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राम सरसि बरू दुलहिनि सीता। समधी दसरथु, जनकु पुनीता।।

रात भर के नगर भ्रमण के बाद वैदेही को ब्याहने जनक पुरी पहुंचे श्री राम। श्रीराम के दर्शनों को उमड़ी भीड़। कलकत्ते वाली बगीची में उतारी गई स्वरूपों की आरती।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 12:57 PM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 12:57 PM (IST)
राम सरसि बरू दुलहिनि सीता। समधी दसरथु, जनकु पुनीता।।

आगरा [जेएनएन]: राजा जनक की नगरी जनकपुरी ने पुष्प वर्षा के साथ अपने प्रभु श्रीराम का दर्शन जब किया तो मानों हर कोई अपलक निहारता ही रह गया। महीनों की तैयारी और इंतजार उस वक्त सफल हुआ जब वैदेही को ब्याहने प्रभु श्रीराम रातभर नगर भ्रमण करने के बाद जनकपुरी पहुंचे। सूरज की किरणों से अधिक आभा प्रभु के मुख पर थी और उनकी शोभा बखानी नहीं जा रही थी। उधर प्रभात की बेला में जनक महल भी

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स्वर्णिम आभा बिखेर रहा था। दर्शन को जुटे श्रद्धालु अपलक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की मनोहर छवि निहार रहे थे। उनके पास तो नहीं जा पा रहे, लेकिन मन ही मन दूर से ही उनकी आराधना कर रहे थे।

शुक्रवार को नगर के प्रमुख मार्गों से निकली रामबरात शनिवार सुबह जनकपुरी पहुंची। कोई मार्ग ऐसा नहीं था, जहां जन-जन के आराध्य प्रभु राम के स्वागत को आतुर श्रद्धालुओं ने पुष्प ना बिछाए हों। सुबह जनकपुरी पहुंचने पर कलकत्ते वाली बगीची में श्री राम सहित चारों भाइयों के स्वरूपों की आरती उतारी गई। राजा जनक दीपक गोयल और रानी सुनैना ममता गोयल सहित अन्य लोगों ने अपने आराध्य के स्वरूप की आरती उतारी।

बरातियों का स्वागत और नाश्ता यहां हुआ। इसके बाद यहां से वर यात्रा रवाना हुई। वर यात्रा में सबसे आगे मुनियों के स्वरूप चल रहे थे। उनके पीछे चांदी के रथ में सवार भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी के स्वरूप थे। सड़क के दोनों ओर भक्त कतार लगाए खड़े थे। दशरथ नंदन चारों भाई अलग- अलग रथ पर सवार थे। जगह- जगह स्वागत और मार्ग पर फूलों का कालीन, दृश्य ऐसा कि लग रहा था कि देव अपने आराध्य के सत्कार में आसमान से पुष्प वर्षा कर रहे हों। अभिनंदन परिवार द्वारा रिंग रोड तिराहे पर स्वरूपों की आरती उतारी गई।

खबर लिखे जाने तक स्वरूप जनक पुरी का भ्रमण कर रहे थे। इसके बाद विजय नगर स्थित राधा कृष्ण मंदिर में बने जनवासे में विश्राम होगा।

तुलसी- सालिगराम विवाह से पूर्ण होगी विवाह लीला

उत्तर भारत की प्रमुख राम लीला में राम बरात और जनकपुरी भव्य आयोजन होते हैं। संस्कृति और परंपरा की अनूठी शोभा इस आयोजन में दिखाई देती है। कई दशकों पुराने आयोजन को दिव्य स्वरूप मिलता है माता जानकी और प्रभु श्रीराम के विवाह के प्रतीक तुलसी- सालिगराम के गठबंधन से। शनिवार को दोपहर बाद विजय क्लब में यह आयोजन होगा। मंत्रोच्चारण के साथ विवाह की हर रस्म पूर्ण होंगी। महिलाएं मंगल गीत गाएंगी तो पुरुष बरातियों के सत्कार एवं अन्य जिम्मेदारियों का निर्वाहन करेंगे। ब्राह्मण वैवाहिक संस्कार कराएंगे। कन्यादान का पुण्य कमाने वालों के मध्य जैसे होड़ सी लग जाएगी। चुनरी में सकुचाई तुलसा और सेहरा बांधे सालिगराम जी के विवाह में शामिल होने का सौभाग्य हर शहरवासी प्राप्त करना चाहता है।

शाम को बिखरेगी अनुपम छटा

यूं तो शनिवार की शाम भी अन्य दिनों की भांति ही होगी लेकिन मिथिलानगरी में अनुपम और अलौकिक छटा बिखरी होगी। रोशनी से झिलमिलाते जनक महल में माता जानकी, प्रभु श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शुत्रघ्न के स्वरूप विराजेंगे। जन सैलाब अपने आराध्य की आभा को निहारने के लिए उमड़ पड़ेगा।


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