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आदेश किए दरकिनार, ताजमहल में ही अदा हुई नमाज

ंतटिकट से प्रवेश कर ताजमहल स्थित मस्जिद में पहुंचे नमाजी, जानकारी के बावजूद नहीं रोक पाए एएसआइ और सीआइएसएफ

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 08:30 AM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 08:30 AM (IST)
आदेश किए दरकिनार, ताजमहल में ही अदा हुई नमाज
आदेश किए दरकिनार, ताजमहल में ही अदा हुई नमाज

आगरा (जागरण संवाददाता): ताजमहल स्थित मस्जिद में तीन वक्त की नमाज पर रोक के आदेश को दरकिनार कर स्थानीय नमाजियों ने नमाज अदा की। नमाजियों ने टिकट लेकर मंगलवार को अंदर प्रवेश किया। इस दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) मामला जानकारी में आ जाने के बावजूद नमाजियों को नहीं रोक पाए और मूक दर्शक बने रहे।

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मस्जिद ताजमहल इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष सैय्यद इब्राहीम हुसैन जैदी के नेतृत्व में मुस्लिम समुदाय के करीब 15-20 लोग दोपहर दो बजे अलग-अलग टिकट लेकर ताज के अंदर पहुंचे। टिकट होने के कारण न तो सीआइएसएफ इन्हें रोक पाई और न ही एएसआइ। ये लोग अलग-अलग पहुंचकर ताज स्थित मस्जिद में इकट्ठे हुए और चार से पांच के ग्रुप में नमाज अदा की। नमाज के दौरान सीआइएसएफ कर्मचारी इनकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे। लेकिन सीआइएसएफ भी एएसआइ से लिखित में कोई आदेश नहीं मिलने के कारण इन्हें रोकने में असमर्थता जताती रही। ताजमहल में मौजूद एएसआइ कर्मचारी उच्चाधिकारियों के आदेश का इंतजार करते रहे।

आदेशों पर विवाद

ताजमहल में नमाज अदा नहीं करने को लेकर जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ताज एक विश्व धरोहर है। यहां स्थानीय नमाजियों के अलावा किसी अन्य को नमाज की इजाजत नहीं दी जा सकती। आदेश में शुक्रवार को दो घंटे का समय नमाज के लिए निश्चित किया। वहीं 28 अप्रैल 2008 में संस्कृति मंत्रालय ने भी 12 से 2 बजे तक का समय शुक्रवार को नमाज के लिए तय किया। आदेशों को लेकर मुस्लिम समुदाय का तर्क है कि इन दोनों में शुक्रवार के अलावा अन्य दिनों के बारे में कोई दिशा-निर्देश नहीं है। मुस्लिम समुदाय के लोग बार-बार एएसआइ से अन्य दिनों के बारे में सुप्रीम कोर्ट और विभाग के लिखित आदेश की मांग कर रहे हैं। लेकिन एएसआइ अन्य दिनों को लेकर कोई आदेश नहीं दिखा पा रहा है।

नमाज को लेकर सुप्रीम कोर्ट से भी आदेश है और नोटिफिकेशन भी है। लेकिन ये लोग सप्ताह के अन्य दिनों के बारे में आदेश दिखाने की मांग कर रहे हैं। हमने इस बारे में मुख्यालय को भी बता दिया है और निर्देश मांगे हैं।

बसंत कुमार, अधीक्षण पुरातत्वविद एएसआइ


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