अब खून देकर भी दिल जीत रही खाकी, ये है वर्दी का मानवीय चेहरा Agra News
वाट्सएप पर पुलिस मित्र रक्तदान संघ बनाकर लोगों की जान बचा रहे खाकी वाले। इंस्पेक्टर रकाबगंज समेत तीन पुलिसकर्मियों ने खून देकर बचाया बवाल में घायल युवक।
आगरा, यशपाल चौहान। ये खाकी का मानवीय चेहरा है। ऐसा चेहरा जो न तो आसानी से देखने को मिलता है और न ही लोग भरोसा करते हैं। बवाल और हादसों में घायल होने पर जब पीड़ित को कोई अपना नजर नहीं आता तो यह मानवीय चेहरा ही उसे अपनेपन का अहसास कराता है। अपरिचितों को खून देकर ये उनकी जान बचाते हैं। खाकी वालों का यह अंदाज लोगों का दिल जीत रहा है।
एक नवंबर को रकाबगंज क्षेत्र के रविदास नगर में दो पक्ष शराब के नशे में भिड़ गए। मारपीट और पथराव में युवक देव सोनी गंभीर रूप से घायल हो गया। दिल्ली गेट स्थित निजी अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया। चाकू के वार से घायल होने के कारण उसका काफी खून बह गया। डॉक्टरों ने ऑपरेशन से पहले तत्काल खून की जरूरत बताई। परिवार वाले फरार थे। पुलिस तीमारदारी कर रही थी। ऐसे में इंस्पेक्टर रकाबगंज विकास तोमर ने बिना कुछ सोचे उसको एक यूनिट खून दे दिया। फिर जरूरत पड़ी तो चौकी प्रभारी फोर्ट राहुल कुमार और एसआइ जितेंद्र कुमार ने भी उसे खून दिया। इसके बाद ऑपरेशन हुआ और उसकी जान बच गई। देव सोनी अब सकुशल अपने घर में है। उसने जागरण को बताया कि पुलिस ने नई जिंदगी दी है। पुलिस वालों की तारीफ के लिए शब्द नहीं। इसी तरह मीडिया सेल में तैनात सब इंस्पेक्टर बहादुर सिंह ने भी पिछले दिनों हादसे में घायल एक युवक को खून देकर उनकी जान बचाई थी।
मैं जहां-जहां तैनात रहा, जरूरत पड़ने पर रक्तदान करता रहा हूं। मथुरा में तैनाती के दौरान पिछले वर्ष हाईवे पर हादसे में एक युवक घायल हो गया था। मैं घर जा रहा था। उसकी हालत देखकर अस्पताल साथ चला गया। डॉक्टरों के कहने पर मैंने उसकी जान बचाने को खून दिया। हमारा खून दूसरों के काम आ जाए, इससे दिल को अच्छा लगता है।
विकास तोमर, इंस्पेक्टर रकाबगंज
बिजनौर में तैनाती के दौरान एक बच्चे के हादसे में घायल होने पर उसे अस्पताल ले गया था। वहां डॉक्टरों ने खून लाने को कहा। परिवार वाले नहीं थे। ऐसे में मैंने खुद ही रक्तदान कर दिया। जब उसकी जान बच गई तो बहुत अच्छा लगा। इसके बाद जब भी मौका मिला तो रक्तदान किया। आगरा आने पर वाट्सएप ग्रुप बना लिया।
सुंदर सिंह, कांस्टेबल ताज सुरक्षा
थाने से सूचना मिली थी कि हादसे में एक व्यक्ति घायल हो गया है और उसके लिए खून की जरूरत है। अंदर से इच्छा हुई कि उसे खून देना चाहिए। इसके बाद वहां बिना किसी को बताए पहुंच गए और रक्तदान किया।
बहादुर सिंह, सब इंस्पेक्टर
दो सौ को खून दे चुका पुलिस मित्र रक्तदान संघ
ताज सुरक्षा में तैनात सिपाही सुंदर सिंह ने वर्ष 2017 में रक्तदान को वाट्सएप पर एक ग्रुप बना लिया। पहले वे खुद रक्तदान करते थे। धीरे-धीरे उन्होंने ग्रुप से 70-80 लोगों को जोड़ दिया। पुलिस मित्र रक्तदान संघ के नाम से बनाए गए वाट्सएप ग्रुप के सदस्य अब तक करीब दो सौ लोगों को रक्तदान कर जान बचा चुके हैं। इसमें अब पुलिसकर्मियों के साथ-साथ समाज के अन्य लोग भी जुड़ चुके हैं। रक्तदान करने वाले इन खाकी वालों से प्रेरित होकर अन्य भी ग्रुप से जुड़ रहे हैं।
दूसरे प्रदेशों में भी फैला ग्रुप का नेटवर्क
पुलिस मित्र रक्तदान संघ से उप्र के साथ-साथ दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश के पुलिसकर्मी और आम लोग भी जुड़े हैं। जरूरत पड़ने पर वे वहां रक्तदान कर देते हैं। उनके परिचित आगरा या उप्र के किसी जिले में भर्ती होते हैं तो यहां के पुलिसकर्मी रक्तदान करते हैं।