गांव- गांव धधक रहीं जहरीली शराब की भट्ठियां, जानिये कैसे नशा बन जाता है जहर
गुड़ और शीरे के साथ ही सड़ी-गली सब्जियां मिलाकर बनाई जा रही शराब। नशा तीक्ष्ण करने के लिए केमिकल और यूरिया भी मिलाई जा रही।
आगरा, राजेश मिश्रा। जहरीली शराब पीने से हुई मौतों ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कोहराम मचा दिया है। ये कोई पहली बार नहीं हुआ है। आगरा और इसके आसपास के जिलों में भी मौतें होती रही हैं। शराब के आदी लोगों की जिंदगियां ही खत्म नहीं हुईं, निरंतर शराब पीने से बीमारी के कारण तमाम तो अभी भी जिंदा लाश बने हुए हैं। हर कोहराम के बाद जिम्मेदारों की आंखें खुलीं, लेकिन कमाई की भूख मिटाने में ये नजरें जल्द ही फेर ली गईं। महीनेदारी से जेबें ठूंसने की भूख और होड़ के कारण ही गांव-गांव भट्ठियां अभी भी धधक रही हैं। गुड़ और शीरे के साथ ही सड़ी-गली सब्जियां मिलाकर बनाई जा रही ऐसी शराब में नशा को तीक्ष्ण करने के लिए केमिकल और यहां तक यूरिया भी मिलाई जा रही है। इस शराब का एक जाम ऐसी लत लगा देता है जो जिंदगी खत्म करके ही दम लेता है। किसी के घर का मुखिया हमेशा के लिए बिछुड़ जाता है तो किसी के बुढ़ापे की लाठी टूट जाती है। सिलसिला खत्म होने के बजाए और तेजी से जारी है।
एटा के साथ ही आगरा मंडल का ऐसा कोई जिला नहीं है जहां पर जहरीली शराब पीकर लोगों की मौत न हुई हो। शमशाबाद में कई महीनों तक चलता रहा मौतों का सिलसिला अगर आगरा को अब तक याद है तो फीरोजाबाद भी पचोखरा के गांव अधैत और मटसेना के गांव मतावली में नशे से मचे कोहराम को भुला नहीं पाया है। मैनपुरी के कुर्रा क्षेत्र में 18 वर्ष नौ लोगों की मौत अब तक समाज के लिए सबक बना हुआ है। और, एटा के अलीगंज में वर्ष 16 में 45 लोगों की मौत ने पूरे प्रदेश को हिला दिया था। सस्ती शराब के लिए ग्रामीण अंचल में जंगल और नदी किनारे झाडिय़ों में भट्ठियां धधकती हैं। गुड़, शीरा, यूरिया, केमिकल को मिलाकर देशी फार्मूला आजमाया जाता है।
जिम्मेदारों पर कोई असर नहीं
घटिया, कच्ची शराब रोकने की जिम्मेदारी आबकारी विभाग के साथ ही इलाका पुलिस की भी है। समय-समय पर भट्ठियां तोड़ और लहन नष्ट कर अपनी-अपनी पीठ तो थपथपा ली जाती है, लेकिन चंद दिनों बाद धंधा फिर चलने लगता है। जानकार तो कहते हैं कि इलाका पुलिस से न तो कोई ठिकाना अनजान है और न ही धंधेखोर।
रंग ला रही सामाजिक चेतना
शराब समाज के लिए अभिशाप है। कुछ सामाजिक संगठन इसके विरोध में आ गए हैं। पंचायत कर समाज में शराबबंदी का बिगुल बजा दिया है। शराब बनाने और पीने पर जुर्माना लगा दिया है। कहीं-कहीं समाज का ये कानून कारगर भी साबित हो रहा है। लेकिन, इसे अभी और व्यापक बनाने की जरूरत है।
हादसे की भयावहता
आगरा
26 जून 2015 - शमसाबाद के गढ़ी खांडेरावपुरा में सरदार सिंह और छोटेलाल की मौत।
28 जून 2015- शमसाबाद के इशौली का पुरा निवासी कंचन सिंह मौत हो गई। कई अन्य की आंखों की रोशनी चली गई।
2 जुलाई 2015- खंदौली के अमर ढाबे के कर्मचारी हरिप्रसाद की मौत
3 जुलाई 2015- शमसाबाद के इशौली निवासी सुनील और इशौली का पुरा निवासी खेमचंद की मौत।
3 जुलाई 2015- खंदौली में उजरई निवासी मनोहर सिंह ने दम तोड़ा।
4 जुलाई 2015- खंदौली के अजीतगढ़ गांव के शीतगृह में पल्लेदार सुरजीत और गनेश की मौत हो गई।
5 जुलाई 2015 - खंदौली के लालगढ़ी में कन्हैया की मौत।
7 जुलाई 2015- खंदौली के प्रभात कोल्ड स्टोरेज में पल्लेदार दुर्योधन और मलपुरा के जूता कारीगर बाबूलाल की गई जान।
कार्रवाई: तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी सहित 11 कर्मी कर दिए गए थे निलंबित।
फीरोजाबाद
-वर्ष 2012 में पचोखरा के गांव अधैत में जहरीली शराब पीने से सुजान, अवधेश, दिनेश की मौत हो गई थी।
-अगले दिन ही पचोखरा निवासी सुल्तान सिंह, नरेंद्र नागर और गौरव की शराब से मौत हो गई।
-कुछ दिन बाद ही नगला दल निवासी बिजेंद्र सिंह, गालिब निवासी नाहर सिंह और पचोखरा निवासी निन्नू की मौत हो गई।
-फरवरी 2015 में मटसेना के गांव दतावली में मान सिंह और सुजान सिंह और वर्ष 2004 में नगला सिंघी थाना क्षेत्र के घुरकुआ में मोहर सिंह, जगत सिंह, महेंद्र, कालीचरन जहरीली शराब का शिकार बने।
कार्रवाई: वर्ष 2015 में हुई मौतों के बाद कई मुकदमे दर्ज किए गए। मामला शांत होने के बाद पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी।
मैनपुरी
-कुर्रा क्षेत्र के दो गांवों में 18 साल पहले जहरीली शराब पीने से नौ लोगों की जान चली गई थी। कुछ की आंखों की रोशनी चली गई।
-गांव रठेरा में भी तीन लोगों की मौत हुई। तीन लोग नेत्रहीन हो गए।
-बिछवां के गांव लहरा, कुबेरपुर, शहर कोतवाली के गांव रमईहार, नवादा, भोजपुरा, नगला गुरुबख्श, मोहनपुर, इटौरा में भी कई लोगों की जान जा चुकी है।
कार्रवाई पिछले एक वर्ष के दौरान चार माफियाओं की करोड़ों रुपये की संपतियां सीज की जा चुकी है।
एटा
इथाइल एल्कोहल में पानी मिलाया और बन गई दारू
एटा के अलीगंज क्षेत्र में शराब पीने से 16 जुलाई 2016 को 45 लोगों की जान चली गई। जांच के दौरान पता चला कि इन्होंने इथाइल एल्कोहल पीया था। जिले में दो तरीके से शराब बनाई जाती है। एक में एल्कोहल का इस्तेमाल किया जाता है और दूसरे तरीके में भट्ठियों पर शराब खींची जाती है। इथाइल एल्कोहल की तीव्रता इतनी ज्यादा होती है कि 20 लीटर इथाइल एल्कोहल में कच्ची शराब के दो हजार क्वार्टर बनाए जा सकते हैं। पुलिस जब भट्ठियों पर शिकंजा कसती है तो एल्कोहल से शराब बनाने का चलन तेज हो जाता है। क्योंकि यह काम घरों में भी बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है।
सडी-गली सब्जियां उबालीं, मिला दी यूरिया
फीरोजाबाद में भट्ठी पर गुड़ को गलाने के बाद इसमें महुए का सूखा फल, सड़ी-गली सब्जियां और फल मिलाते हैं। इन सभी को किसी प्लास्टिक के डिब्बे में तीन-चार दिन बंद रखा जाता है। इस दौरान ये तरल पदार्थ में तब्दील हो जाते हैं। इसके बाद इसे किसी दूसरे पाइप लगे डिब्बे में निकालकर तेज आंच पर इस तरह पकाया जाता है कि इसकी भाप बाहर नहीं निकल सके। पाइप के सहारे भाप आदि को किसी बोतल में एकत्रित किया जाता है। बाद में इनमें नशे की गोलियां भी मिला दी जाती हैं। कुछ लोग यूरिया मिलाकर भी शराब बनाते हैं।
यूरिया के साथ केमिकल भी मिलाते
मैनपुरी में अवैध शराब शीरे व खराब गुड़ से तैयार की जाती है। पहले गुड़ व शीरे में सड़ाया जाता है, फिर भ_ी से वाष्पीकरण कर शराब बनती है। शराब को तीव्रता देने के लिए यूरिया मिलाई जाती है। कहीं-कहीं केमिकल से भी अवैध शराब बनाई जाती है।
यहां हैं ठिकाने
फीरोजाबाद- शिकोहाबाद स्थित गिहार बस्ती, परतापुर, दिखतौली रोड शिकोहाबाद, सिरसागंज की गिहार बस्ती, नारखी, नगला थार, नगला ह्रदय, पचोखरा, हिम्मतपुर, मक्खनपुर, रामगढ़, संतोषनगर आदि।
मैनपुरी- हविलिया स्थित इंटर कॉलेज में शराब भट्ठी पकड़ी गई थी। शहर में मुहल्ला अग्रवाल, राजीव गांधी नगर, बिछिया रोड, राधारमन रोड सहित कई स्थानों पर केमिकल शराब बनाए जाते पकड़ी गई है। काली नदी व ईशन नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांवों में भट्ठियों धधकती हैं। गिहार कॉलोनियों में कई घरों में शराब बनाई जाती है।
कासगंज- गंगा किनारे कटरी इलाके में खड़े हुए बड़े-बड़े जंगल इनकी पनाहगार बने हुए हैं। नगला हीरा में तो पुलिस एवं आबकारी को छापा मारने के लिए पीएसी तक की मदद लेनी पड़ती है, लेकिन इसके बाद भी हर बार कटरी का लाभ उठा कर अवैध शराब बनाने वाले भाग खड़े होते हैं। नगरिया क्षेत्र भी अवैध कारोबार का बड़ा ठिकाना माना जाता है।
इनकी भी सुन लीजिए
अागरा में बच्चों के लिए कर रही मेहनत-मजदूरी
शराब पीने से ब्लॉक शमसाबाद के गांव इसौली पुरा में पहले कंचन और फिर उसके लड़के खेमचंद की भी मौत हो गई। खेमचंद की पत्नी सुच्जा देवी बताती हैं कि पति ओर सुसर की मौत के बाद छोटे-छोटे चार बच्चों को पालने की जिम्मेदारी आ गई। मेहनत-मजदूरी कर बेटी काजल, नंदनी, बेटे जितेंद्र, कुलदीप को पढ़ा रही हूं। सुच्जा ने अपील भी की कि कोई भी शराब का सेवन न करे।
मैनपुरी में पेट भरने को मजदूरी कर रहे बच्चे
शराब पीने से 21 मई 2018 को बिछवां के गांव सुन्नामई निवासी राजेश कुमार की मौत 32 वर्ष की उम्र में ही हो गई। एक ओर तो कर्ज वसूलने वालों ने जीना मुश्किल कर दिया तो दूसरी ओर परिवार के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया। राजेश की विधवा गीता के सामने पांच बच्चों की परवरिश की चुनौती थी। बड़े बेटे विकास 11 वर्ष व बेटी ओनी नौ वर्ष को अपने साथ खेतों में मजदूरी पर लगा लिया। जबकि तीन बेटे धर्मवीर, करु और दिवारी अभी छोटे हैं।
फीरोजाबाद में बर्बाद हो गया था परिवार
छह साल पहले शराब पीने से पचोखरा निवासी सुल्तान ङ्क्षसह की मौत हो गई थी। उनकी उनकी राजकुमारी ने बताया कि हादसे से उबरने में कई साल लगे। अब बच्चे बड़े हो गए हैं। खेती कर वे सबका जीवन यापन कर रहे हैं। अब परिवार का कोई सदस्य शराब को हाथ नहीं लगाता।
एटा में माया का सबकुछ उजड़ गया
अलीगंज में 16 जुलाई 2016 को हुए शराब कांड के शिकार हुए लोगों के परिवार अब तक नहीं उबर पाए। माया देवी ने अपना लड़का खो दिया। वे कहती हैं कि सरकार कच्ची शराब बनाने वालों के खिलाफ कभी सख्ती से पेश नहीं आती। उन्हें पकड़कर छोड़ दिया जाता है।
मैनपुरी में तो करोड़पति हो गए माफिया
गैर प्रांत से तस्करी कर लाई जाने वाली शराब के धंधेखोरी में जिले के कई माफिया लंबे अरसे से अपनी जड़ें जमाए हुए हैं। बेरोजगार व छोटा-मोटा धंधा करने वाले माफिया अब करोड़पति हो गए हैं। गैर प्रांत से शराब की तस्करी करने के साथ ही जिले में भी भट्ठियां लगाकर शराब बनाने का धंधा खूब हो रहा है।
अलीगंज क्षेत्र में शराब पीने से 16 जुलाई 2016 को 45 लोगों की जान चली गई।