Move to Jagran APP

सपा मेयर के फुलप्रूफ प्लान की भाजपा मेयर ने निकाली हवा, पढ़ें सीमा विस्‍तार का पूरा घटनाक्रम Agra News

विशेष सदन नजर आया फिक्स। सात गांव और सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र होंगे शामिल।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 04:49 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 04:49 PM (IST)
सपा मेयर के फुलप्रूफ प्लान की भाजपा मेयर ने निकाली हवा, पढ़ें सीमा विस्‍तार का पूरा घटनाक्रम Agra News
सपा मेयर के फुलप्रूफ प्लान की भाजपा मेयर ने निकाली हवा, पढ़ें सीमा विस्‍तार का पूरा घटनाक्रम Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। नगर निगम का सीमा विस्तार कई मायने में अलग है। निगम में शामिल होने से जहां जनता को फायदा मिलेगा, वहीं टैक्स की मार भी बढ़ेगी। खासकर सीवर-वाटर, हाउस टैक्स का बोझ सीधे बढ़ेगा। इन सब के बीच वोटों का गणित भी है। सपा में रहते मेयर इंद्रजीत आर्य की जो योजना थी उसकी हवा भाजपा के मेयर नवीन जैन ने निकाल दी। वोटों का गणित गड़बड़ाने से बचा लिया।

loksabha election banner

यूं तो नगर निगम आगरा में मेयर पद पर भाजपा का दबदबा रहा है। सबसे अधिक भाजपा के ही मेयर बने हैं। सपा शासनकाल में भाजपा प्रत्याशी इंद्रजीत आर्य जीते थे लेकिन फिर वह सपा में चले गए। इस तरह वह फिर सपा के ही मेयर कहलाए। इसी बीच 40 गांवों को नगर निगम सीमा में शामिल होने का प्रस्ताव लाया गया। उस दौरान के पार्षदों का कहना है कि प्रस्ताव चुपके से पास हो गया। इसे लेकर सदन में चर्चा ही नहीं कराई गई। फिर इसे मंजूरी के लिए शासन को भी भेज दिया गया। प्रस्ताव के अनुसार 40 गांवों में चार लाख की आबादी है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि जिन गांवों को शामिल किया जाना था, वहां पर सबसे अधिक सपा का वोट बैंक है। मकसद यही रहा होगा कि आगामी नगर निगम के चुनाव में इसका फायदा कहीं न कहीं सपा को जरूर मिलता।

यही नहीं, जैसे ही 40 गांवों के नाम निगम में शामिल होने की बात चली। बिल्डरों ने बड़ी संख्या में जमीनें खरीद लीं। डीएम सर्किल रेट के मुकाबले बाजार रेट तेजी से बढ़ गया, जबकि नौ गांव में 64 हजार की आबादी है। एक किसी दल का सबसे अधिक वोट बैंक नहीं है।

यह होगा फायदा

- नगर निगम सीमा में नौ गांव शामिल होने से इन गांवों में विकास कार्य तेजी से होंगे।

- रोड बनेगी, सीवर और पानी की लाइन बिछेगी। इसके अलावा साफ-सफाई भी यहां नजर आएगी।

- यहां अतिक्रमण भी दूर होगा। अतिक्रमण की समस्या पर अभियान चलाकर समाधान कराया जाएगा।

- यह भी तय है कि शहरी क्षेत्र में शामिल हो जाने से जमीन की कीमतों में बढ़ोतरी होगी।

- इन गांवों के लोगों को बैंक संबंधी सुविधाएं भी अधिक मिलेंगी। लोन आदि मिलने में आसानी रहेगी।

- स्ट्रीट लाइट आदि की व्यवस्था में भी सुधार आएगा। इससे रात में होने वाली वारदातें भी घटेंगी।

- डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन शुरू होगा। इससे गंदगी से राहत मिलेगी।

यह बढ़ेंगी दिक्कत

- निगम में शामिल होने पर वाटर-सीवर टैक्स देना होगा। जिला पंचायत के मुकाबले यह अधिक है।

- नए भवन का नक्शा पास कराना होगा। नया कमरा बनाने की अनुमति लेनी होगी।

- मलबा शुल्क अलग से देना होगा।

- जमीन का मुआवजा चार गुना के बदले दो गुना मिलेगा।

- तीन सालों में 40 गांवों में बिल्डरों ने खूब खरीदीं जमीन

- चार लाख की जनसंख्या शामिल होने से बिगड़ जाता वोट बैंक

ये गांव हुए शामिल

तोरा, कलाल खेड़िया, कहरई, चमरौली, रोहता, बाबरपुर मुस्तकिल, दहतोरा, अवधपुरी, शास्त्रीपुरम, नगला अलबतिया।

यह गांव नहीं हुए शामिल

कुआ खेड़ा, लकावली, बुढ़ाना बगदा, बरौली अहीर, रजरई, देवरी, सेमरी, नगला कली, कोलक्खा, पचगाई खेड़ा, नैनाना जाट, नैनाना ब्राह्मण, चोर नगरिया, रोहता, नादऊ, भागूपुर, कुबेरपुर, एत्मादपुर मजरा, पोइयां, लखनपुर, मोहम्मदपुर, सुनारी, बाईंपुर, कैलाश गांव, बाबरपुर, सिकंदरपुर मुस्तकिल, सिकंदरपुर अहतमाली, खासपुर अहतमाली, स्वामी मुस्तकिल, खासपुर मुस्तकिल, दौरैठा, अजीजपुर, उधा का नगला, धनौली।

पहले से था सबकुछ फिक्स

नगर निगम के विशेष सदन में सीमा विस्तार का मैच फिक्स था। भाजपा पार्षदों ने सपा शासनकाल में 40 गांवों को निगम में शामिल करने के प्रस्ताव को एक सिरे से खारिज कर दिया। फिक्स मैच में बसपा, बसपा, कांग्रेस सहित अन्य पार्षदों ने खूब गेंद फेंकीं। एक घंटे तक निगम में प्रस्ताव को लेकर चर्चा हुई। कुछ पार्षदों ने निंदा की तो कुछ ने इसे औचित्यहीन बताया। हंगामा बढ़ने पर मेयर ने ५० मिनट के लिए सदन को स्थगित कर दिया। दोबारा सदन शुरू हुआ तो मेयर ने ४० गांवों को निगम में शामिल करने से इन्कार कर दिया। फिर भाजपा शासनकाल में तैयार नौ गांवों को निगम में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया। दो गांवों के संशोधन के बाद यह प्रस्ताव महज पांच मिनट में पास हो गया। सात गांव और सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र निगम की सीमा में आएगा।

नगर निगम में वर्तमान में सौ वार्ड हैं। जनसंख्या 16 लाख है। पांच हजार मोहल्ले और 144 वर्ग किमी एरिया है। नगर निगम का सीमा विस्तार 1982 में हुआ था। तब 36 गांव शामिल होने का प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन प्रदेश सरकार ने इसे नामंजूर कर दिया था। ३७ साल के बाद फिर से सीमा विस्तार होने जा रहा था। सपा शासनकाल में 24 सितंबर 2014 को प्रस्ताव तैयार हुआ था। 14 अप्रैल 2016 को तत्कालीन मेयर इंद्रजीत आर्य की मौजूदगी में प्रस्ताव पास हुआ था। तब 40 गांव निगम में शामिल होने थे। तीन सितंबर 2016 को तत्कालीन मंडलायुक्त ने शासन को प्रस्ताव भेजा था।

अब मेयर नवीन जैन ने प्रस्ताव में संशोधन की मांग की और इसकी शिकायत सीएम योगी आदित्यनाथ से की। शासन ने प्रस्ताव को तीन अप्रैल 2018 से पूर्व का बताया। 30 सितंबर 2019 को प्रस्ताव को मापदंडों के हिसाब से भिजवाने के आदेश दिए। प्रस्ताव को नगर निगम के सदन से मंजूर होना जरूरी था। सोमवार दोपहर तीन बजे निगम का विशेष सदन शुरू हुआ। 100 में से 64 पार्षद उपस्थित हुए। शुरुआत 40 गांव के प्रस्ताव से हुई। पार्षद रवि माथुर ने कहा कि सौ वार्डो में ठीक से काम नहीं हो पा रहा है। ऐसे में 40 गांव शामिल होने से और भी दिक्कतें बढ़ जाएंगी। प्रकाश केसवानी ने कहा कि निगम की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। माली हालत को देखते हुए गांवों को निगम में नहीं जोड़ना चाहिए। धर्मवीर सिंह और शरद चौहान ने सीमा विस्तार की निंदा की। मनोज सोनी ने कहा कि नए गांव शामिल होने से स्टाफ बढ़ेगा। इससे और भी दिक्कतें बढ़ जाएंगी। जरीना बेगम, नेहा गुप्ता, अनीता खरे ने इतने अधिक गांवों को शामिल न करने पर जोर दिया। रवि शर्मा, महेश कुमार ने कहा कि निगम में आर्थिक संकट है। ऐसे में इतने अधिक गांव आने से और भी दिक्कत होगी। राजेश प्रजापति, राहुल चौधरी, राकेश जैन, अनुराग चतुर्वेदी, मोहन सिंह लोधी, आशीष पराशर, उमेश, उपेंद्र कुमार ने प्रस्ताव का विरोध किया, जबकि 40 गांव को निगम सीमा में शामिल होने के पक्ष में बंटी माहौर आए। शिरोमणि सिंह ने कहा कि गांव शामिल होने चाहिए लेकिन इसके लिए स्पेशल पैकेज की मांग करनी चाहिए। शाम चार बजे पार्षद सीटों पर खड़े हो गए और डायस के सामने आकर हंगामा करने लगे। मेयर ने सदन को 50 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। पांच बजे फिर से सदन शुरू हुआ। 40 गांवों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। कुछ देर बाद मेयर ने नौ गांवों के नाम पढ़कर सुनाए। इस पर चर्चा करने के लिए कहा। पार्षद रवि माथुर ने नौ गांवों में नैनाना जाट और रोहता को शामिल न करने की मांग की। 80 फीसद पार्षदों ने इस बात का समर्थन किया। रवि ने सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र और लखनपुर गांव के आंशिक क्षेत्र को शामिल करने की बात कही। इसे मंजूर कर दिया गया।

इनका क्‍या है कहना

अब सात गांव और सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र शामिल होंगे। प्रस्ताव शासन को भेजा जा रहा है।

नवीन जैन, मेयर

नगर निगम का दायरा और भी बढ़ जाएगा। इससे कई और दिक्कतें भी सामने आएंगे। नए अफसरों की तैनाती और हाउस टैक्स का लक्ष्य भी बदलेगा।

अरुण प्रकाश, नगरायुक्त


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.