Petition in High Court: बड़ा खेल एटा का शिक्षक उत्तराखंड में बना खेल संघों का पदाधिकारी
दायर हुई याचिका पर हाईकोर्ट सख्त नोटिस जारी। दूसरे प्रदेश के सरकारी कर्मचारी को जिम्मेदारी पर कई सवाल।
आगरा,जेएनएन। एटा जनपद के निधौली कलां विकास खंड के जूनियर हाईस्कूल में नियुक्त शिक्षक उत्तराखंड प्रदेश के दो खेल संघों में भी पदाधिकारी है। मामले को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका के बाद ऐसी स्थिति पर न्यायालय ने कड़ी आपत्ति जताते हुए सरकार तथा संबंधित खेल संगठनों से जवाब तलब किया है। वहीं मामले में एटा के शिक्षा अधिकारियों को भी नोटिस जारी किए गए हैं।
उत्तराखंड हाईकोर्ट में उत्तराखंड के ही गोपेश्वर निवासी कीर्ति विजय रावत द्वारा याचिका दायर की गई। इस याचिका में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश के एटा जनपद के ब्लॉक निधौली कलां के जूनियर हाईस्कूल गहराना में वीरेश यादव शिक्षक के पद पर नियुक्त है। इस शिक्षक द्वारा उत्तराखंड में भी खो-खो एसोसिएशन के सचिव के अलावा उत्तराखंड तलवारबाजी संघ में संयुक्त सचिव तथा कार्यकारी अध्यक्ष पद का भी निर्वहन किया जा रहा है। किसी दूसरे राज्य के सरकारी व्यक्ति को इस तरह के दायित्व संभालने या फिर दोनों खेल संगठनों में पदाधिकारी बनाया जाना उचित नहीं है। ऐसी स्थिति स्थानीय खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना है। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सरकार से जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट के जस्टिस मनोज तिवारी की कोर्ट ने केन्द्र, राज्य, यूपी सरकार समेत उत्तराखंड ओलंपिक संघ, वीरेश यादव व शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश समेत 12 पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पूछा है कि कैसे और किन नियमों के तहत राज्य के खेल संघ में बाहरी सरकारी कर्मचारी को पद पर बैठाया जा सकता है।
राष्ट्रीय स्तर पर भी खेल संघों में है दखल
उत्तराखंड में जिस एटा के शिक्षक को खेल संगठनों में पदाधिकारी बनाने पर सवाल उठाए गए हैं। वहां बताया गया है कि इस शिक्षक पर भारतीय तलवारबाजी संघ तथा भारतीय खो-खो संघ में भी महत्वपूर्ण पद हैं। कुछ दिन पहले राष्ट्रीय स्तर पर भी शिकायत के बाद शिक्षक ने एक पद से इस्तीफा दिया लेकिन मामला दब कर रह गया।
शिक्षा अधिकारी करते आ रहे बचाव
राष्ट्रीय तथा उत्तराखंड खेल संगठनों में पदाधिकारी बनकर रुतबेदारी कर रहा शिक्षक एटा ब्लॉक निधौली कलां का व्यायाम शिक्षक भी है। फिर संगठन के पदाधिकारी रहते हुए बिना विभाग की अनुमति और छुट्टी लिए ही विदेश यात्राएं भी कर चुका। विभागीय सांठगांठ से शिक्षक का अनवरत वेतन भी निकाला जाता रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग भी इस मामले में दो साल से आरटीआई का जवाब ना देकर मामले को दबाए हुए हैं।