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जानिए क्यों मकर संक्रांति पर दान के साथ खाते भी हैं खिचड़ी, पढ़ें पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व

Makar Sankranti 2022 बाबा गोरखनाथ ने शुरू की थी मकर संक्रांति पर खिचड़ी सेवन करने की परंपरा। खिलजी ने आक्रमण किया तो लगातार संघर्षरत रहने के चलते नाथ योगी भोजन तक नहीं कर पाते थे। उर्जा प्रदान करने के लिए बाबा गोरखनाथ बनवाते थे खिचड़ी।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 03:22 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 03:22 PM (IST)
मकर संक्रांति पर खिचड़ी सेवन का है पौराणिक के साथ वैज्ञानिक महत्व।

आगरा, जागरण संवाददाता। मकर संक्रांति का पर्व बस चार दिन बाद ही है। सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक मकर संक्रांति पर्व को गंगा स्नान, सूर्य उपासना, पतंग उत्सव और दान के साथ ही खिचड़ी के लिए भी जाना जाता है। यूं पूरे देश में मकर संक्रांति पर्व को अलग- अलग नामों से मनाया जाता है। लेकिन इस दिन ख‍िचड़ी बनाए जाने की परंपरा कई प्रदेशों में है। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने की परंपरा की शुरूआत सदियों पहले बाबा गोरखनाथ ने की थी। 

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पौराणिक कथा

जब खिलजी ने आक्रमण किया तो लगातार संघर्षरत रहने के चलते नाथ योगी भोजन तक नहीं कर पाते थे। इसके पीछे कारण यह था कि आक्रमण के चलते योगियों के पास भोजन बनाने का भी समय नहीं रहता था। वह अपनी भूमि को बचाने के लिए संघर्ष करते रहते थे और अक्‍सर ही भूखे रह जाते थे। खिलजी के साथ आक्रमण में नाथ योगी भूखे ही संघर्षरत रहते थे। बाबा गोरखनाथ ने इस समस्‍या का हल निकालने की सोची। लेकिन यह भी ध्‍यान रखना था कि ज्‍यादा समय भी न लगे। तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्‍जी को एक साथ‍ पकाने की सलाह दी। बाबा गोरखनाथ का बताया हुआ यह व्‍यंजन नाथ योगियों को बेहद पसंद आया। इसे बनाने में काफी कम समय तो लगता ही था साथ ही काफी स्‍वादिष्‍ट और त्‍वरित ऊर्जा देने वाला भी होता था। कहा जाता है कि बाबा ने ही इस व्‍यंजन को खिचड़ी का नाम दिया। कहा जाता है कि फटाफट तैयार होने वाले इस व्‍यंजन से नाथ योगियों को भूख की परेशानी से राहत मिल गई। इसके अलावा वह खिलजी के आतंक को दूर करने में भी सक्षम हुए। इसके बाद से ही गोरखपुर में मकर संक्रांति के दिन को बतौर विजय दर्शन पर्व के रूप में भी मनाया जाने लगा।

सेहत के लिए लाभदायक है संक्रांति पर खिचड़ी

ज्‍योतिषशास्‍त्र के मुताबिक खिचड़ी का मुख्‍य तत्‍व चावल और जल चंद्रमा के प्रभाव में होता है। इस दिन खिचड़ी में डाली जाने वाली उड़द की दाल का संबंध शनि देव से माना गया है। वहीं हल्‍दी का संबंध गुरु ग्रह से और हरी सब्जियों का संबंध बुध से माना जाता है। वहीं खिचड़ी में पड़ने वाले घी का संबंध सूर्य देव से होता है। इसके अलावा घी से शुक्र और मंगल भी प्रभावित होते हैं। यही वजह है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से आरोग्‍य में वृद्धि होती है।


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