विकास की रफ्तार कर रही बीमार, जानिए निर्माण कार्य दे रहे क्या नई साैगात
निर्माण कार्य के लिए नियमों का नहीं हो रहा पालन बढ़ रहा एक्यूआइ। सूक्ष्म कण और ओजोन से ठीक नहीं हो रही खांसी।
आगरा, जागरण संवाददाता। एसएन में पर्चे और जांच रिपोर्ट का 'पुलिंदा' लेकर पहुंचे दिलीप (24) निवासी नरीपुरा खांसी से परेशान हैं। उनकी सभी जांचें सामान्य हैं मगर, दो महीने से खांसी ठीक नहीं हो रही। वे आधा दर्जन डॉक्टर बदल चुके हैं। एसएन में 15 मिनट तक डॉक्टरों ने जांच की। पता चला कि उनके आसपास निर्माण कार्य के चलते धूल कण और प्रदूषण का स्तर अधिक है। ये खांसी के लिए ट्रिगर (सक्रिय करना) का काम कर रहा है।
जनवरी से कई बार मौसम का मिजाज बदला है। धूप के बाद बारिश का सिलसिला चलता रहा। मौसम का यह बदलाव वायरस को सक्रिय कर देता है। इससे अपर रेस्पेरेटरी डिजीज (सर्दी जुकाम, खांसी) बढ़ जाती हैं। ऐसे मौसम में अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के मरीजों की सांस फूलने लगती है। इस मौसम में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ पर्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5 सूक्ष्म कण) 125 से अधिक के स्तर पर है। यह 50 होना चाहिए। ये सूक्ष्म कण सांस लेने पर नलिकाओं तक पहुंच जाते हैं। इससे नलिकाओं में इरीटेशन होता है और सूजन होने लगती है। यही वजह है कि एक बार खांसी शुरू होने के बाद सही नहीं हो रही। कफ सीरप से कुछ राहत मिलती है। असर कम होते ही फिर से खांसी शुरू हो जाती है।
जगह-जगह निर्माण कार्य, नहीं हैं इंतजाम
आगरा-दिल्ली सिक्स लेन से लेकर शहर में जगह-जगह निर्माण कार्य हो रहा है। इस दौरान धूल कण न उड़ें, इसके लिए हरे रंग का कपड़ा डालना चाहिए। मगर, इन नियमों का पालन नहीं हो रहा। इससे एक्यूआइ बढ़ता जा रहा है, इसमें पीएम 2.5 का स्तर अधिक है।
निर्माण कार्य और ध्वस्तीकरण के लिए नियम
- निर्माण कार्य वाले स्थल पर हरे रंग का कपड़ा लगाना होगा, ताकि धूल कण न उड़ें। इसी तरह से ध्वस्तीकरण के समय भी किया जाएगा।
- निर्माण कार्य के दौरान धूल कण उडऩे पर पानी का छिड़काव करें। यह नियमित किया जाना चाहिए।
- निर्माण सामग्री को ढंक कर ले जाएं। इसे सड़क पर न डालें।
ये करें
- खांसी होने के बाद धूल कणों से बचें। मुंह पर कपड़ा रख लें, मास्क भी लगा सकते हैं।
- डॉक्टर के परामर्श से ही दवाएं और कफ सीरप लें।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
तीन महीने से मौसम लगातार बदल रहा है। पीएम 2.5 धूल कण और ओजोन का बढ़ा स्तर खांसी के लिए ट्रिगर का काम कर रहे हैं। एक बार खांसी होने के बाद सही होने में दो महीने तक लग रहे हैं।
डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह, टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट, एसएन मेडिकल कॉलेज
वायरल संक्रमण के बाद बच्चों की खांसी ठीक नहीं हो रही है। कफ सीरप देने के बाद भी एक महीने का समय लग रहा है। धूल कण बच्चों की श्वास नलिकाओं में इरीटेशन कर रहे हैं।
डॉ. नीरज यादव, बाल रोग विशेषज्ञ, एसएन मेडिकल कॉलेज
पीएम 2.5 सांस नलिकाओं में पहुंच रहे हैं, उनमें सूजन आ रही है। इससे अस्थमा और सीओपीडी के मरीज गंभीर हालत में अस्पताल में पहुंच रहे हैं।
डॉ. संजीव लवानिया, चेस्ट फिजीशियन