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सूख रही दूध की धार, किन कारणों ने बिगाड़े हालात, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

चार सौ की जरूरत 264 मिलीलीटर ही मिल रहा दूध। महंगाई और पशुओं के कटान ने बिगाड़े हालात।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 26 May 2019 02:55 PM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 02:55 PM (IST)
सूख रही दूध की धार, किन कारणों ने बिगाड़े हालात, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

आगरा, संजीव जैन। ताजनगरी जोन समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश दूध के उत्पादन में नंबर एक है। लेकिन, इसका एक स्याह पहलू ये भी है कि यहां के लोग खून के आंसू पी रहे हैं। यहां दूध पर दिल्ली की तुलना में प्रति माह 12 रुपये अधिक खर्च आता है। एक व्यक्ति को हर दिन कम से कम 400 मिलीलीटर दूध की जरूरत है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति के हिस्से में 268 मिलीलीटर ही दूध आ रहा है। ब्रज क्षेत्र में तो हालात और भी खराब हैं। यहां तो प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन महज 264 मिलीलीटर ही दूध उपलब्ध हो रहा है।

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वजह साफ है। महंगाई और पशु कटान ने दूध की रंगीन तस्वीर को बदरंग कर दिया है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, पशुपालन विभाग, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन, एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) व आर्थिक सलाहकार कार्यालय भारत सरकार की रिपोर्ट से ये सच सामने आया है।

ये है रिपोर्ट का सच

देश के 176347 हजार टन दुग्ध उत्पादन में उप्र 29052 हजार टन दूध का उत्पादन करके नंबर वन है, जबकि दिल्ली में उत्पादन 279 हजार टन है। पंजाब में 11855 हजार टन, दमन एवं दीप में सबसे कम एक हजार टन, राजस्थान में 22427 हजार टन, उत्तराखंड में 17420 हजार टन, हरियाणा में 9809 हजार टन दूध का उत्पादन होता है। आगरा व अलीगढ़ मंडल की हिस्सेदारी 2690 हजार टन, 445 हजार टन है।

बढ़ गया परिवार का खर्च

दूध की कमी से देश में प्रति व्यक्ति दूध और दुग्ध उत्पाद पर खर्च होने वाले व्यय में प्रति माह 8 रुपये का इजाफा हुआ है। आगरा जोन व दिल्ली एनसीआर में यह 12 रुपये है। वर्ष 1971 में ग्रामीण क्षेत्र में यह खर्च 3.02 रुपये व शहरी क्षेत्र में 5.01 रुपये था। वर्ष 2012 में यह बढ़कर क्रमश:116.38 रुपये व 187.14 हो गया। वर्तमान में यह खर्च अनुमानित क्रमश: 240.43 व 288.32 रुपये है। यानी 2012 की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में 24.05 रुपये व शहरी क्षेत्र में 101.18 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। हरियाणा में दूध उत्पाद पर खर्च 224 रुपये से बढ़कर 240 रुपये, उप्र में 211 रुपये से 312 रुपये, दिल्ली में 211 रुपये से 312 रुपये और पंजाब में 209 रुपये से 212 रुपये हो गया है।

ये भी हैं कारण

- एक साल पहले आगरा में दूध 35 से 40 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था, जो अब 42 से 54 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है।

- पश्चिमी उप्र के आगरा व अलीगढ़ मंडल, मेरठ, रामपुर, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, मुरादाबाद, जेपी नगर, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, सहारनपुर व मुजफ्फरनगर में तमाम सख्ती के बाद भी रोज 25 हजार पशुओं का कटान हो रहा है, जो देश के किसी भी क्षेत्र में सर्वाधिक कटान है। इन शहरों से घरेलू खपत को छोड़कर रोज 232 टन मीट निर्यात होता है।

- पशु जनगणना उत्तर प्रदेश के अनुसार, पश्चिमी उप्र में लगातार पशुओं की संख्या घटती जा रही है। ऐसे में कटान के लिए माफिया पशुओं की तस्करी कर रहे है।

- देश में मीट निर्यात के लिए पंजीकृत 88 कंपनियों में से 42 पश्चिमी उप्र में हैं। जिनमें 22 अकेले मेरठ में हैं। इनमें रोजाना 10 से 15 हजार पशुओं का कटान हो रहा है। यही कारण है कि पशुओं की संख्या और दूध का उत्पादन तेजी से घट रहा है। लेकिन एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) फिर भी इन दोनों के बढऩे का दावा कर रहा हैं।

बच्चे को नहीं मिल रहा दूध

एक व्यक्ति को हर दिन 400 ग्राम दूध की जरूरत है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के अनुसार उप्र में मांग के सापेक्ष 260 ग्राम व आगरा में 188 ग्राम दूध उपलब्ध है। मिलावटी दूध का यही मुख्य कारण है। आगरा जिले के 50 लाख लोगों को रोजाना 20 लाख लीटर दूध की जरूरत है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 9 लाख लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है, इसमें से 25-30 फीसद दिल्ली जाता है। इन हालात में रोजाना 5 से 6 लाख लीटर दूध नकली बनाया जा रहा है, जबकि अन्य की आपूर्ति दूध के पाउडर से हो रही है।

दूध के रेट आसमान पर

2009 में ब्रांडेड दूध 24 से 26 रुपये था जो कि आज 42-54 रुपये तक बिक रहा है। पराग डेयरी के महाप्रबंधक अविनाश कुमार का कहना है कि दूध के खरीद रेट बढऩे के कारण तीन दिन पहले उन्होंने भी प्रति लीटर दो रुपये दूध के रेट बढ़ाए हैं। अभी हाल ही में मदर डेयरी ने भी दूध के दाम बढ़ाए हैं। 

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