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NHAI पर भारी पड़ा मानकों को नहीं मानना, 6.84 करोड़ रुपये के जुर्माने की संस्‍तुति Agra News

सीपीसीबी और यूपीपीसीबी ने रिपोर्ट तैयार कर सदस्य सचिव को भेजी। पांच वर्ष तक हाईवे पर धूल उडऩे के मामले में की गई कार्रवाई।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 04 Aug 2019 12:28 PM (IST)Updated: Sun, 04 Aug 2019 12:28 PM (IST)
NHAI पर भारी पड़ा मानकों को नहीं मानना, 6.84 करोड़ रुपये के जुर्माने की संस्‍तुति Agra News
NHAI पर भारी पड़ा मानकों को नहीं मानना, 6.84 करोड़ रुपये के जुर्माने की संस्‍तुति Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) पर 6.84 करोड़ रुपये के जुर्माने की संस्‍तुति की गई है। नेशनल हाईवे पर पांच वर्ष तक धूल उडऩे और पर्यावरण को क्षति पहुंचाने पर यह कार्रवाई की गई है। इस संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने संयुक्त अध्ययन रिपोर्ट यूपीपीसीबी के सदस्य सचिव को भेज दी है।

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नेशनल हाईवे-19 (पूर्व में नेशनल हाईवे-2) को सिक्स लेन करने के लिए वर्ष 2012 में टेंडर हुए थे। करीब पांच वर्षों से हाईवे के चौड़ीकरण का काम चल रहा है। एनएचएआइ द्वारा सड़क के चौड़ीकरण में खोदाई और आधे-अधूरे निर्माण कार्य से आसपास रहने वाले लोगों के लिए धूल मुसीबत बन गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अध्ययन में हाईवे पर निर्माण कार्य के दौरान धूल कण उड़ते मिले। मानकों का अनुपालन भी नहीं हो रहा था। ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) अथॉरिटी ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित टीम के चेयरमैन को भी आगरा दौरे में हाईवे पर धूल उड़ती हुई मिली। एनजीटी के निर्देशों पर सीपीसीबी व यूपीपीसीबी द्वारा पांच वर्षों में पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य को पहुंची क्षति के आधार पर जुर्माने का आकलन किया गया। एनजीटी द्वारा तय फार्मूले के आधार पर अध्ययन के बाद 68437500 रुपये के जुर्माने का आकलन कर संयुक्त रिपोर्ट यूपीपीसीबी, लखनऊ के सदस्य सचिव आशीष तिवारी को भेजी गई है।

उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी भुवन यादव ने बताया कि एनएचएआइ पर 6.84 करोड़ रुपये के जुर्माने की सिफारिश की गई है। लखनऊ मुख्यालय के स्तर पर भी इसका आकलन होगा।
 
 
 
जुर्माने के लिए यह बिंदु बने आधार
- पांच वर्षों में धूल उडऩे से रोकने को क्या उपाय किए।
- धूल उडऩे से क्षेत्र की कितनी आबादी पर दुष्प्रभाव हुआ।
- धूल उडऩे से वायु गुणवत्ता पर क्या असर हुआ।
- हाईवे बनने में कितने समय तक खोदाई हुई।
- रोड चौड़ा करने में एक किमी में कितनी मिट्टी निकली।
 
दिल्ली-आगरा-इटावा हाईवे, जयपुर हाईवे पर उड़ती रहती है धूल
नगर निगम, एसएन मेडिकल कॉलेज की राह पर ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) मथुरा और आगरा खंड चल रहा है। हाईवे पर चौड़ीकरण के काम चल रहे हैैं, इसकी वजह से दिन भर धूल उड़ती है।
उप्र सालिड वेस्ट मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन जस्टिस डीपी सिंह की अगुवाई में टीम ने हाईवे का भी निरीक्षण किया था। एत्मादपुर सहित कई स्थलों पर धूल उड़ रही थी। इससे पर्यावरण को तो नुकसान पहुंच ही रहा है, लोगों में बीमारी फैलने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। कमेटी की जांच में इसका उल्लेख किया गया है लेकिन जुर्माना फिलहाल तय नहीं हुआ है। 

मानीटरिंग में लापरवाही से बिगड़े हालात
एनएचएआइ मथुरा और आगरा खंड के अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। चौड़ीकरण के कार्य की मानीटरिंग ठीक से नहीं की जा रही है। इसी का नतीजा है कि धूल उड़ रही है। निर्माण कार्य के दौरान जो इंतजाम किए जाने चाहिए, वह नहीं किए जा रहे। 
 
एनजीटी को भेजी जाएगी रिपोर्ट
नेशनल हाईवे पर धूल उडऩे की शिकायतें मिली हैं। इसकी जांच कराई गई है। जल्द ही एनजीटी को रिपोर्ट भेजी जाएगी। 
जस्टिस डीपी सिंह, चेयरमैन उप्र सालिड वेस्ट मैनेजमेंट कमेटी

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