इस विशेष अभियान से सैंकड़ापार शहरों का प्रदूषण होगा नियंत्रित, ये है स्वच्छ हवा को मुहिम
पीएम-2.5 के स्तर में 25 फीसद की कटौती का दिया गया लक्ष्य। पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य प्रदूषण बोर्डों के साथ किया एमओयू।
आगरा, जेएनएन। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सहित देश के 102 शहरों में अब प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों के साथ मिलकर एक विशेष अभियान चलेगा। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की मौजूदगी में नई दिल्ली गुरुवार को इन शहरों का जिम्मा संभालने वाले 18 राज्यों के प्रदूषण बोर्ड और राज्यों के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों के साथ पर्यावरण मंत्रालय ने एक समझौता (एमओयू) भी किया है। इसके तहत प्रदूषण को कम करने में तकनीकी संस्थान पूरी मदद करेंगे। संस्थानों से इसे लेकर पहले ही एक सहमति पत्र लिया गया है।
प्रदूषण से निपटने की इस मुहिम में तकनीकी संस्थानों को शामिल करने का यह कदम दिल्ली के अनुभव के बाद उठाया गया है। जहां आइआइटी दिल्ली की तकनीकी मदद के बाद सुधार की दिशा में तेजी से कदम बढ़े हैं। स्थिति यह है कि 2016 की तुलना में 2018 में दिल्ली में पीएम 2.5 के स्तर में 15 फीसद की वार्षिक कमी दर्ज हुई है। जबकि 2017 की तुलना में सात फीसद वार्षिक कमी आयी है। वायु प्रदूषण से निपटने की मुहिम में निश्चित ही सुधार की दिशा में बड़ा कदम है। बावजूद इसके खुश होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है, क्योंकि दिल्ली जैसे शहरों में पीएम 2.5 का स्तर अभी भी स्टैैंडर्ड औसत से तीन गुणा ज्यादा है। पीएम 2.5 का स्टैैंडर्ड औसत 140 माइक्रोग्राम के आसपास है। योजना के तहत 2024 तक पीएम-10 और पीएम 2.5 के स्तर में करीब 25 से 30 फीसद की कमी लाने का लक्ष्य तय किया गया है।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान (एनसीएपी) के तहत आगरा समेत 102 शहरों के बढ़ते प्रदूषण को कम करने की मुहिम शुरू की गई है। फिलहाल इन सभी शहरों ने इससे निपटने के लिए अपनी एक कार्ययोजना भी तैयार की है। इसमें से करीब 80 शहरों की कार्ययोजना को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और पर्यावरण मंत्रालय ने मंजूरी भी दे दी है। इनमें अकेले उत्तर प्रदेश के आगरा, वाराणसी, नोएडा, गाजियाबाद, कानपुर सहित कुल 15 शहर शामिल हैं, जहां आइआइटी कानपुर के साथ तकनीकी मदद के लिए करार किया गया है।
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