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Unlock 1: 70 दिन बाद चिड़ियों की चहचहाहट के बीच सैर को निकले कदम

अनलॉक 1.0 में पालीवाल पार्क में पहुंचे पहुंचने लगे लोग। बैंचें हुईंं गुलजार दोस्तों की गप्पों से सजे पार्क के कोने। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नजर आए लोग।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 08:52 AM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 08:52 AM (IST)
Unlock 1: 70 दिन बाद चिड़ियों की चहचहाहट के बीच सैर को निकले कदम
Unlock 1: 70 दिन बाद चिड़ियों की चहचहाहट के बीच सैर को निकले कदम

आगरा, प्रभजोत कौर। ताजी हवा, चिड़ियों की चहचहाहट, कोई बैंडमिंटन खेल रहा है, किसी के कानों में हैडफोन लगे हैं और तेज कदमों से टहल रहा है। एक तरफ कुछ महिलाएं झुंड में दो महीने की जमा हुईं बातें कर रही हैं तो किसी ने बैंच पर ध्यान लगाया हुआ है। पालीवाल पार्क में सुबह छह बजे का यही नजारा था। 70 दिन के लॉक डाउन के बाद खुले सार्वजनिक पार्कों में लोग अपनी पुरानी दोसि्तयों, पुरानी बैठने की जगह और हरियाली की सुगंध को याद करते हुए पहुंचे।

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लॉक डाउन के बाद अनलॉक 1.0 में तीन जून से सार्वजनिक पार्कों में एक बार फिर से लोग पहुंचने लगे हैं। पहले दो दिन लोग अपने घरों से ज्यादा नहीं निकले। शनिवार को सुबह छह बजे से पालीवाल पार्क का नजारा ही अलग था। आम दिनों की तरह ही लोग अपने-अपने ग्रुपों में टहल रहे थे। बच्चे और युवा खेलने में व्यस्त थे, तो महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ बैठे-बैठे योगा कर रही थीं। पर इन 70 दिनों में बहुत कुछ बदल गया है। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ने लोगों की जिंदगी में अपनी जगह बना ली है। अपने घरों से पार्कों में पहुंचे लोग मास्क लगाए हुए थे। टहलते वक्त भी लोगों के बीच दूरी देखी जा सकती थी।

20 साल पहले यहीं बना था ग्रुप

पालीवाल पार्क में यूं तो कई ग्रुप हैं, पर एक ग्रुप हैं जो यही टहलते-टहलते बना है। इस ग्रुप में 14 सदस्य हैं। इनका एक वॉट्सएप ग्रुप भी बना हुआ है। जो टहलने नहीं आता, उसे सजा के तौर पर अपने पूरे ग्रुप को बेढ़ई-जलेबी का नाश्ता कराना पड़ता है। इस ग्रुप के सीनियर सदस्य अशोक आहूजा भरतपुर हाउस में रहते हैं। वे बताते हैं कि लॉक डाउन में वे अपनी कालोनी के पार्क में ही घूमते थे। लेकिन अपने दोस्तों को बहुत याद करते थे। पालीवाल पार्क में वे पिछले 55 सालों से टहलने आ रहे हैं। इसी ग्रुप के नारायन चंदानी अपने साथ सेनिटाइजर का स्प्रे लेकर चल रहे थे। जैसे ही उनके साथी कमल अरोरा और लाजपत बैडमिंटन खेलकर आए, उन्होंने तुरंत रैकेट और शटल कॉक को सेनिटाइज किया।

भजनों में लीन होकर कर रहे नृत्य

पालीवाल पार्क के एक कोने में चार-पांच बुजुर्ग बैंच भजनों में लीन थे। बैंच पर स्पीकर रखा था, जिसमें भजन बज रहे थे। सभी भक्ति में लीन अपने आराध्य को याद करते हुए नृत्य कर रहे थे।

विश्व पर्यावरण दिवस पर लगाए पौधे

पालीवाल पार्क में इस मौके पर प्रदीप खंडेलवाल और उनके सहयोगियों ने तुलसी के पौधे भी लगाए। वे बताते हैं कि इस लॉक डाउन में उन्होंने अपने साथियों के साथ चिड़ियों को दाना डालने की सेवा भी शुरू की है। हर रोज पालीवाल पार्क से ताजमहल तक कई हिस्सों में बंट कर टीमें पचास किलो दाना हर रोज चिड़ियों को डालते हैं।

बढ़ जाएगा लॉकडाउन, तैयार रहो

70 दिनों बाद अपने दोस्तों और सहेलियों से मिले लोगों में चर्चा का विषय कोरोना ही था। लॉक डाउन कैसे बीता, क्या किया से लेकर क्या लॉक डाउन एक बार फिर से लगेगा तक की चर्चा हो रही थी। दो बैंचों पर बैठा एक ग्रुप को लग रहा था कि यह अनलॉक जल्द ही खत्म कर देंगे और फिर से लॉक डाउन लगा देंगे। महिलाओं का ग्रुप इस बात पर चर्चा कर रहा था कि बेशक लॉक डाउन लगा दें, लेकिन कामवालियों को आने की अनुमति दे दें, अब घर का काम करना मुश्किल हो गया है।


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