Pollution Alert: बदल रहा मौसम, ताजनगरी में कोरोना के साथ घातक हो सकता है प्रदूषण
Pollution Alert अभियान सावधान! सामने प्रलयंकारी प्रदूषण। कागजों से जमीन पर आएं योजनाएं तो लगे वायु प्रदूषण पर लगाम। सर्दियों में कोरोना के साथ घातक हो सकता है वायु प्रदूषण। 30 दिसंबर 1996 को बनाया गया था ताज ट्रेपेजियम जोन।
आगरा, जागरण संवाददाता। सर्दी अभी शुरू नहीं हुई है, लेकिन आगरा में वायु गुणवत्ता खराब स्थिति में पहुंच गई है। रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 228 पर पहुंच गया। कोरोना काल में सर्दी बढ़ने पर मानव स्वास्थ्य के लिए वायु प्रदूषण और घातक हो सकता है। ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) बने हुए दो दशक से अधिक बीतने के बावजूद वायु प्रदूषण पर लगाम नहीं लगना सरकारी मशीनरी की नाकामी ही है। वायु प्रदूषण पर लगाम लगानी है तो योजनाओं को कागजों से निकालकर जमीन पर साकार करना होगा।
धवल संगमरमरी ताजमहल के सौंदर्य के पीला पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने 30 दिसंबर, 1996 को स्मारक की 50 किमी की परिधि में 10400 वर्ग किमी के क्षेत्र में टीटीजेड बनाने का आदेश किया था। यहां वायु प्रदूषणकारी सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई थी। इस आदेश को हुए 23 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन आगरा में वायु गुणवत्ता आज तक सुधर नहीं पाई है। ताजमहल पर ही वायु प्रदूषण से संबंधित छह रिपोर्ट अब तक आ चुकी हैं, जिनमें वरदराजन समिति, नेशनल इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी), प्रो. मनोरंजन होता समिति, संसदीय कमेटी की रिपोर्ट नंबर 262 और नीरी-फीरोजाबाद और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), कानपुर की रिपोर्ट शामिल हैं। वायु गुणवत्ता सुधार को एयर एक्शन प्लान एक जून, 2019 को लांच करने के साथ ही लागू कर दिया गया था। समय-समय पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) भी दिशा-निर्देश जारी करता रहता है। जिम्मेदार विभागों द्वारा समय पर उचित कदम नहीं उठाए जाने से हर वर्ष सर्दियों में आगरा में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। इसका असर मानव स्वास्थ्य के साथ ही पर्यटन कारोबार पर भी पड़ता है। एनसीआर में वायु प्रदूषण बढ़ा होने की स्थिति में पर्यटक यहां आने से बचते हैं। शहरवासियों का मानना है कि जिम्मेदार विभाग और अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। नई योजनाएं बनाने के स्थान पर पुरानी रिपोर्टों में दिए सुझावों को ही लागू करा दिया जाए तो स्थिति में सुधार आ सकता है।
आगरा में जिम्मेदार विभाग और अफसर केवल कागजों पर कदम उठाते हैं, जमीन पर कोई काम नहीं होता। अफसरों के पास काम करने की इच्छा शक्ति नहीं है। उनकी रुचि केवल करोड़ों रुपयों के बड़े प्रोजेक्ट में रहती है। यमुना के किनारे पौधारोपण कर पानी रोक लिया जाए तो ग्रीन कवर बढ़ने के साथ भूगर्भ जल स्तर में भी सुधार होगा।
-रमन, सदस्य सुप्रीम कोर्ट अनुश्रवण समिति
प्रदूषण को बढ़ने से रोकने को जिम्मेदार विभागों और अफसरों की जवाबदेही तय की जाए, जिससे वो अपने काम के प्रति प्रतिबद्ध रहें। रोक के बावजूद यहां रेड व ऑरेंज कैटेगरी के उद्योग लग रहे हैं। वाहनजनित वायु प्रदूषण को रोकने को कोई कदम नहीं उठाया गया है। अफसरों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी कोई परवाह नहीं है।
-डॉ. शरद गुप्ता, पर्यावरणविद्
सरकार को कोरोना काल में इस वर्ष दीपावली पर पटाखों पर रोक लगा देनी चाहिए। निर्माण कार्यों को कुछ समय के लिए स्थगित कर देना चाहिए, जिससे कि धूल कण हवा में नहीं घुलें। आने वाला समय दमा व श्वास रोगियों के लिए संकट भरा हो सकता है। इसलिए या तो वो घर में ही रहें या फिर मास्क लगाकर घर से बाहर जाएं।
-डॉ. केपी सिंह, पर्यावरणविद्
विदेशी पर्यटक स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग रहते हैं। वायु प्रदूषण बढ़ा होने की स्थिति में वो यात्रा करने से बचते हैं। धीरे-धीरे भारतीय भी इसे लेकर जागरूक होने लगे हैं। सरकार को चाहिए कि वो वायु प्रदूषण की मात्रा को बढ़ने से रोकने को समय रहते प्रभावी कदम उठाए, जिससे कि स्थिति पिछले वर्ष की तरह नहीं हो।
-सुनील गुप्ता, चेयरमैन नोर्दर्न रीजन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स