Positive India: आइजी बोले, लॉकडाउन ने बहुत सिखाया, जिंदगी भर काम आएगी सीख
आगरा के वरिष्ठ अधिकारियों ने लॉकडाउन के दौरान के अपने अनुभव किए कलमबद्ध।
आगरा, जागरण संवाददाता। 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद लॉकडाउन पार्ट 2 शुरु हो चुका है। 21 दिनों की कोरोना वायरस से जंग को पूरी शिद्दत से लड़ने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस अनुभव को बहुत विशेष मानते हैं। 21 दिनों के इस संघर्ष को आइजी ए सतीश गणेश ने अपनी कलम से कुछ यूं साझा किया..
आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इस मुहावरे का अलग-अलग संदर्भों में आदिकाल से प्रयोग चलता आ रहा है। ऐसा पहली बार है कि पूरा देश इस मुहावरे को एक भाव से, एक ही संदर्भ में मिलकर चरितार्थ कर रहा है। हर नए आविष्कार और खोज के पीछे मुख्य आधार यही है। कोरोना विषाणु के संक्रमण से बचने के लिए जब प्रधानमंत्री जी ने जनता कफ्यरू और लॉकडाउन का आह्वान किया तो समय की यही आवश्यकता थी। जब यह लड़ाई शुरू हुई तो पुलिस को इस तरह की महामारी से निपटने का कोई पूर्व अनुभव नहीं था। लॉकडाउन का शुरुआती दौर पुलिस के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रहा। दूध, राशन और दवा के लिए जरूरतमंद कम निकल रहे थे, इसलिए बहानेबाजों को रोकने में पुलिस की ऊर्जा अधिक लगी। लॉकडाउन घोषणा के साथ ही मर्म समङो बिना दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान से अचानक निकले प्रवासी चुनौती बने। इनका रास्ता आगरा होकर ही जाता था। इन्हें राहत और उपचार देना पुलिस की ड्यूटी बनी। निजामुद्दीन (दिल्ली) मरकज से निकले तब्लीगी जमात के लोग बड़े चुनौती बने। वैज्ञानिक तरीके से कांटेक्ट ट्रैसिंग की गई। कंटेनमेंट जोन बनाकर कोरोना को फैलने से रोका गया।
21 दिन के लॉकडाउन में पुलिस की तरफ से कुछ कमियां भी रहीं। क्वांरटाइन सेंटर में संदिग्धों को एक साथ रखने की चूक शुरुआत में हुई। कुछ लोगों के साथ अतिरिक्त सख्ती भी हुई। अब 19 दिन के लॉकडाउन में हमें अपनी इन कमियों को दूर करना है। अंदर के इलाकों में अभी लोग जान हथेली पर रखकर इसका उल्लंघन कर रहे हैं। ध्यान रहे, 19 दिन का लॉकडाउन बढ़ाने की नौबत ऐसी ही नादानियों की वजह से आई है। अब भी न माने तो अतिरिक्त लॉकडाउन को फिर निमंत्रण देंगे। अब दूसरों की जान को खतरे में डालने वालों के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाएगी। हम पूरी तरह से तैयार हैं, आपका साथ चाहिए, जीत हमारी होगी।