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पीएम के नाम पाती: मोदी जी, आप से जवां हैं हमारी उम्मीदें...आगरा और बटेश्वर

आंखों में ठिठके हैं चार दशक से विकास के सपने। पीएम के आगमन फिर सजी मेरी उम्मीदें।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 01:38 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 01:38 PM (IST)
पीएम के नाम पाती: मोदी जी, आप से जवां हैं हमारी उम्मीदें...आगरा और बटेश्वर
पीएम के नाम पाती: मोदी जी, आप से जवां हैं हमारी उम्मीदें...आगरा और बटेश्वर

आगरा, विनीत मिश्र। मैं बटेश्वर हूं। वह बटेश्वर जिसे तीर्थों का भांजा कहा जाता है। यमुना तीरे बसे मेरे आंचल में संवारे गए 101 मंदिरों में लाखों लोग दर्शन कर पुण्य के भागी बनते हैं। सिर्फ आस्था और श्रद्धा नहीं। मेरी एक पहचान और भी है। जो अटल बिहारी वाजपेयी भारत रत्न बने, मेरी ही माटी में पले और बढ़े। प्रधानमंत्री जी, आप शायद सोच रहे होंगे कि इतनी खूबियां हैं मेरे अंदर, तो मैं खूब फलफूल रहा हूंगा। हकीकत इससे इतर है। अपनी बदहाली के किस्से सुनाऊंगा, तो आपका भ्रम भी टूटेगा। लोगों ने अपने-अपने फायदे के लिए मुझे सपने दिखाए। ये मेरा सब्र ही है कि पलकों पर सपने सहेजे मैं अपना मुकद्दर बदलने का इंतजार करता रहा।

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प्रधानमंत्री जी, जब से सुना है, आप आगरा आ रहे हो, तब से फिर इन पलकों पर सपने ठिठके हैं। सपने कई बार जवां हुए और फिर टूट गए। मैं तब भी इतराया था, जब मेरे अटल विदेश मंत्री बने। मैं तब भी खुशी से फूला नहीं समाया, जब वह पीएम की कुर्सी पर बैठे। लेकिन, मेरे अटल के लिए पहले देश था। मेरे लाड़ले ने देश का नाम दुनिया में ऊंचा किया,लेकिन उनके अपनों ने मेरी सुधि नहीं ली। बीते साल 16 अगस्त को जब अटल ने दुनिया छोड़ी, तो मैं रात भर रोया। फिर नेताओं ने मुझे फिर से पहचान दिलाने का वादा किया। सोचा, अटल की यादें हमेशा अपने जेहन में सहेज कर रखूंगा। मेरे आंचल में कलरव करती यमुना में सीएम योगी आदित्यनाथ ने अटल की अस्थियों का प्रवाह किया, तो बादल भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। मेरे आंचल पर खड़े होकर ही सीएम ने मुझे संवारने को घोषणाएं कीं। पीएम साहब, 25 दिसंबर को योजनाओं को अमली जामा पहनाने का वादा हुआ था, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा, मेरी छाती पर विकास की एक ईंट भी नहीं लगी। न अटल की प्रतिमा लगी, न पार्क संवरा, यज्ञशाला बनी, न पैतृक हवेली पर स्मारक। मेरे इतने दुख हैं कि आप सुन नहीं पाओगे। मुझ तक पहुंचने के लिए बस नहीं चलती। दशकों से ऊबड़-खाबड़ सड़कें मेरी पहचान हैं। जो मंदिर मेरी पहचान थे, उनमें कुछ ही सलामत हैं। मुझे तहसील और मेरे पड़ोसी बाह को जिला बनाने का सपना चार दशक से देख रहा हूं। लेकिन पूरा न हुआ। कल आप आगरा आ रहे हैं। आप भले ही मेरे लिए कुछ न करें। लेकिन यकीन मानिए मंगलवार को पूरी रात मैं जागता रहा। आंखें फिर से सपना देखती रहीं। इस उम्मीद में शायद बुधवार को आप मेरे लिए कुछ सोचो। अब आखिरी उम्मीद आपसे ही है, मुझे विकास की संजीवनी मिलेगी, तो मेरी आंखों पर दशकों से ठिठके सपने खुशी के आंसू के साथ बह जाएंगे।

 पांच साल में तीसरी जनसभा से आगरा को फिर बंधी आस

 मैं आगरा हूं। वह आगरा, जो पूरी दुनिया में मोहब्बत के सरताज ताज के संगमरमरी हुस्न के लिए जाना जाता है। यमुना किनारे तक फैली मेरी बांहों को यूं हीं सुलहकुल की नगरी नहीं कहा जाता है। मेरे आंचल में पल रही गंगा-जमुनी तहजीब दूसरों के लिए मिसाल है। पूरी दुनिया ताज की मुरीद है। सरकारी खजाने को मैं भरता हूं, लेकिन मेरी बदहाली को दूर करने की पहल नहीं हुई, सियासी सपने ही दिखाए गए। 

प्रधानमंत्री जी, इस ताजनगरी में एक बार फिर आपका इस्तकबाल है। मैं आपका उसी शिद्दत से इंतजार कर रहा हूं, जैसा तीन साल पहले किया था। मुझे आज भी याद है जब आप देश में सियासी रैली पर निकले थे।

21 नवंबर, 2013 , स्थान था कोठी मीना बाजार।  ये वहीं दिन था जब आपका भाषण सुनने शहरवासी उमड़े थे। मैं भी आपका एक-एक शब्द संजीदगी से सुन रहा था। जब आपने कहा, आगरा के साथ छल हुआ, तो यकीन मानिए, मुझे लगा मेरी पीड़ा आपकी जुबानी शहरवासी सुन रहे हैं। मुझे खुशी हुई ये सोचकर कि मेरे भी अच्छे दिन आएंगे। मेरी धरती पर जब आपने इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की बात की, तो मैं खुशी से फूला नहीं समाया। आलू उगाने के बाद भी किसान रोता है, प्रोसेसिंग यूनिट के आपके वादे पर तो खुशी आंखों से झांकने लगी। सिसक रही यमुना को फिर से संजीवनी देने के लिए कैनाल की बात भी आपने ही कही थी। मोदी जी, मेरा कुछ उद्धार तो न हुआ, पर यमुना की सिसकन और बढ़ गई। इंटरनेशनल एयरपोर्ट के सपना भी पूरा नहीं हुआ। खानापूरी के लिए सिविल एन्क्लेव मिला, लेकिन उसकी गति भी मंद है।

पीएम साहब इंतजार करते-करते दिन-महीने और फिर साल गुजर गए। लेकिन मेरी हालत वैसी रही। एक बार फिर आप 21 नवंबर, 2016 को इसी कोठी मीना बाजार पर आए थे, तब विधानसभा चुनाव का समय था। आप बहुत कुछ नहीं बोले, हमने आपकी सियासी मजबूरी समझी और चुप रहे। जब से सुना है बुधवार को फिर आप उसी कोठी मीना बाजार में आ रहे हो तो मेरे सपने से फिर से जवां हो गए। हो सकता है, आप फिर से मेरे लिए बहुत कुछ ऐलान कर जाओ। आपको याद दिलाना चाहता हूं। ऐलान पहले भी हुए थे, लेकिन वह अब तक कागजों में हैं। हां, आपके आने से पहले गंगाजल जरूर मिलने लगा। ये आगे भी मिले, इसका वादा आपको करना पड़ेगा। मंगलवार की रात आपके इंतजार में जागते बीती। बुधवार का दिन भी बेकरारी में गुजरेगा। इस उम्मीद के साथ कि इस बार मेरे अच्छे दिन आएंगे। मोहब्बत की इस धरती पर आपका एक  बार फिर तहे दिल से इस्तकबाल है।


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