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पाषाण काल की धरोहरों को सहेज रखा है यहां, विरासत की झलक पानी हो तो एक बार देखिए जरूर

सन 1874 में मथुरा में हुई थी संग्रहालय की स्थापना। इस साल कर रहा 145वें वर्ष में प्रवेश।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 12:05 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 12:05 PM (IST)
पाषाण काल की धरोहरों को सहेज रखा है यहां, विरासत की झलक पानी हो तो एक बार देखिए जरूर
पाषाण काल की धरोहरों को सहेज रखा है यहां, विरासत की झलक पानी हो तो एक बार देखिए जरूर

आगरा, नवनीत शर्मा। यदि आप इस देश की विरासत को लेकर कौतुहल रखते हैं तो एक बार कान्हा की नगरी में बने राजकीय संग्रहालय को जरूर देखिए। पाषाण काल से लेकर देश के आजाद होने तक के समय की ऐतिहासिक धरोहरों को इस संग्रहालय में सहेजा गया है। पत्थर से बनी प्रतिमाएं, स्वर्ण मुद्रा से लेकर अन्य ऐसा सामान है, जो यह दर्शाता है कि हमारा देश कितना वैभवशाली रहा है।

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ये राजकीय संग्रहालय मथुरा में है। जितने विशाल क्षेत्रफल में ये संग्रहालय बना है, उतनी ही बड़ी यहां रखीं धरोहरों की संख्या है। 144 वर्ष पहले इसकी स्थापना हुई। उस समय मथुरा में भूगर्भ से मूल्यवान कलाकृतियां निकल रहीं थीं। इनकी सुरक्षा की आवश्यकता ब्रिटिश हुकूमत के दौरान तत्कालीन जिलाधीश एफएस ग्राउस को महसूस हुई। 1874 में पत्थर के सुंदर नक्काशीदार छोटे भवन में कचहरी के पास संग्रहालय की स्थापना की गई। करीब सात वर्ष यह मूर्तियों के संग्रह का स्थान रहा और 1881 में जनता के देखने के लिए खोला गया। सन 1900 में नगर पालिका ने इसकी देखरेख की जिम्मेदारी ले ली। संग्रह की निरंतर वृद्धि के कारण यह स्थान छोटा पडऩे  लगा। सरकार ने वर्ष 1926 में डैंपियर नगर में एक लाख 36 हजार की लागत से नए भवन का निर्माण कराया। सन 1930 में संग्रहालय अपने वर्तमान भवन में आ गया। प्राचीन भवन में जैन संग्रहालय खोला जा चुका है। लगभग एक तिहाई भवन का निर्माण स्वाधीनता के बाद किया गया। नए भवन में कलाकृतियां ऐतिहासिक क्रम से लगी हुई हैं।

संग्रहालय के संकलन में प्राचीन सिक्के, कांस्य मूर्तियां, चित्र, हस्तलिखित ग्रंथ आदि हैं। खास बात यह है कि इस वर्ष संग्रहालय अपने 145वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस वर्ष को याद रखने के लिए एक भव्य आयोजन की तैयारी संग्रहालय प्रशासन कर रहा है। इस मौके पर डिजिटल पर्सनल गाइड एप का शुभारंभ किया जाना है। इस एप के माध्यम से दर्शक मूर्तियों का इतिहास जान सकेंगे।

इस आयोजन के लिए संग्रहालय प्रशासन ने संस्कृति विभाग से समय मांगा है। डिप्टी डायरेक्टर एनपी ङ्क्षसह ने बताया कि संग्रहालय का 145वां स्थापना दिवस मनाया जाना है। इसके लिए संस्कृति विभाग से समय मांगा गया है।

संग्रहालय का खजाना

पाषाण प्रतिमाएं   5058

मृग मूर्तियां         2797

धातु कलाकृतियां  350

मिट्टी के बर्तन     292

चित्र                    415

विविध               1283

सौंख संकलन      12000

स्वर्ण सिक्के       178

रजत सिक्के        5567

ताम्र                 15531

आभूषण             32

16 दिसंबर को होना था आयोजन

145वें स्थापना दिवस का आयोजन 16 दिसंबर को होना था, लेकिन अब यह आयोजन आगे किसी तारीख में होगा। इस आयोजन के लिए संस्कृति विभाग तारीख तय करेगा।


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