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समझें मांद्य चंद्र ग्रहण और चंद्र ग्रहण के अंतर को, सूतक भी नहीं होंगे आज प्रभावी Agra News

शुक्रवार रात 10.38 बजे से शुरू होकर 2.42 बजे खत्म होगा। चंद्रमा के आगे छा जाएगी धूल जैसी परत घटता-बढ़ता नहीं दिखेगा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 02:32 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 08:19 PM (IST)
समझें मांद्य चंद्र ग्रहण और चंद्र ग्रहण के अंतर को, सूतक भी नहीं होंगे आज प्रभावी Agra News
समझें मांद्य चंद्र ग्रहण और चंद्र ग्रहण के अंतर को, सूतक भी नहीं होंगे आज प्रभावी Agra News

आगरा, तनु गुप्‍ता। शुक्रवार- शनिवार रात्रि 10:38 से 2:42 बजे तक चंद्र ग्रहण पड़ेगा। ग्रहण का नाम आते ही लाेग सबसे पहले उसके प्रभाव और दुष्‍प्रभाव को लेकर चिंतित हो जाते हैं। तमाम समाचार चैनलों पर ग्रहण को लेकर बरते जाने वाली सावधानियों पर चिंतन मनन शुरु हो जाता है लेकिन आज पड़ने वाला ग्रहण हर तरह के प्रभाव और दुष्‍प्रभाव से अप्रभावी है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार आज मांद्य (छाया कल्प )चंद्र ग्रहण होगा। इसका शास्त्रीय दृष्टि से कहीं कोई महत्व नही है। इस ग्रहण पर यूट्यूब पर लगभग 20 वीडियो पड़े हैंं, जिसमें राशिफल, सूतक आदि बताए गए है, वे सभी अफवाह जैसे भ्रामक हैंं। जबकि सचाई तो ये हैं कि इस ग्रहण का सूतक बिल्कुल नहीं है और न ही राशिफल आदि के ऊपर कुछ असर है।

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ग्रहण नहीं बल्कि कहें उपच्‍छाया का समय

10 जनवरी 2020 यानी संवत 2076 पौष शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मान्द्य (छाया कल्प) चंद्र ग्रहण लगेगा। पंडित वैभव बताते हैं कि मांद्य का अर्थ है न्यूनतम, यानी मंद होने की क्रिया। इसलिए बिल्कुल भी इस चंद्र ग्रहण को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। इस ग्रहण में कुछ हल्की से चंद्रमा की कांति मलीन हो जाएगी, लेकिन चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रहण ग्रस्त नहीं होगा। इसमें चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत भाग धूसर छाया में आ जाएगा। धूसर का अर्थ है मटमैला जैसा हल्की सी धूमिल। लेकिन इस प्रभाव को भी बहुत कम ही लोग समझ पाएंगे। केवल वही देख पाएंगे जो कुछ उपकरण या बहुत गौर से देखने के लिए जागरूक होंगे। इसीमेंं छाया ग्रह राहु की छाया भी नहीं पड़ेगी। जब छाया ही नहीं पड़ेगी तो राहु के ग्रसने वाली बात भी नहीं होगी, क्योंकि प्रच्छाया हीन इस किस्म की ग्रहण केवल उपच्छाया मात्र है। इसलिए इसको ग्रहण कहने के बजाए उपच्छाया का समय कहना ज्यादा सही होगा।।

क्‍यों नहीं लगेंगे सूतक

निर्णयसागर और दिवाकर पंचांगो ने स्पष्ट किया है कि इस ग्रहण में किसी भी प्रकार का यम, नियम, सूतक आदि मान्य नहीं, अर्थात धार्मिक मान्यता नहीं है। इस उपच्छाया वाले चन्द्रग्रहण नग्न आंंखों से नहीं दिखाई पड़ेगा। इसलिये उनका पंचांग में समावेश नहीं होता है। और ऐसे ग्रहण से सम्बन्धित कर्मकाण्ड यानि कोई पूजा पाठ भी नहीं किया जाता है।

क्यों होता है मांद्य चंद्र ग्रहण

जब चंद्र पृथ्वी और सूर्य एक सीधी लाइन में आ जाते हैं। तब पृथ्वी की वजह से चंद्र पर सूर्य की रोशनी सीधे नहीं पहुंच पाती है और पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्र पर पड़ती है। इस स्थिति को ही चंद्र ग्रहण कहते हैं। जबकि मांद्य चंद्र ग्रहण में चंद्र पृथ्वी और सूर्य एक ऐसी लाइन में रहते हैं, जहां से पृथ्वी की हल्की सी छाया चंद्र पर पड़ती है। ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में नहीं होते हैं। इस वजह से मांद्य चंद्र ग्रहण की स्थिति बनती है।


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