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Leather Work in Agra: चमड़े का कारोबार धड़ाम, बकरीद की उम्मीद भी टूटी

Leather Work in Agra बकरे की खाल पांच से दस रुपये में बिक रही पहले बिकती थी 320 रुपये। 250 से ज्यादा चमड़ा कारोबारी कोरोना काल में भुखमरी के कगार पर।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 06:04 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 06:04 PM (IST)
Leather Work in Agra: चमड़े का कारोबार धड़ाम, बकरीद की उम्मीद भी टूटी
Leather Work in Agra: चमड़े का कारोबार धड़ाम, बकरीद की उम्मीद भी टूटी

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस के संक्रमण ने हर वर्ग के व्यापारी की कमर तोड़कर रख दी है । चमड़ा कारोबारी भी भुखमरी के कगार पर पहुंच चुका है। इस बार बकरीद पर होने वाले कारोबार की भी उम्मीद टूट चुकी है। ऐसे में कारोबारी दूसरे काम की तरफ रुख करने की जुगत लगा रहे हैं।

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आगरा में मंटोला, नाई की मंडी, शहीद नगर और वजीरपुरा के लोग ज्यादातर चमड़ा का कारोबार करते हैं।

चमड़ा व्यापार मंडल सहित आगरा में लगभग 250 से ज्यादा लोग खरीद-फरोख्त करते हैं। ये आगरा, फीरोजाबाद सहित मंडल के सभी जिलों से चमड़ा खरीदकर कानपुर, चैन्नई और कोलकाता पहुंचाते हैं, लेकिन बंदी में यह कारोबार पूरी तरह बंद रहा। अनलॉक होने पर कारोबार चला, पर कीमतों में काफी परिवर्तन हो गया। 320 रुपये तक बिकने वाली एक पशु की खाल दस से पांच रुपये में बिक रही है। अनलॉक-2 में कारोबारियों की उम्मीद बकरीद पर टिकी थीं, लेकिन हाट नहीं लगने और ईद शनिवार बंदी के दिन होने से ये उम्मीद भी टूट चुकी है। चमड़ा कारोबारी सोनू ने बताया कि उनके परिवार में 90 वर्ष से चमड़े का कारोबार होता है। उनकी तीसरी पीढ़ी यह काम कर रही है, लेकिन इस तरह कारोबार पर मार इस बार झेली है। उनके यहां पर काम करने वाले 40 मजदूरों ने दूसरे काम तलाश लिए हैंं। चमड़ा व्यापार मंडल के कोषाध्यक्ष हाजी शहंशाह के छोटे पुत्र मोहम्मद इस्तकार बताते हैं कि वर्ष 2011 में बकरे की खाल 320 रुपये की बिकती थी। अब वह पांच से दस रुपये की बिक रही है। वे बताते हैं कि आगरा में बकरीद पर लगभग दस करोड़ रुपये का चमड़े का कारोबार होता था। अब एक करोड़ रुपये की भी उम्मीद नहीं है। इससे सीधा तीन हजार लोगों को रोजगार मिलता है। इस बार 300 लोग ही काम पाएं तो बेहतर है। सामान्य दिनों में यह कारोबार दस लाख रुपये रोजाना का होता था। जो अब न के बराबर हो रहा है ।

-250 से ज्यादा आगरा में चमड़ा कारोबारी हैं।

- 300 लोगों को रोजगार मिलता है।

- बकरीद पर दस करोड़ रुपये का कारोबार होता है।

- सामान्य दिनों में 10 लाख रुपये के चमड़े की रोजाना खरीद।

कीमतों में गिरावट

- बड़े पशु की खाल की कीमत वर्ष 2011 तक 2100-2300 रुपये थी।

- अब बड़े पशु की खाल की कीमत 450-600 रुपये तक है।

-बकरे की खाल की कीमत वर्ष 2011 में 320 रुपये थी।

- अब बकरा की खाल की कीमत पांच से दस रुपये है।  


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