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Pitra Paksha 2020: जानिए वो 10 चीजें जिनके दान करने से पितृ होते हैं तृप्त, देते हैं वरदान

Pitra Paksha 2020 श्राद्ध पक्ष में अन्न के अलावा 10 वस्तुआें के दान से खुश होते हैं पितृ। गौ स्वर्ण दान के समान ही महत्व रखती हैं ये वस्तुएं महत्व।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 02:07 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 02:07 PM (IST)
Pitra Paksha 2020: जानिए वो 10 चीजें जिनके दान करने से पितृ होते हैं तृप्त, देते हैं वरदान
Pitra Paksha 2020: जानिए वो 10 चीजें जिनके दान करने से पितृ होते हैं तृप्त, देते हैं वरदान

आगरा, जागरण संवाददाता। संसार के सभी धर्मों में सहयोग की अनूठी परंपरा है। पुण्य का यह क्रम गहरी आस्था उत्पन्न करता हे। परमार्थ का यह स्वरूप अनोखी शांति प्रदान करता है। यह लौकिक जीवन के परालौकिक विनिमय का चक्र है, जिसमें व्यक्ति को इस बात का विश्वास रहता है है कि जो मैंने दिया है उसका प्रतिफल कहीं न कहीं उसे प्राप्त होगा ही। श्राद्ध पक्ष में पितरों की उसी कृपा को प्राप्त करने के लिए लोग दान कर्म करते हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार श्राद्ध पक्ष में दिए गए दान से कालसर्प दोष और पितृ दोष भी समाप्त होता है। प्राचीनकाल में तो कई तरह के दान किए जाते थे जैसे गौ-दान, भूमिदान, स्वर्ण दान और चांदी दान परंतु इस कलिकाल में ये तो संभंव नहीं है। श्राद्ध पक्ष में अन्न दान तो करते ही हैं परंतु इसके अलाव भी ये 10 प्रमुख दान हैं। 

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जूते-चप्पल का दान

पूर्वजों के निमित्त और उनकी आत्मा शांति हेतु जूते या चप्पलों का दन करने से पितरो प्रसन्न होते हैं। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से घर में सुख-शांति और खुशहाली आती है। शनि और राहु दोष भी समाप्त हो जाता है।

वस्त्र दान

जिसे भी भोजन कराया जा रहा है उसे जूते चप्पल के अलावा वस्त्रों का दान भी करना चाहिए। वस्त्र दान में धोती, टोपी या उत्तरीय (गमछा) दिया जाता है। कहते हैं कि पितर अपने वंशजों से वस्त्र की भी कामना आदि करते हैं।

छाता दान 

श्राद्ध-कर्म में और मनुष्य की मृत्यु के बाद एकादशाह श्राद्ध (ग्यारहवें दिन) और शय्यादान में छाता और जूता दान करने की प्रथा है। मान्यता है कि यममार्ग में पितरों की छाते से ग्रीष्म के ताप और वर्षा से रक्षा होती है। यह भी कहा जाता है कि इससे पितरों की छत्र छाया बनी रहती है।

काला तिल दान 

काले तिलों का दान करने से से व्यक्ति को ग्रह और नक्षत्र बाधा से मुक्ति तो मिलती है ही साथ ही यह दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है। तर्पण करने के दौरान यह कार्य किया जाता है।

घी दान 

गाय का घी पात्र सहित दान करने से इससे गृहकल नहीं होती और पारिवारिक जीवन खुशहाल हो जाता है।

गुड़ दान 

इसे पितरों को विशेष संतुष्टि प्राप्त होती है। इससे घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है. ऐसा करने से गृह-क्लेश भी दूर है। घर में लक्ष्मी का वास होता है।

धान्य दान 

इसमें किसी अनाज, दाल, चावल या आटे आदि का दान किया जाता है। इससे वंश वृद्धि में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं होती है।

नमक का दान  

नमक का दान करने से प्रेत बाधा और आत्माओं से मुक्ति मिलती है।

चांदी या स्वर्ण का दान  

स्वर्ण दान करने से सूर्य एवं गुरु संबंधी बाधा के अलावा रोगों से मुक्ति मिलती हैं वहीं चांदी दान करने से चंद्र ग्रह संबंधी बाधा दूर होती है और परिवार में शांति, सुख एवं एकता बनी रहती है। स्वर्ण के आभाव में पीतल या दक्षिणा दे सकते हैं और चांदी के अभाव में कोई सफेद वस्तु दान कर सकते हैं।

गौ-दान  

इस दान को करने से मुक्ति की प्राप्ति होती है। जातक इस दान को संकल्प से प्रतिकात्मक रूपस से भी कर सकता है।

भूमि दान 

भूमि दान की जगह एक गमले में पौधा लगाकर भी दान किए जाने का आजकल प्रचलन है।

आमान्न दान  

श्राद्ध में जो लोग भोजन कराने में अक्षम हों, वे आमान्न दान देते हैं। आमान्न दान अर्थात अन्न, घी, गुड़, नमक आदि भोजन में प्रयुक्त होने वाली वस्तुएं इच्छा‍नुसार मात्रा में दी जाती हैं। श्राद्ध का भोजन 4 लोगों को खिलाया जाता है। ब्राह्मण, कुत्ते, गाय और कौए। श्राद्ध के भोजन में बेसन का प्रयोग वर्जित है। सूतक में ब्राह्मण को भोजन नहीं कराना चाहिए। केवल गाय को रोटी दें।   


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