, छात्रों के सामने यही दिक्कत है।
केस टू
शाहगंज स्थित राजकीय इंटर कॉलेज, यहां चार सेक्शन की जिम्मेदारी एक शिक्षक पर है। दूसरे शिक्षक का दूसरे स्कूल में तबादला होने से प्रैक्टिकल व्यवस्था प्रभावित है। थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल दोनों अकेले संभालना संभव नहीं। सॉल्ट आदि की दिक्कत अलग है।
केस थ्री
हॉस्पिटल रोड स्थित सेंट जोंस इंटर कॉलेज, यहां सीमित संसाधनों में बच्चों को साइंस के प्रैक्टिकल कराए जा रहे हैं। लैब में सॉल्ट और उपकरणों की समस्या यहां भी है। प्रैक्टिकल भी नियमित नहीं होते हैैं अब छात्रों को प्रयोगात्मक परीक्षा में समस्या आएगी।
कुछ ही स्कूल बचा रहे लाज
ऐसा नहीं कि जिले के सारे स्कूल ही खराब है, कुछ ने व्यक्तिगत प्रयास कर हालातों को संभाला और वहां स्तरीय प्रयोगात्मक परीक्षण कराए जाते हैं, यही कारण है कि वहां के छात्रों का रिजल्ट भी बेहतर होता है।
यह है नियम
एमडी जैन इंटर कॉलेज के शिक्षक प्रशांत पाठक ने बताया कि रसायन विज्ञान के प्रैक्टिकल में अम्लीय मूलक ज्ञात करने होते हैं, जिनमें कार्बोनेट, सल्फाइड, क्लोराइड, नाइट्रेट, सल्फेट व फास्फेट का परीक्षण किया जाता है। कम से कम सात अम्लीय मूलक और कम से कम पांच भास्मिक मूलक का परीक्षण होता है, जिनमें अमोनियम, लैड, एल्युमिनियम, आयरन प्रमुख हैं। कार्बनिक रसायन में ग्लूकोज, सुक्रोज या चीनी, एथिल अल्कोहल, फॉर्म एल्डिहाइड और फिनोल समेत पांच परीक्षण होते है। अंत में टाईट्रेशन में दिए गए घोल की रसायन और सांद्रता ज्ञात की जाती है। इस तरह से कम से कम 20 प्रैक्टिकल रसायन विज्ञान में होते हैं। वहीं भौतिक विज्ञान में भी 15 से 20 प्रैक्टिकल है, जिनमें तकरीबन 10 प्रैक्टिकल इलेक्ट्रॉनिक्स के होते हैं। इनमें ओम के नियम का सत्यापन, प्रतिरोध के श्रेणी एवं समांतर क्रम में जोडऩे पर संयुक्त प्रतिरोध ज्ञात करना, मीटर ब्रिज की सहायता से दिए गए तार का प्रतिरोध और प्रतिरोधकता ज्ञात करना, व्हीटस्टोन ब्रिज के सिद्धांत का सत्यापन करना आदि प्रमुख है। प्रकाश के प्रयोग में लेंस की फोकस दूरी ज्ञात करना, कांच के गुटके से प्रकाश अपवर्तन की प्रक्रिया समझाना, प्रकाश के परावर्तन नियम का सत्यापन आदि प्रमुख हैं। ठीक प्रकार से कराए तो भौतिक विज्ञान में भी कम से कम 20 प्रयोग होते हैं।