सिरोटोनिन का स्तर कम होने से डिप्रेशन हो रहा घातक
ताजमहल में बम की झूठी सूचना देने वाला विमल डिप्रेशन से पीड़ित
आगरा, जागरण संवाददाता। डिप्रेशन की समस्या आम हो चुकी है। डिप्रेशन के मरीजों में सिरोटोनिन (न्यूरोट्रासमिट) का स्तर कम होना घातक हो सकता है। ऐसे में मरीज खुदकुशी कर सकता हैं, समाज के लिए घातक कदम भी उठा सकता है। ताजमहल में बम की झूठी सूचना देने वाला विमल कुमार सिंह भी डिप्रेशन से पीड़ित है। उसकी एक फोन काल से सुरक्षा एजेंसियों समेत हजारों लोग परेशान हो गए।
विमल के माता-पिता का निधन हो चुका है। भाई को पैरालाइसिस है। इन पारिवारिक परिस्थितियों से वह डिप्रेशन की समस्या से पीड़ित हो गया। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे केस में मौसम बदलने, कुछ ऐसी घटनाएं होने जो उनके हित में न हों, इससे खुशी देने वाले न्यूरोट्रांसमिटर सिरोटोनिन का स्तर कम होने लगता है। इससे मरीज उदास हो जाता है। मन में विचार आते हैं कि जिदगी अब किसी मतलब की नहीं है। कोई भविष्य नहीं है। समाज उनके प्रति क्रूर है। ऐसे अधिकांश केस में डिप्रेशन से पीड़ित लोग खुदकुशी का कदम उठा लेते हैं। कुछ लोग ऐसे काम करते हैं, जिससे दूसरे लोग परेशान हों। वे क्या कर रहे हैं, इससे क्या होगा, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं होता है। इस तरह के लक्षणों को स्वजन और परिचित नजरअंदाज करते हैं। जबकि ऐसे केस में मरीज का इलाज कराना चाहिए। अधिकांश केस में दवाएं लेने और काउंसिलिग से मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। विमल 27 फरवरी को आया था, उसकी कुछ जांच कराई थी। डिप्रेशन के लक्षण होने पर मनोचिकित्सक से परामर्श लेने के लिए कह दिया था।
-डा. विजय खुराना, फिजीशियन डिप्रेशन के मरीज अपना नुकसान करते हैं, खुदकुशी कर लेते हैं। इसके साथ ही समाज के लिए भी घातक हैं। उन्हें लगता है कि जिदगी खत्म हो चुकी है। ऐसे मरीज इलाज से ठीक हो जाते हैं और बेहतर जिदगी जीने लगते हैं।
डा. दिनेश राठौर, प्रमुख अधीक्षक मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय