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पेट के हिस्से से स्तन, जांघ से बना रहे जबड़ा, जानिए क्यों

एक बार में कैंसर मरीज का स्तन हटाने के बाद हो रहा रीकंस्ट्रक्ट। प्लास्टिक सर्जन ने अत्याधुनिक विधि से किए लाइव ऑपरेशन।

By Edited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 08:00 AM (IST)
पेट के हिस्से से स्तन, जांघ से बना रहे जबड़ा, जानिए क्यों
पेट के हिस्से से स्तन, जांघ से बना रहे जबड़ा, जानिए क्यों

आगरा, जागरण संवाददाता। कैंसर मरीजों में फ्री फ्लैप सर्जरी वरदान साबित हो रही है। प्लास्टिक सर्जन द्वारा एक ही ऑपरेशन में कैंसर ग्रसित अंग को निकालने के बाद शरीर के दूसरे अंग का हिस्सा लेकर उसे दोबारा तैयार किया जा रहा है। इससे कैंसर मरीज सामान्य लोगों की तरह जिंदगी जी रहे हैं। गुरुवार से पुरुषोत्तम दास सावित्री देवी कैंसर हॉस्पिटल, सिकंदरा में शुरू हुई तीन दिवसीय आगरा प्लास्टिक सर्जन सोसायटी की कार्यशाला में फ्री फ्लैप सर्जरी का प्रशिक्षण दिया गया। लाइव सर्जरी की गई।

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डॉ. सुशील नाहर, जोधपुर ने बताया कि फ्री फ्लैप सर्जरी में माइक्रोस्कोप और सर्जिकल लूप की मदद से शरीर के किसी भाग को निकालने के बाद दूसरी जगह खून की नसों सहित प्रत्यारोपित किया जाता है। यह जटिल सर्जरी होती है, स्तन कैंसर के मरीजों में स्तन कटा दिया जाता है। मगर, अब एक ही ऑपरेशन में पहले स्तन हटाया जाता है, इसके बाद पेट का खून की नस और नर्व को साथ लेकर स्तन दोबारा से तैयार किया जाता है। जब मरीज ऑपरेशन के बाद होश में आता है, उसके स्तन पहले की तरह से होते हैं। यह कैंसर मरीजों का आत्मविश्वास बढ़ा रहा है। डॉ. उमेश बंसल, भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल, जयपुर ने बताया कि मुंह के कैंसर में जबड़ा निकाल दिया जाता है, इससे मरीज को परेशानी होती है। फ्री फ्लैप में जांघ का हिस्सा और हड्डी लेकर जबड़ा दोबारा तैयार किया जाता है, तीन से चार महीने में जबड़ा पूरी तरह से तैयार हो जाता है और मरीज खाना खाने लगता है। कार्यशाला में प्रो. प्रदीप गोयल और सुशील नाहर ने दुर्घटना में एड़ी के नीचे का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाने पर जांघ का हिस्सा लेकर उसे री कंस्ट्रक्ट किया गया। दूसरे केस में पैर की हड्डी खराब होने पर डॉ. हरी वेंकटरमानी और डॉ. जितेंद्र नारायन ने री कंस्ट्रक्ट सर्जरी की, प्लास्टिक सर्जनों के सवालों का जवाब दिया। सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप सिंह, संयोजक डॉ. ओमकांत गुप्ता, सह संयोजक डॉ. संजीव वर्मा, कोषाध्यक्ष डॉ. आदित्य राय, प्रशिक्षण संयोजक डॉ. अनुरंजन गुप्ता, डॉ. प्रनय सिंह चकौटिया आदि मौजूद रहेंगे। सात से आठ घंटे ऑपरेशन, दिखाई नहीं देता टांके का धागा विशेषज्ञों ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी को चेहरे की खूबसूरती तक सीमित कर दिया है। प्लास्टिक सर्जन के लिए दुर्घटना में हाथ, पैर, लिंग के कट जाने पर उसे दोबारा शरीर के अन्य अंग का हिस्सा लेकर तैयार करना चुनौती भरा काम है। इस तरह के ऑपरेशन में सात से आठ घंटे लगते हैं, सिर के बाल की तरह नस होती हैं, इन्हें जोड़ने के लिए टांके लगवाने वाला धागा इतना सूक्ष्म होता है, जिसे माइक्रोस्कोप से ही देख सकते हैं। इस तरह की ऑपरेशन में दो से पांच लाख रुपये तक का खर्चा आता है।


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