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Pollution Alert: ताजनगरी की हवा सुधारनी है तो जानिए क्यों जरूरी है एयर एक्शन प्लान

Pollution Alert अभियान सावधान! सामने प्रलयंकारी प्रदूषण। कोरोना काल में सर्दियों में बढ़ा वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए हो सकता है अत्यंत घातक। ताजनगरी में जून 2019 में लांच किया गया था एयर एक्शन प्लान नहीं उठाए उचित कदम।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2020 07:55 AM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2020 07:55 AM (IST)
Pollution Alert: ताजनगरी की हवा सुधारनी है तो जानिए क्यों जरूरी है एयर एक्शन प्लान
अभियान: सावधान! सामने प्रलयंकारी प्रदूषण। फाइल फोटो

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण से जूझते देश में लॉक डाउन जहां स्वच्छ हवा लेकर आया था, वहां अनलॉक में वायु प्रदूषण फिर बढ़ने लगा है। बढ़ती सर्दी के साथ इसका बढ़ना तय है। ताज ट्रेपेजियम जोन में शामिल आगरा में तो वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोकने और वायु प्रदूषणकारी गतिविधियों पर रोक लगाने को एयर एक्शन प्लान भी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) भी समय-समय पर इसके लिए प्लान जारी करता रहा है, मगर जिम्मेदार विभाग नींद से तभी जागते हैं जबकि स्थिति अत्यंत खराब हो जाती है। इस बार यदि वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोकने को उचित कदम नहीं उठाए गए तो कोरोना काल में यह मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक साबित हो सकता है।

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एनजीटी के आदेश पर तैयार हुआ था एयर एक्शन प्लान

एनजीटी ने देश के 102 ऐसे शहरों के लिए एयर एक्शन प्लान प्लान तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिनमें पिछले पांच वर्षों से एक्यूआइ का वार्षिक औसत 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक रहा था। इनमें शामिल प्रदेश के 15 शहरों में आगरा भी था। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी), यूनाइटेड नेशंस इन्वायरमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) और क्लीन एयर एशिया द्वारा बनाए गए आगरा के एयर एक्शन प्लान को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्वीकृति दी थी।

प्रदेश के लिए बनाना था मॉडल

आगरा का एयर एक्शन प्लान पिछले वर्ष एक जून को तत्कालीन मुख्य सचिव अनूपचंद्र पांडेय ने लांच किया था। उन्होंने इसे प्रदेश के लिए मॉडल बनाने की बात कही थी। प्लान में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए शॉर्ट और लांग टर्म प्लान बनाते हुए विभागों की जिम्मेदारी व समय सीमा निर्धारित की गई थी। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को एक माह के अंदर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट डिवीजन और हेल्पलाइन एक माह के अंदर बनानी थीं, लेकिन एक वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद ऐसा नहीं हो सका है। अन्य विभागों ने भी स्वयं को सौंपी गई जिम्मेदारी निभाने में दिलचस्पी नहीं ली है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी जिला पर्यावरण समिति एयर एक्शन प्लान को लागू कराने के लिए जवाबदेह है और प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी इसके नोडल अधिकारी हैं, मगर कोई इस पर ध्यान नहीं दे रहा।

एक्शन प्लान में विभागों को उठाने थे यह कदम

वाहनजनित प्रदूषण के लिए

परिवहन विभाग: सार्वजनिक परिवहन को इलेक्ट्रिक बसों का संचालन व चार्जिंग स्टेशन की स्थापना। - 360 दिन

नगर निगम व एडीए: मेट्रो, रेलवे व बस स्टेशन पर बाइक जोन व साइकल जोन बनाया जाना। - 360 दिन

सडक एवं परिवहन मंत्रालय: डीजल चलित वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने को उचित उपकरणों का प्रयोग। - 360 दिन

एनएचएआइ व पीडब्ल्यूडी: एक्सप्रेस-वे, बाइपास के निर्माण को प्लान बनाया जाना। - 360 दिन

एनएचएआइ व पीडब्ल्यूडी: शहर के बाहर रोड बनाना, जिससे कि बाहर से आने वाले वाहन बाहर के बाहर ही निकल जाएं। - 360 दिन

नगर निगम व एडीए: मल्टीलेवल पार्किंग की स्थापना। - 360 दिन

उद्योग से होने वाले प्रदूषण के लिए

यूपीपीसीबी: ईंट भट्टों में जिगजैग तकनीक का उपयोग। - 360 दिन

यूपीपीसीबी: फैक्ट्री व औद्योगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण नियंत्रण डिवाइस की स्थापना। - 180 दिन

नगर निगम: एक्यूआइ की मॉनीटरिंग को मोबाइल फेसिलिटी/वैन का इंतजाम। - 360 दिन

रोड डस्ट पर नियंत्रण के लिए

नगर निगम, एडीए व वन विभाग: मास्टर प्लान के अनुसार शहर में 33 फीसद हरित क्षेत्र बनाना। - 180 दिन

सिंचाई व वन विभाग: नालों के किनारे खुली जगह पर ईंटें लगाना और पौधारोपण करना। - 360 दिन

बायोमास, फसलों के अवशेष, कूड़ा-करकट के लिए

नगर निगम: खुले में जलने वाले बायोमास, फसल अवशेष, कूड़ा आदि के खिलाफ अभियान चलाना। - 90 दिन

नगर निगम: म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट के जलने की नियमित मॉनीटरिंग। - 90 दिन

नगर निगम: हॉर्टिकल्चर वेस्ट का उचित संग्रहण और उसका निवारण। - 90 दिन

कृषि विभाग और यूपीपीसीबी: कृषि अपशिष्टों के जलने पर प्रतिबंध लगाना। - 180 दिन।

आगरा में एक्यूआइ की स्थिति

वर्ष, बोदला, नुनिहाई

2013, 184.1, 216.4

2014, 190.8, 229.1

2015, 182, 218

2016, 170.1, 229.8

2017, 174.4, 220

2018, 195.84, 241.67

नोट: बोदला आवासीय क्षेत्र और नुनिहाई औद्योगिक क्षेत्र है। एक्यूआइ का वार्षिक मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।

सभी जिम्मेदार विभागों को सर्दियों के मौसम को ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्यों के दौरान धूल उड़ने से रोकने को उचित इंतजाम करने का अनुरोध किया गया है। किसानों को पराली जलाने से रोकने व जुर्माना लगाने के लिए प्रशासन द्वारा लेखपाल व तहसीलदार को जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है।

-भुवन यादव, क्षेत्रीय अधिकारी उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 


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