अधर में सम्मान, आधार कार्ड से नहीं मिला 1.55 लाख किसानों का डाटा Agra News
तकनीकी दिक्कतों में फंसी पीएम किसान सम्मान निधि। सैकड़ों की दूसरी और तीसरी किस्त रुकी अब हो रहा सुधार।
आगरा, जेएनएन। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में अब आधार का पेंच फंस गया है। मैनपुरी जिले में 1.55 लाख से ज्यादा किसानों के डाटा का आधार कार्ड से मिलान नहीं हुआ। इस वजह से सरकार ने इन किसानों को मिलने वाली सम्मान निधि रोक दी है। जिले के सभी नौ ब्लॉकों में बड़ी संख्या में किसानों का डाटा मिसमैच मिला। अब विभाग ऐसे किसानों को एक और मौका देने जा रहा है। किसान जन सेवा केंद्रों के अलावा खुद भी इस कमी को सुधार सकते हैं।
इसी साल पेश हुए केंद्रीय बजट में पीएम मोदी की सरकार ने किसानों को आर्थिक मदद देने के इरादे से पीएम किसान सम्मान निधि योजना का आगाज किया था। योजना लागू होने के बाद हजारों किसानों को पहली किस्त के रूप में दो हजार रुपये की मदद मिली। रकम भले ही छोटी है, लेकिन वक्त-बेवक्त जेब खाली होने पर यही मददगार होती है। योजना के शुभारंभ वाले दिन ही जिला के 48 हजार से ज्यादा किसानों के खातों में योजना की पहली किस्त आई। इससे उनके चेहरों पर खुशियां बिखर गईं।
यह है वजह
किसानों की सम्मान निधि रुकने के पीछे डाटा मिस मैच होना बताया जा रहा है। कृषि विभाग के अनुसार, योजना मेें पात्र मिले किसानों ने खतौनी के जो कागजात लगाए हैं, उनमें नाम की शाब्दिक गलती से किस्त आना बंद हो गया। केंद्रीय स्तर पर इसी वजह से ऐसे किसानों के खातों में योजना की कोई भी किस्त नहीं भेजी जा रही है। सरनेम भी गलती की वजह है।
खुद सुधारें गलती
सरकार अब आधार के नाम को प्राथमिकता दे रही है। अब ऐसे किसान अपने गलत डाटा को खुद के स्मार्ट फोन की मदद से डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.पीएम किसान.जोव. इन साइट पर जाकर सुधार सकते हैं। इसके अलावा जन सेवा केंद्रों के माध्यम से आधार में दर्ज नाम को दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा कृषि विभाग के बीज गोदामों पर जाकर भी इस काम को कराया जा सकता है।
योजना पर एक नजर
योजना में पात्र किसान- 2.94 लाख।
पहली किस्त लेने वाले- 1.96 लाख।
दूसरी किस्त लेने वाले-1.68 लाख।
तीसरी किस्त लेने वाले- 1.42 लाख।
15 नवंबर गलती सुधरवाएं
डाटा मिस होने से किसानों की किश्त रुकी हुई है। डाटा ठीक कराने का काम हो रहा है। टीमें लगाई गई हैं। किसान इस गलती को 15 नवंबर तक सुधरवा सकते हैं, इसके बाद किश्त मिलना मुश्किल होगा।
- डीवी सिंह, उप निदेशक- कृषि