रिहाई से ऐन पहले ही डॉ. कफील पर रासुका तामील, जानिए क्या था AMU से कनेक्शन Agra News
शुक्रवार सुबह 7.01 बजे ही अलीगढ़ पुलिस ने जेल प्रशासन को सौंपे कागजात। एएमयू में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में एसटीएफ ने मुंबई से दबोचा था।
आगरा, जेएनएन। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी(एएमयू) में भड़काऊ भाषण देने के मामले में मथुरा जेल में निरुद्ध डॉ. कफील की रिहाई चंद मिनट पहले ही अटक गई। शुक्रवार सुबह सवा सात बजे उसे रिहा किया जाना था मगर, सात बजकर एक मिनट पर अलीगढ़ पुलिस ने जेल प्रशासन को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून(रासुका) तामील करने के कागजात सौंप दिए। इस प्रक्रिया के साथ ही डॉ. कफील की रिहाई रुक गई।
अलीगढ़ निवासी डॉ. कफील ने 12 दिसंबर को एएमयू में सीएए के खिलाफ हो रही सभा में भाग लिया था। कफील ने भड़काऊ भाषण दिया था। एसआइ दानिश ने अलीगढ़ के सिविल लाइन्स थाने में 13 दिसंबर 2019 को मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद डॉ. कफील मुंबई भाग गया था। 29 जनवरी को मुंबई से गिरफ्तार कर एसटीएफ उसे अलीगढ़ लाई। 31 जनवरी को उसे मथुरा जेल स्थानांतरित कर दिया गया था।
बीते सोमवार (10 फरवरी) को सीजेएम न्यायालय, अलीगढ़ में कफील की जमानत मंजूर हो गई। रिहाई का परवाना गुरुवार देर शाम 8.05 बजे जिला जेल पहुंचा। जेल प्रशासन ने कफील की रिहाई के लिए शुक्रवार सुबह सात से सवा सात बजे तक का समय निर्धारित किया।
शुक्रवार सुबह निर्धारित समय पर डॉ. कफील का भाई जमील अपने अधिवक्ता के साथ पहुंचा था। लेकिन, अलीगढ़ पुलिस ने 7.01 बजे ही रासुका तामील के कागजात जेल प्रशासन को पहुंचा चुकी थी।
जिला कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने बताया कि रासुका तामील हो जाने के कारण डॉ. कफील की रिहाई अगले आदेशों तक रोक दी गई है।
मुकदमे में दर्ज कफील के जहरीले बोल
- सीएए से तुम्हें दोयम दर्जे का बनाया जा रहा है।
- हम 25 करोड़ हैं। तुम हमें डरा नहीं सकते। हम तुम्हें बताएंगे कि देश कैसे चलेगा।
- तुम्हारे अब्बा का सर्टिफिकेट ठीक नहीं है, कहकर तुम्हें दौड़ाया जाएगा। यह हमारे वजूद की लड़ाई है, हमें लडऩा पड़ेगा।
- सीएए ऐसा है कि पड़ोस में चोरी करने वाले चोर को हम अपने घर में नौकरी दे रहे हों।
- सीएए के खिलाफ आंदोलन करना होगा, एएमयू इसमें लीडर बने।
कम से कम छह माह तक नहीं होगी जमानत
वरिष्ठ अधिवक्ता आर के उपाध्याय बताते हैं कि जिस व्यक्ति ने ऐसा अपराध किया हो जो देश या समाज के लिए खतरा हो तो उस पर रासुका के तहत कार्रवाई की जाती है। इसके लिए पुलिस प्रशासन की रिपोर्ट पर जिला प्रशासन संस्तुति करता है। रासुका तामील होने के बाद आरोपित की कम से कम छह माह तक जमानत नहीं हो सकती।