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156 साल पुरानी फोरेंसिक लैब पर मेट्रो प्रोजेक्ट का ग्रहण, भेजी गई आपत्ति Agra News

विधि विज्ञान प्रयोगशाला की अधिकांश जमीन आई मेट्रो के दायरे में। प्रयोगशाला ने दर्ज कराई आपत्ति।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 27 Jan 2020 07:46 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jan 2020 07:46 PM (IST)
156 साल पुरानी फोरेंसिक लैब पर मेट्रो प्रोजेक्ट का ग्रहण, भेजी गई आपत्ति Agra News
156 साल पुरानी फोरेंसिक लैब पर मेट्रो प्रोजेक्ट का ग्रहण, भेजी गई आपत्ति Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा की 156 साल पुरानी फोरेंसिक लैब पर मेट्रो प्रोजेक्ट अधिग्रहण का ग्रहण लग गया है। उत्तर प्रदेश की ए श्रेणी की फोरेंसिक लैब की अधिकांश जमीन इस प्रोजेक्ट में अधिग्रहण करने की तैयारी है। इसे लेकर विधि विज्ञान प्रयोगशाला की ओर से आपत्ति भेजी गई है।

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सर्किट हाउस के पास स्थित फोरेंसिक लैब की स्थापना वर्ष 1864 में हुई थी। लैब के पास 18.08 एकड़ जमीन है। इसमें एक हिस्से में बनी इमारत में विभिन्न परीक्षण से संबंधित सेक्शन हैं। मेट्रो प्रोजेक्ट में 15 बटालियन पीएसी की अधिकांश जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। इसी क्रम में फोरेंसिक लैब की भी अधिकांश जमीन के अधिग्रहण की तैयारी की जा रही है। लैब के लिए दो से तीन एकड़ जमीन छोड़ी जाएगी। लैब परिसर के जंगल में विस्फोटक पदार्थों और बैलेस्टिक परीक्षण किया जाता है। प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहण में यह हिस्सा चला जाएगा।

फोरेंसिक लैब के अधिकारियों द्वारा इस पर अपनी आपत्ति शासन को भेजी गई है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में विस्फोटक पदार्थ की परीक्षण सिर्फआगरा फोरेंसिक लैब में ही होता है। पूर्व में वाराणसी में हुआ बम विस्फोट हो या अन्य स्थानों पर सभी की जांच यहीं की गई थी। इसके अलावा बैलेस्टिक परीक्षण भी लखनऊ और आगरा दो ही लैब में होता है। इन परीक्षण के लिए विशाल परिसर और जंगल दोनों चाहिए।

आगरा लैब उत्तर प्रदेश की ए श्रेणी की लैब में शामिल है। यहां वर्तमान में विस्फोटक, बैलेस्टिक और विसरा समेत 11 विभिन्न परीक्षण किए जाते हैं। आपत्ति के चलते मामला फिलहाल शासन में चल रहा है।

फोरेंसिक विवि का प्रस्ताव

विस्फोटक पदार्थ और बैलेस्टिक परीक्षण के चलते ही यहां के लिए तैयार किया गया फोरेंसिक विश्वविद्यालय का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। चार साल पहले आगरा लैब में फोरेंसिक विवि बनाने का प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेजा गया था। उसमें लैब की अधिकांश जमीन में इमारत बनने के कारण प्रस्ताव रद्द करना पड़ा। इससे परीक्षण के लिए जगह कम पड़ जाती।

परिसर के जंगल में लगे हैं 970 पेड़

लैब परिसर के जंगल में 970 पेड़ लगे हैं। मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए यदि जमीन का अधिग्रहण होता है तो यह पेड़ भी काटने पड़ेंगे। ये सभी पेड़ विभिन्न किस्म के हैं, जो कि दशकों पुराने हैं। इसके साथ ही जंगल में सैकड़ों जीव-जंतु रहते हैं। पेड़ काटने और जंगल साफ करने की स्थिति में इन जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर भी संकट आ सकता है।

फोरेंसिक लैब में हैं ये अनुभाग

विस्फोटक, बैलेस्टिक, बॉयोलॉजी, सीरोलॉजी, टॉक्सीकोलॉजी, केमेस्ट्री, फिजिक्स, कंप्यूटर फोरेंसिक, प्रलेख अनुभाग, क्राइम सीन मैनेजमेंट और इंस्ट्रूमेंट अनुभाग। जबकि पांच अन्य विभाग खोलने की तैयारी है। इनमें डीएनए लैब, साउंड या एकॉस्टिक अनुभाग, लाई एंड डिटेक्टर अनुभाग और नारको अनुभाग।


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