दीदार-ए-ताज में बंदर बने विलेन, विदेशी महिला पर्यटकों को किया घायल
फ्रांस की महिला पर्यटक 38 वर्षीय टीकू और 32 वर्षीय फॉससर्ड पर बंदरों ने पीछे से हमला कर दिया। जिसमें से एक महिला पर्यटक को सिर्फ बंदर का पंजा लगा।
आगरा (जेएनएन)। मोहब्बत की इमारत का भ्रमण फ्रांस की दो महिला पर्यटकों के लिए हादसे का सबब बन गया। एक तरफ शहरवासी पहले ही बंदरों के उत्पात से ग्रस्त हैं वहीं अब ताज महल परिसर में भी बंदरों का उत्पात पहुंच चुका है। मंगलवार सुबह ताज के दीदार के लिए पहुंची दो महिला पर्यटक बंदरों के उत्पात की शिकार हो गई। सुबह विदेशी पर्यटकों का दल ताज महल भ्रमण के लिए पहुंचा।
ताज महल परिसर में सेंट्रल टैंक के पास से दल के सदस्य गुजर रहे थे। तभी वहां बंदरों का झुंड पहुंच गया। पर्यटकों में से किसी ने बंदरों को भगाने की कोशिश की जिससे बंदर पर्यटकों के पीछे भागने लगे। बंदरों के अचानक हुए हमले से परिसर में मौजूद अन्य पर्यटकों में भगदड़ मच गई। इसी अफरा तफरी में फ्रांस की महिला पर्यटक 38 वर्षीय टीकू और 32 वर्षीय फॉससर्ड पर बंदरों ने पीछे से हमला कर दिया।
जिसमें से एक महिला पर्यटक को सिर्फ बंदर का पंजा लगा। दूसरी महिला पर्यटक के पैर में बंदर ने काट लिया। मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने पहले तो बंदरों को भगाया इसके बाद दोनों महिला पर्यटकों को प्राथमिक उपचार दिया गया। दोनों महिलाओं को व्हील चेयर पर बैठाकर परिसर से बाहर लाया गया। दोनों पर्यटकों को उपचार के लिए अस्पताल भेज दिया गया। बंदरों के इस हमले से पर्यटक भयभीत हो गए।
भारी सुरक्षा के बीच बंदरों के इस हमले ने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी। यदि सुरक्षाकर्मी मुस्तैद होते तो बंदरों को हमला करने से पहले ही भगा दिया गया होता। बता दें कि ताजनगरी में बंदरों का उत्पात गंभीर समस्या बनता जा रहा है। प्रशासन द्वारा कई योजनाएं बनाई गई लेकिन गंभीर प्रयासों की कमी के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है।
पहले भी हो चुके हैं बंदरों के हमले
ताज महल भ्रमण के लिए प्रतिदिन 12 से 15 हजार देशी- विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं। ताज महल परिसर में लंबे समय से बंदरों के उत्पात की समस्या बनी हुई है। कई बार बंदर पर्यटकों पर हमला कर चुके हैं, बावजूद इसके सुरक्षा के कोई भी उपाय अभी तक नहीं तलाशे गए हैं। बंदरों के नियंत्रण को बनी योजनाएं ठंडे बस्ते में कुछ समय पूर्व जिला प्रशासन ने वाइल्ड लाइफ एसओएस संस्था के साथ बंदरों की नसबंदी की योजना चलाई थी।
योजना के अंतर्गत 500 बंदरों की नसबंदी करके उन्हें चिन्हित कर दिया गया था। इसके बाद वन विभाग ने योजना को आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं दी। इससे पूर्व कीठम क्षेत्र में वानर वाटिका बनाने की भी योजना बनाई जा चुकी है लेकिन इसे भी अमल में नहीं लाया गया।