मेघ ने घोली खारे पानी में मिठास
पंद्रह साल से बंद पड़ी बोरिंग में डाल रहे बरसात और नहर का फालतू पानी
आगरा, मनोज चौधरी: मथुरा जिले का साठ फीसद इलाका खारे पानी की समस्या से जूझ रहा है। पानी की तासीर बदलने के लिए जिले के चुनिंदा लोग ही काम कर रहे हैं। गाव वाटी के किसान मोती सिंह के बाद गांव अड्डा के किसान मेघ श्याम कुंतल ने भी खारे पानी को मीठे पानी में बदलने का करिश्मा कर दिखाया है। करीब पंद्रह साल पुरानी बंद पड़ी बोरिंग, जिसके भू-गर्भ जल स्त्रोत खारे हो गए थे उसमें दो साल पहले बरसात और नहर के फालतू पानी को डालना शुरू किया। आज दो साल बाद खारा पानी मीठे में बदल गया।
गोवर्धन विकास खंड की ग्राम पंचायत सींगापट्टी के मजरा अड्डा के किसान मेघश्याम कुंतल की करीब 40 साल पुरानी बोरिंग का पानी पंद्रह साल पहले खारी हो गया था। यह पानी अगर खेत में देते तो मिट्टी भी खराब हो जाती। खेतों की ऊपरी परत पर नमक जमना भी शुरू हो गया था। हरे-भरे पेड़-पौधे सूखने लगे। उन्होंने फोंडर माइनर के पास से पाइप लाइन बिछाई और खेती करना शुरू कर दिया था लेकिन वह बोरिंग के खारे पानी को लेकर लगातार सोचते रहे। करीब दो साल पहले उन्होंने वाटर रिचार्ज के बारे में सोचा। बोरिंग के पाइप पर वॉल्व कस दिया और बरसात के पानी का रुख इसकी तरफ कर दिया। पाइप लाइन से निकलने वाले नहर के अतिरिक्त पानी का रुख भी बोरिंग के गढ्डे की ओर कर दिया। करीब दो साल तक लगातार बरसात और नहर का पानी बोरिंग में जाता रहा। दो साल बाद एक दिन उन्होंने बोरिंग के पानी की जाच की तो जादुई करिश्मा हो गया। बोरिंग का खारी पानी मीठा हो चला था। आज वह उसी बोरिंग से खेतों को सींच रहे हैं। कभी पेड़-पौधे जिस बोरिंग के पानी से जलकर सूख रहे थे, आज उसी पानी से नींबू, पपीता, चीकू, अमरुद हरे-भरे हो गए हैं। सब्जियों का उत्पादन भी बढ़ गया है। वाटर रिचार्ज पर उनकी कोई लागत भी नहीं आई और न ही कोई खास मेहनत करनी पड़ी। इससे पहले मथुरा विकास खंड के गाव वाटी के किसान मोती सिंह भी वाटर रिचार्ज करके खारे पानी के स्त्रोत को मीठे जल स्त्रोत में बदल अपनी तकदीर संवार चुके हैं।
यहा मिलता ये पानी:
मथुरा जिले के साठ फीसद क्षेत्रफल का भूमिगत जल सिंचाई और पीने के काबिल नहीं है। चौमुंहा, फरह , गोवर्धन ब्लाक इससे सर्वाधिक प्रभावित है। शहरी क्षेत्र में सदर बाजार के मुहल्ला बंगलिया कॉलोनी में एक दर्जन से अधिक मकानों में लगी समर्सिबल ने रातों-रात पानी देना छोड़ दिया था। प्रभावित लोगों ने दुबारा से बोरिंग कराई तो बीस-बीस फीट नीचे पानी खिसक गया था। जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में खारा, कडुवा, तेलीय और तेलीय कडुवा पानी है।