राम मंदिर की एक इंच जमीन नहीं छोड़ेंगे: डॉ. प्रवीण तोगड़िया
डॉ. तोगड़िया ने कहा कि अगर कोई रामजन्म भूमि को हासिल करने की जिद पर अड़ेगा, तो हम उसे मिट्टी में मिला देंगे।
आगरा (जागरण संवाददाता)। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगड़िया ने कहा है कि झगड़ा राम मंदिर का नहीं, जन्मभूमि का है। हम एक इंच भूमि छोड़ने वाले नहीं हैं। कोर्ट से 25 वर्ष में भी मामला निपटने वाला नहीं है, इसलिए सरकार को चाहिए कि वह संसद में कानून बनाकर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करे।
सोमवार को सूरसदन में अखंड भारत संकल्प दिवस और विहिप के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने याद दिलाया कि मंदिर के लिए ही भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्र निकाली थी। अगर कोई रामजन्म भूमि को हासिल करने की जिद पर अड़ेगा, तो हम उसे मिट्टी में मिला देंगे। अयोध्या में मस्जिद के नाम पर नई ईंट नहीं रखने दी जाएगी। हम भीख नहीं, अपने पुरखों का अधिकार मांग रहे हैं।
समाज विशेष से वार्ता की वकालत करने वालों को ये पता होना चाहिए कि इसके लिए दोनों पक्ष तैयार होने चाहिए, जबकि मंदिर से बैर रखने वाले तैयार नहीं है। डॉ. तोगड़िया ने कहा कि हमें मंदिर के साथ ही ऐसा भारत चाहिए, जिसमें लोग भूखें न सोएं और बेरोजगारी न हो।
उन्होंने कहा कि जिस तरह हमें बच्चों के मरने, रेल दुर्घटना की वेदना होती है, उसी तरह किसानों की आत्महत्या पर भी दुख होना चाहिए। 20 वर्ष में 3.10 लाख किसानों ने आत्महत्या की है। डॉ. तोगड़िया ने बताया कि 22 करोड़ लोग डायबिटीज और 13 करोड़ ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं। हमें रोग मुक्त भारत के लिए भी संघर्ष करना है। तभी प्रतिवर्ष 14 लाख करोड़ रुपये बीमारी पर खर्च होने वाले शिक्षा के लिए बचाए जा सकते हैं।
दो बच्चों से ज्यादा वालों की सुविधाएं कर दें समाप्त: डॉ. तोगड़िया ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए दो बच्चों से अधिक वालों को सरकारी सुविधाएं समाप्त की जानी चाहिए। उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार भी नहीं हो।
केंद्र सरकार पर निशाना साधा: उन्होंने इशारों ही इशारों में केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि रामराज्य में तो राम का मंदिर भी आता है। उन्होंने कहा कि राम झोपड़ी में रहेंगे, तो करोड़ों हिंदुओं को घर कैसे देगी सरकार। 10 करोड़ युवाओं को रोजगार कैसे देगी। भारत में राम को सम्मान नहीं दे पाए, तो 100 करोड़ हिंदुओं को भी सम्मान नहीं मिलेगा।
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चपरासी के लिए एमबीए, इंजीनियर: शिक्षा के स्तर पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि 10 करोड़ युवा बेरोजगार हैं। चपरासी की नौकरी के लिए एमबीए, इंजीनियर कतार लगाते हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 1975 में एमबीबीएस की वे 25 रुपये वर्ष फीस भरते थे। आज एक करोड़ रुपये वार्षिक आय वाले ही बच्चों को डॉक्टर बना सकते हैं।
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