Drug Supplier: एक्सपायर दवाओं के खरीददारों तक पहुंचने में नाकाम आगरा पुलिस
Drug Supplier आठ फरवरी को आवास विकास कालोनी सेक्टर 12 में पकड़ी थी दवाएं। पुलिस और पांच जिलों औषधि निरीक्षकों की टीम ने मारा था छापा। राजौरा बंधु की फर्म से बरामद की थीं 35 लाख रुपये की दवाएं।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा में एक्सपायरी दवाओं के खरीददारों तक पहुंचने में पुलिस करीब दो सप्ताह बाद भी नाकाम है। करीब दो सप्ताह पहले गिरफ्तार किए गए राजौरा बंधु समेत तीन आरोपितों ने एक्सपायरी दवाओं को शहर के विभिन्न अस्पताल, मेडिकल स्टोर और झोलाछापों को आपूर्ति करने की जानकारी दी थी। उनकी फर्म से पुलिस ने 35 लाख रुपये की दवाएं बरामद की थीं। आरोपितो ने जिन लोगों काे ये दवाएं बेची थीं। पुलिस ने उनके बारे में जानकारी एकत्रित करने के बाद कार्रवाई की कहा था।
ये था मामला
जगदीशपुरा की आवास विकास कालोनी के सेक्टर 12 स्थित सत्यम मार्केट में राजौरा डिस्ट्रीब्यूटर्स फर्म पर छह जिलों के औषधि निरीक्षकों और पुलिस ने छापा मारा। इनमें आगरा, बागपत, बुलंदशहर, हाथरस, फीरोजाबाद और बिजनौर के औषधि निरीक्षकों की टीम पुलिस के साथ पहुंची थी। मार्केट के पिछले हिस्से में प्रथम तल पर राजौरा डिस्ट्रीब्यूटर्स के यहां छापा मारा। फर्म ने एक दुकान में कार्यालय और दूसरे में गोदाम बना रखा था। फर्म के मालिक प्रदीप और धीरज राजौरा निवासी सेक्टर आठ थे। टीम ने बराबर वाली दुकान में बने गोदाम को खुलवाया तो उसमें दवाइयों के कार्टन मिले। इनमें दवाओं के बिल और बैच नंबर नहीं थे। पुलिस को पूछताछ करने पर पता चला था कि राजौरा बंधु एक्सपायरी दवाओं की रीपैकिंग करते थे। उस पर नई एक्सपायरी तारीख और बैच नंबर डालकर मार्केट में बेचते थे।
फल विक्रेता से दवा कारोबारी बन कमाए लाखों रुपये
सिकंदरा मंडी में पिता के साथ कुछ वर्ष पहले तक फलों का काम करने वाले प्रदीप और धीरज ने एक्सपायरी दवाओं का कारोबार करके करोड़पति बन गए। डेढ़ वर्ष के दौरान दोनों भाइयों के रहन-सहन में आए अप्रत्याशित बदलाव से कालोनी के लोग भी आश्चर्य चकित थे। आठ फरवरी को पुलिस आरोपितों के घर पहुुंची तो कालोनी के लोगों को उनकी आलीशान जिंदगी की हकीकत पता चली।
आरोपितो के पिता सिकंदरा मंडी में फलों का काम करते थे।प्रदीप बीबीए और धीरज ने बीएससी किया हुआ है।उन्होंने डेढ़ वर्ष पहले आवास विकास कालोनी के सेक्टर 12 में सत्यम प्लाजा मार्केट में प्रथम तल की दो दुकानों को किराए पर लेकर एक्सपायरी दवाओं की रीपैकिंग करके बाजार में बेचने का धंधा शुरू किया था। इससे कुछ ही समय में उन्होंने जमकर कमाई की। डेढ वर्ष के अंदर ही तीन मंजिला मकान बनवाने के साथ ही 20 लाख रुपये की लग्जरी गाड़ी खरीदी।
मार्केट वालों को भी नहीं थी एक्सपायरी दवाओं के खेल की जानकारी
पुलिस के मुताबिक सत्यम प्लाजा में 40 से ज्यादा दुकानें हैं। दोनों भाइयों द्वारा दवाओं के नाम पर किए जा रहे खेल की मार्केट के लोगों को भी भनक नहीं थी। दुकान के बराबर वाले गोदाम में लोगाें के आने-जाने पर रोक थी। वहां कर्मचारियों के अलावा बाहरी व्यक्ति नहीं जा सकता था।