'अजीज दोस्त' बीमारी भी वफादारी से निभा रहा, कहीं आपका 'टॉमी' भी तो नहीं परेशान Agra News
पालतू श्वानों में तेजी से बढ़ रही इंसानों की बीमारियां! डायबिटीज थायराइड दिल की बीमारियां ले रहीं चपेट में। खान-पान की आदतें दे रही बीमारियां।
आगरा, प्रभजोत कौर। श्वानों को इंसानों का सबसे अजीज दोस्त माना गया है। इंसान और श्वान की दोस्ती आदिकाल से चली आ रही है। पौराणिक समय की कथा के अनुसार युधिष्ठिर के साथ एक श्वान ही स्वर्ग गया था। इस दोस्ती की कई कहानियां हैं, कई किस्से हैं। कई बार श्वानों ने अपने सबसे अजीज दोस्तों की जान भी बचाई है। लेकिन इस दोस्ती का खामियाजा अब श्वान अपनी सेहत से चुका रहे हैं। इंसान अपने खान-पान की आदतों को अपने श्वानों को भी दे रहे हैं। जिससे इंसानों वाली बीमारियां श्वानों को भी अपनी चपेट में ले रही हैं। अभी तक तो इंसानों में ही डायबिटीज, मोटापा और हृïदय संबंधी बीमारियों का प्रतिशत बढ़ रहा था। लेकिन पिछले सालों में श्वानों में भी यह बीमारियां तेजी से बढी हैं।
दस में से एक को डायबिटीज
जिस तरह इंसानों में डायबिटीज पहले रईसों की बीमारी कही जाती थी। प्रतिशत का आंकड़ा बहुत कम था। लेकिन समय के बदलाव ने इस बीमारी को आम बीमारी बना दिया है। कुछ ऐसी ही स्थिति श्वानों के साथ भी हुई है। हर दस में से एक श्वान को डायबिटीज है। पांच साल पहले तक श्वानों में डायबिटीज के मामले न के बराबर थे।
थायराइड और ब्लड प्रेशर भी
अब इंसानों की तरह ही श्वानों को भी थायराइड और ब्लड प्रेशर की समस्या झेलनी पड़ रही है। हालांकि इन दोनों बीमारियों का प्रतिशत काफी कम है। जहां थायराइड के 100 में से केवल 7-8 मामले ही प्रकाश में आते हैं, वहीं ब्लड प्रेशर के मामले अभी इक्का-दुक्का ही हैं।
श्वानों में बढ़ रहा मोटापा भी
इंसान अपनी लाइफ स्टाइल की तरह ही जानवरों को भी पाल रहा है। श्वान मांसाहारी जानवर है। लेकिन अपनी सहूलियत के हिसाब से इंसान श्वानों को हर वो चीज खाने को दे रहा है, जो वो खाता है। यही वजह है कि तली-भुनी चीजों के कारण श्वानों में मोटापा बढ़ रहा है। खासतौर से जर्मन शैफर्ड और लेब्राडोर ब्रीड में यह समस्या आम हो गई है। श्वानों का लिवर फैटी हो रहा है।
किडनी फेल की समस्या भी हो रही
श्वानों में किडनी फेल की समस्या भी तेजी से बढ़ी है। छह-सात साल उम्र के बाद दस में से तीन श्वानों में यह समस्या देखने को मिलती है। इसके पीछे एक मुख्य कारण पानी का है। आजकल घरों में सबमर्सिबल का पानी इस्तेमाल होता है। श्वानों को भी वही पानी सीधा टंकी से निकाल कर दे दिया जाता है। पानी में मौजूद आयरन की अधिकता से श्वानों की किडनी पर असर हो रहा है।
दिल के मरीज बन रहे श्वान
डा. मनोज गुप्ता बताते हैं कि छोटी ब्रीड्स में डीएमवीडी ज्यादा देखी जाती है, यानि डीजेनरेट मिट्रल वॉल्व डिजीज और डीसीएम डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी। डीएमवीडी में वॉल्व लीक हो जाता है। मोटे श्वानों में ज्यादा परेशानी होती है। फ्रेंच बुलडॉग, पग, इंग्लिश बुलडॉग ब्रीड की नाक छोटी होती है। सांस लेने में परेशानी होती है इसलिए यह समस्या होती है। मीडियम ब्रीड जैसे रिटरीवर, बॉक्सर में भी खतरा रहता है। बड़ी ब्रीड बॉक्सर,ग्रेट डैन, सेंट बनार्ड सबसे ज्यादा परेशान होते हैं, क्योंकि वे हर समय हांफते रहते हैं।
क्या है लक्षण?
बुखार, बेहोश होना, उल्टी होना, सामने की टांगों में दर्द होना, खड़े होने में दिक्कत आना, सुस्त होना, अपने घरवालों को न पहचानना, दौरे पडऩा, एक जगह पर लंबे समय तक लेटे रहना, सांस लेने में परेशानी होना, तेजी से सांस लेना, व्यवहार में बदलाव आना, डायरिया, कब्ज, भूख न लगना, टांगों में सूजन आना, पेट का फूलना आदि लक्षण हैं दिल की बीमारी के।
सर्दियों में रखे ज्यादा ध्यान
डा. मुकेश श्रीवास्तव बताते हैं कि सर्दियों में दिल की धमनियां सिकुड़ जाती हैं। खून पंप नहीं कर पाता है, सांस लेने में दिक्कत आती है। सर्दियों में ज्यादा ध्यान देना होता है।
नियमित जांच कराते रहें
डा. संजीव नेहरू बताते हैं कि श्वानों के स्वास्थ्य की भी नियमित जांच करानी चाहिए। कई बार हम लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं, जिसका खामियाजा श्वान की जिंदगी से चुकाना पड़ता है।