Move to Jagran APP

Ambedkar University Agra: वाह रे विवि, 300 दिन तक लगी रही आपत्ति, फिर कहा- गलती से लग गई

Ambedkar University Agra छात्रा के पिता के सामने कबूली गलती अभी भी नहीं मिली डिग्री। दो बार बनवा ली अंकतालिका डिग्री फिर भी नहीं बनाई। डॉ बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय के बाबू की इस कार्यप्रणाली से सभी हैरान हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 03:17 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 03:17 PM (IST)
Ambedkar University Agra: वाह रे विवि, 300 दिन तक लगी रही आपत्ति, फिर कहा- गलती से लग गई
दो बार बनवा ली अंकतालिका, डिग्री फिर भी नहीं बनाई।

आगरा, जागरण संवाददाता। 300 दिन तक डिग्री आवेदन पर आपत्ति थी। छात्रा चक्कर काट-काट कर परेशान हो चुकी थी। इसी बीच छात्रा ने अपनी अंकतालिकाएं भी दोबारा बनवा लीं, आपत्ति फिर भी नहीं हटी।छात्रा जब पूरी तरह से टूट गई तो अपने पिता को अपने साथ लेकर आई। पिता ने सवाल किए तो डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के एक विभाग की बाबू ने माना कि आपत्ति गलती से लग गई थी। आवेदन में कहीं कोई कमी नहीं थी। विश्वविद्यालय के बाबू की इस कार्यप्रणाली से सभी हैरान हैं और सवाल कर रहे हैं कि किस आधार पर छात्रा के आवेदन को 300 दिन के लिए रोका गया था?

loksabha election banner

यह पहला मामला नहीं है जब छात्रों के आवेदन को आपत्ति लगाकर सालों रोका गया है। चक्कर काटने को मजबूर छात्र विश्वविद्यालय के बाबूओं के हाथ का खिलौना बन जाते हैं। 300 दिन तक जिस छात्रा का आवेदन रोका गया, वो बीसीए की है।उसके पिता के सामने गलती कबूल करने के बाद भी डिग्री नहीं बनी है।

दो बार बनवा ली अंकतालिकाएं

शशि बघेल नाम की छात्रा ने 2014 में विश्वविद्यालय से बीसीए किया था। डिग्री के लिए आवेदन किया। 300 दिन तक आवेदन आपत्तियों के ढेर के नीचे दबा रहा। नामांकन विभाग की एक बाबू ने कहा कि अंकतालिकाएं गलत हैं, दोबारा बनवा लो।छात्रा ने आनलाइन फीस जमा की और साइबर कैफे से अंकतालिकाओं के प्रिंट निकलवा लिए। इन अंकतालिकाओं पर भी आपत्ति लगा दी गई, छात्रा ने फिर से 1500 रुपये खर्च किए और अंकतालिकाएं बनवाईं। इसके बाद भी डिग्री नहीं मिली है।

इंदू को नहीं मिला डिग्री

छात्रा इंदू वाजपेयी ने मुख्यमंत्री का ट्वीट कर अपनी डिग्री निकलवाने की मदद मांगी थी।इंदू को अभी तक डिग्री नहीं मिली है।इसी तरह कई छात्र राज्यपाल, कुलपति यहां तक की प्रधानमंत्री से भी मदद की गुहार लगा चुके हैं, पर कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

हर रोज हेल्प डेस्क पर लगती है लाइन

विश्वविद्यालय की हेल्प डेस्क पर हर रोज सैंकड़ों छात्र पहुंचते हैं। किसी का आवेदन 700 दिन से रुका है तो किसी का 500 दिन से, प्रार्थना पत्रों के ढेर लग रहे हैं पर डिग्रियां नहीं बन रही हैं। वहीं विश्वविद्यालय हर रोज 200 से 250 डिग्री प्रिंट कराकर प्रेषित करने की बात कर रहा है, जबकि असलियत इसके उलट है। विश्वविद्यालय की हेल्प डेस्क पर हर रोज लगभग 200 आवेदन हर रोज आते हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.