Lockdown 3.0: शर्मनाक! गिड़गिड़ाता रहा बेटा, टालते रहे डॉक्टर और व्हीलचेयर पर ही हो गई मौत
सुबह सात बजे तबीयत बिगडने पर 59 साल के मरीज को लेकर पहुंच गए थे परिजन। ढाई घंटे बाद पर्चा बना इधर से उधर दौडाते रहे डॉक्टर और कर्मचारी।
आगरा, जागरण संवाददाता। जिला अस्पताल में अपने मूक बधिर पिता के इलाज के लिए गुरुवार सुबह तीन घंटे युवक गिडगिडाता रहा। ढाई घंटे बाद पर्चा बना, व्हीलचेयर पर पिता को लेकर एक से दूसरे कमरे में चक्कर लगाता रहा। तीन घंटे बाद डॉक्टर ने देखा। मगर, तब तक मौत हो चुकी थी।
ईदगाह निवासी सलमान ने बताया कि उसके 59 साल के पिता साहित अली मूक बधिर थे, सुबह अचानक से तबीयत बिगड गई। उन्हें सुबह सात बजे जिला अस्पताल लेकर पहुंच गए। आरोप है कि कर्मचारियों ने कह दिया कि आठ बजे के बाद पर्चे का काउंटर खुलेगा, इसके बाद ही डॉक्टर को दिखा सकते हैं। जिला अस्पताल में इमरजेंसी भी है, वहां भर्ती नहीं किया। पर्चे का काउंटर खुलने के बाद सैनेटाइज किया गया, लाइन में लगकर 9:24 पर पर्चा बन सका। पर्चे पर कमरा नंबर 24 लिखा, इसे बाद में 35 नंबर कर दिया। पिता को व्हीलचेयर पर बिठाकर 35 नंबर कमरे में पहुंचे, वहां से 31 नंबर कमरे में भेज दिया। यहां से डॉक्टर ने कह दिया कि 30 नंबर कमरे में दिखा लें। व्हीलचेयर पर पिता को बिठाकर 30 नंबर कमरे में लेकर पहुंचे, वहां से 24 नंबर में भेज दिया। यहां डॉक्टर ने देखने के बाद कह दिया कि इनकी मौत हो चुकी है। जिला अस्पताल के रिकॉर्ड में 10 बजे साहिद को मृत अवस्था में लेकर आना दर्शाया है।
जिला अस्पताल में 24 घंटे इमरजेंसी सेवा
जिला अस्पताल में 24 घंटे इमरजेंसी सेवा है। मगर, व्हीलचेयर पर बेसुध मरीज को इमरजेंसी में भर्ती नहीं किया गया। जिससे उन्हें सुबह सात बजे ही इलाज मिल सकता था, कह दिया गया कि पर्चे का काउंटर खुलने पर ही इलाज मिल सकेगा।
पहले भी हो चुकी है इलाज के अभाव में मौत
जिला इस्पताल में इलाज के अभाव में मौत का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले नौलक्खा के एक बुजुर्ग को गंभीर बीमार होने पर एसएन में लाया गया था। यहां भर्ती करने से इंकार कर दिया गया। इसके बाद उन्हें लेकर परिजन जिला अस्पताल पहुंचे। यहां भी इलाज नहीं मिला। बुजुर्ग कार के अंदर ही बैठे रहे। जबकि परिजन उन्हें भर्ती करने के लिए डॉक्टरों से अनुरोध करते रहे। कार के अंदर बैठे ही बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया।