आचमन योग्य बनेगा जल स्वरूपा राधारानी का जल, जानिए कैसे
ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने कुंडों के पानी को साफ कराने की योजना पर शुरू किया अमल। गुरुग्राम से पहुंची टीम ने लिए राधा कुंड से लिए नमूने।
आगरा, जेएनएन। गोवर्धन परिक्रमा के धार्मिक कुंडों के जल को निर्मल बनाने की कवायद शुरू हो गई है। गुरुग्राम से आई टीम ने इसके लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। बुधवार को सात कोस परिक्रमा मार्ग के राधाकुंड और कृष्ण कुंड के जल को शुद्ध बनाने को टीम राधाकुंड पहुंची।
कुंड के जल में बैक्टीरिया कम पाए जाने पर बैक्टीरिया को बढ़ाने और जल को आचमन योग्य बनाने के लिए दोनों कुंडों में न्यूलगी बैक्टीरिया डालकर जल को साफ करने का प्रयास किया जा रहा है। ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने धार्मिक महत्व से जुड़े कुंडों के जल को शुद्ध करने की पहल राधाकुंड और श्याम कुंड से कर दी है। करीब तीन एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल में फैले राधा कुंड और कृष्ण कुंड के जल को शुद्ध बनाने के लिए बैक्टीरिया का सहयोग लिया जा रहा है। ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने गुरुग्राम की कंपनी को यह जिम्मेदारी सौंपी है। बुधवार को गुरुग्राम की टीम न्यूलगी बैक्टीरिया डाल कर जल को शुद्ध बनाने में जुट गई है। जेएस वाटर एनर्जी लाइफ प्राइवेट लिमिटेड कंपनी गुरुग्राम के मैनेङ्क्षजग डायरेक्टर सुनील नंदा, असिस्टेंट मैनेजर चंदन ङ्क्षसह, असिस्टेंट मैनेजर चेस्टा के साथ टीम ने कुंडों के जल का सैम्पल लेकर जांच की तो माइक्रोन्यूट्रॉनस कम पाए गए हैं। मैनेङ्क्षजग डायरेक्टर सुनील नंदा ने बताया कि राधाकुंड के जल में टीडीएस 775.61 एमएल तथा कृष्ण कुंड में 775.08 एमएल पाया गया है। जबकि 1000 मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए। राधाकुंड में डीओ 6.96 व कृष्ण कुंड में 6.96 पाया गया, जबकि 5 मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए। बीडीओ राधाकुंड में 15.03 और कृष्ण कुंड में 15.02 पाया गया, जबकि यह 5 मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए। असिस्टेंट मैनेजर चंदन ङ्क्षसह ने बताया कि राधाकुंड, कृष्ण कुंड के जल में न्यूलगी बैक्टीरिया डाला जा रहा है। पहले महीने में तीन से चार बार डाला जाएगा, जैसे-जैसे जल शुद्ध होता जाएगा तो न्यूलगी बैक्टीरिया डालना कम कर दिया जाएगा।