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आगरा का 'पारस' नेपाल बार्डर पर जवानों को सिखा रहा मानव तस्करी रोकने के तरीके Agra News

सशस्त्र सीमा बलों को दे रहा प्रशिक्षण। जवान हो रहे नई जानकारियों से अपडेट।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 01:46 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 05:10 PM (IST)
आगरा का 'पारस' नेपाल बार्डर पर जवानों को सिखा रहा मानव तस्करी रोकने के तरीके Agra News
आगरा का 'पारस' नेपाल बार्डर पर जवानों को सिखा रहा मानव तस्करी रोकने के तरीके Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। इंडो नेपाल बार्डर सीमा पार से हो रही मानव तस्करी रोकने के लिए 43वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बलों को आगरा के चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट एवं महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस इन दिनों प्रशिक्षण दे रहे हैं। सीमा चौकी कोटिया, धनौरा, खुनुवांं, पकडिहवा, बजहा, अलीगढ़वा, ककरहवा के समस्त जवानों को अब तक प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

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राष्ट्रीय बाल अधिकार संस्था क्राई के नेटवर्क महफूज सुरक्षित बचपन द्वारा प्रशिक्षिण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। प्रशिक्षण के लिए आगरा से नरेश पारस को नामित किया गया है। किया गया। नगला अजीता निवासी नरेश पारस लंबे समय से बाल अधिकारों के संरक्षण पर काम कर रहे हैं। सरकार द्वारा चलाए बालिका सुरक्षा अभियान में भी नरेश पारस नोडल प्रशिक्षक के रूप में डेढ़ लाख से अधिक बालिकाओं को सुरक्षा के प्रति प्रशिक्षित करा चुके हैं।

नरेश पारस ने प्रशिक्षण में सशस्त्र सीमा बलों को बताया कि केवल मानव अंगों की खरीद फरोख्त ही मानव तस्करी नहीं है। भिक्षावृत्ति, नशाखोरी, बाल विवाह, देह व्यापार, बंधुआ मजदूरी, कैमल जोकिंग, बाल श्रम तथा अवैध तरीके से गोद देने के लिए बच्चों की तस्करी की जा रही है।

नेपाली लड़कियों की मानव तस्‍करी

वेश्यावृत्ति के धंधे में नेपाली लड़कियों की बहुत मांग है। नेपाल की लड़किया पूरी दुनिया में लड़कियां सप्लाई की जाती हैं। जिनको बहला फुसलाकर, शादी का झांसा देकर तथा पैसे व नौकरी का लालच देकर ले जाया जाता है। मानव तस्करी के आंकड़े बहुत डरा देने वाले हैं। मानव तस्करी रोकने के लिए सरकारों द्वारा काफी प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन तस्करों का नेटवर्क बहुत मजबूत है जिसके चलते वह इसमें कामयाब हो जाते हैं। जिसको रोकने के लिए एसएसबी सशस्त्र सीमा बलों के जवानों का प्रयास सराहनीय है। सहयोगी संस्थाओं के साथ साथ नागरिकों की मदद की जरूरत है। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, चाइल्ड लाइन तथा विशेष किशोर इकाई का सहयोग लिया जाए। बिना बाल कल्याण समिति के आदेश से कोई भी बच्चा सुपुर्द न किया जाए।

टोल फ्री नंबर पर दें जानकारी

किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की सहमति मायने नहीं रखती है। बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए टोल फ्री नंबर की जानकारी दी गई। एसएसबी सशस्त्र सीमा बल के जवानों ने इस प्रशिक्षण की सराहना की और कहा कि ये जानकारियां मानव तस्करी रोकने में सहायक सिद्ध होंगी।

प्रशिक्षण में उनके साथ वाराणसी के राजीव सिंह और रोली सिंह भी हैं। साथ ही नेपाल में मानव तस्करी की रोकथाम के लिए काम कर रही संस्थाओं से भी मिल रहे हैं। 


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