किराए के खाते और ठगी की रकम, जानिए कैसे अपराध को अंजाम देते थे साइबर क्रिमिनल
20 खाते कराए फ्रीज अभी और खातों के शामिल होने की आशंका। फाइनेंसियल डाटा लीक करने वाले बिचौलियों की जांच कर रही पुलिस।
आगरा, जागरण संवाददाता। सैकड़ों खातों से करोड़ों की रकम पार करने वाले शातिरों ने ठगी की रकम ठिकाने लगाने को खाते किराए पर ले रखे थे। पूछताछ में बीस खातों की जानकारी मिलने पर पुलिस ने उन्हें सीज करा दिया। अभी अन्य खातों के बारे में जानकारी की जा रही है।
साइबर शातिरों के गिरोह उत्तर भारत के 40 हजार से अधिक लोगों का डाटा चोरी कर चुका था। धीरे-धीरे उन्हें कॉल करके खातों से रकम पार कर रहा था। साइबर सेल ने शनिवार को दिल्ली के तिलक नगर निवासी रोहित, रवि, नरेला निवासी राज प्रवीण सिंह, विक्की और शुभम को गिरफ्तार कर लिया। गिरोह के सदस्यों से पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आईं। पुलिस के मुताबिक शातिरों ने दिल्ली में रहने वाले लोगों से किराए पर खाते ले रखे थे। इनको वन टाइम पेमेंट के रूप में दस और बीस हजार रुपये दे दिए थे। उनसे बैंक की पूरी किट अपने कब्जे में कर ली थीं, जिसमें बैंक पासबुक, डेबिट कार्ड, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर की सिम समेत अन्य सामान था। शातिरों के पास लोगों का पूरा डाटा मौजूद रहता है। वे उसके आधार पर लोगों को कॉल करके जाल में फंसा लेते थे। ओटीपी पूछकर उनके खाते से रकम ई वॉलेट में ट्रांसफर करते थे। यहां से किराए पर लिए गए खातों में यह रकम ट्रांसफर कर एटीएम से निकाल ली जाती थी। 18 से 20 किराए के खातों की पुलिस को जानकारी हो गई। इसके बाद इन्हें बंद करा दिया। कई खाता धारक गुजरात और बिहार के हैं। ये दिल्ली में रहकर मजदूरी करते हैं। अब अन्य खातों के बारे में जानकारी की जा रही है।
इन बिंदुओं पर भी हो रही जांच
- उत्तर भारत के लोगों का फाइनेंसियल डाटा साइबर शातिरों के पास कहां से आया? बीपीओ से लीक हुआ या अन्य स्थानों से इसकी जानकारी की जा रही है।
- शातिरों के पास ऑनलाइन शॉ¨पग साइट्स से की गई खरीदारी का पूरा ब्योरा कहां से पहुंच रहा है?
- ठगी के खेल में प्री एक्टिवेटिड सिम का इस्तेमाल किया जा रहा था। ये सिम दिल्ली के डिस्ट्रीब्यूटर्स से शातिरों तक पहुंची थीं। इन सिमों को देने वाले कौन हैं और उन्होंने सिम कैसे दीं?
- मोबाइल सर्विस प्रदाता कंपनियों की प्री एक्टिवेटिड सिम कैसे बिकी? इसमें सर्वाधिक सिम एयरटेल की हैं।