कांच नगरी में पटरी पर न आई रेल, गुजरती हैं सैंकड़ा पार पर ठहराव है तीन दर्जन का
तीर्थ स्थल एवं लंबी दूरी की ट्रेनें टूंडला और आगरा से पकड़ते हैं यात्री। फीरोजाबाद से गुजरती हैं डेढ़ सौ से अधिक ट्रेनें ठहराव है 36 का।
आगरा, राजीव शर्मा। वक्त: दोपहर एक बजे। स्थान: फीरोजाबाद का रेलवे स्टेशन। चारों प्लेटफार्म पर पसरा सन्नाटा। दिल्ली की ओर जाने वाली ट्रेनें प्लेटफार्म संख्या तीन व चार पर रुकती हैं। यहां बेंच पर इक्का-दुक्का रेलकर्मी या वेंडर बैठे नजर आए। प्लेटफार्म नंबर एक व दो पर पसरा सन्नाटा यात्रियों की चहलकदमी से दूर होना शुरू हुआ। यहां इटावा की तरफ जाने वाली ट्रेनें रुकती हैं।
सवा दो बजे तक यहां काफी भीड़ हो गई। आधा घंटे बाद डाउन रूट पर तूफान मेल आया। उसकी जनरल बोगी में चढऩे के लिए आपाधापी मचने लगी। पहले से ही भरे कोच में कुछ पुरुष यात्री अंदर घुस गए तो कुछ पैरदान पर ही लटक गए। दो मिनट रुककर ट्रेन चल दी, लेकिन एक दर्जन से अधिक महिलाएं और बच्चे ट्रेन में चढऩे की हिम्मत नहीं जुटा सके। उन्होंने प्लेटफार्म पर मौजूद रेलकर्मी और वेंडर से अगली ट्रेन के बारे में पता किया। बताया गया कि अब शाम तक कोई ट्रेन नहीं है। ऐसे में तमाम यात्री घर लौट गए।
कांच नगरी के नाम से प्रसिद्ध फीरोजाबाद के स्टेशन का यह नजारा आम है। यहां से हर रोज 160 यात्री गाडिय़ां गुजरती हैं, लेकिन ठहराव मात्र 36 का है। ये तब है, जब फीरोजाबाद में बनने वाली चूड़ी देश के हर कोने में जाती है और देश के हर कोने से कारोबारी यहां आते हैं। है। अब तक रेलवे ने इसे उद्योग के नजरिए से कभी नहीं देखा। यहां ठहरने वाली कई टे्रनें अक्सर रद रहती हैं। ट्रेनों का ठहराव मुद्दा तो कई बार बना, लेकिन कभी मुकाम नहींं मिल पाया। हालात ये है कि व्यापारियों को ही नहीं, आम यात्रियों को भी दूसरे शहरों के लिए ट्रेन पकडऩे टूंडला और आगरा जाना पड़ता है।
एक नजर
-1865 में स्थापित हुआ था फीरोजाबाद का रेलवे स्टेशन
- 1972 में रेलवे ट्रैक हुआ इलेक्ट्रीफाइड
- 160 यात्री गाडिय़ां गुजरती हैं फीरोजाबाद से 24 घंटे में
- 36 यात्री ट्रेनों का यहां है ठहराव
- 04 प्लेटफार्म में से किसी पर नहीं है कोच इंडीकेटर
मुश्किलें
- उड़ीसा, राजस्थान के लिए कोई सीधी ट्रेन नहीं।
- मथुरा, अयोध्या, वैष्णोदेवी, वाराणसी जैसे तीर्थ स्थलों के लिए सिर्फ एक-एक ट्रेन।
- लंबी दूरी की गाडिय़ों के लिए जाना पड़ता है टूंडला, रात में नहीं मिलते साधन।
जनता की मांग
हाईकोर्ट जाने के लिए एक-दो ट्रेनें ही हैं। हमने कई गाडिय़ों के ठहराव की मांग की, लेकिन किसी जनप्रतिनिधि ने सुनवाई नहीं हुई। ट्रेनों के ठहराव होंगे तो शहर के कारोबार में भी वृद्धि होगी।
धर्म सिंह यादव एडवोकेट, पूर्व अध्यक्ष बार एसोसिएशन
चूड़ी और कांच उद्योग का प्रमुख केंद्र होने के कारण फीरोजाबाद में पूरे देश से व्यापारी आते हैं, लेकिन उन्हें टूंडला या आगरा उतरना पड़ता है। इससे फीरोजाबाद की छवि खराब होती है।
हनुमान प्रसाद गर्ग, निदेशक द ग्लास सिंडिकेट
ट्रेन के मामले में फीरोजाबाद हमेशा उपेक्षित रहा है। ट्रेनों के ठहराव के संबंध में मैने खुद कई बार जनप्रतिनिधियों से आवाज उठाने की अपील की, लेकिन अब तक कुछ नहीं हो पाया।
एससी अग्रवाल, सेवानिवृत विद्युत अधिकारी
टूंडला रुकने वाली ट्रेनें अगर फीरोजाबाद रुकने लगें तो न सिर्फ शहर को बल्कि रेलवे को भी काफी फायदा होगा। हम उड़ीसा और राजस्थान जाने वाली ट्रेनों के ठहराव की मांग लंबे समय से कर रहे हैं।
वीएस गुप्ता, प्रांतीय अध्यक्ष उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल