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सांस लेने को स्वच्छ हवा की कमी

डीईआइ में विश्व ओजोन दिवस की पूर्व संध्या पर हुआ अंतरराष्ट्रीय वेबिनार जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण के प्रबंधन पर चर्चा

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 11:59 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 11:59 PM (IST)
सांस लेने को स्वच्छ हवा की कमी
सांस लेने को स्वच्छ हवा की कमी

आगरा, जागरण संवाददाता । दयालबाग शिक्षण संस्थान (डीईआइ) के एनएसएस व रसायन विज्ञान विभाग ने विश्व ओजोन दिवस की पूर्व संध्या पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। वेबिनार का विषय सभी के लिए स्वच्छ हवा, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण का प्रबंधन था। वक्ताओं ने कहा कि सभी के पास सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा की कमी है। स्वच्छ हवा हमारा मौलिक अधिकार होना चाहिए।

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वेबिनार का शुभारंभ प्रार्थना के साथ हुआ। रसायन विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. साहब दास ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने संस्थान द्वारा वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए उठाए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। अध्यक्षीय भाषण देते हुए संस्थान के कुलसचिव प्रो. आनंद मोहन ने कहा कि हाल के इंटरगवर्नमेंटल पैनल आन क्लाइमेट चेंज की रिपोर्ट डराने वाली है। उन्होंने कहा कि इस दुष्प्रभाव के लिए मानव जनित गतिविधियां जिम्मेदार हैं। वाशिगटन यूनिवर्सिटी के प्रो. जेआर टर्नर ने एयर क्वालिटी क्लाइमेट-चेंज नेक्सस विषय पर विचार रखे। उन्होंने दुनिया के विभिन्न देशों की वायु गुणवत्ता पर प्रकाश डाला। नार्थ ईस्टर्न यूनिवर्सिटी, अमेरिका की डाटा विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक डा. अरूप गांगुली ने क्लाइमेट रेसिलियंस, एयर पोल्यूशन तथा रिमोट सेंसिग की भूमिका विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभाव से बचने के लिए क्लाइमेट रेसिलियंस सोसाइटी की स्थापना करनी होगी। रिमोट सेंसिग के माध्यम से सही मापन तथा विभिन्न दूरगामी जगहों पर मापन भी किया जा सकता है। भारत मौसम विभाग के पर्यावरण निगरानी और अनुसंधान केंद्र के प्रमुख डा. वीके सोनी ने बताया कि वातावरण का रासायनिक अवयव वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है। एनएसएस के समन्वयक डा. सौरभ मनी, कार्यक्रम अधिकारी डा. सुषमा मिश्रा, डा. अरुण सिकरवार, डा. अशोक जांगिड़ आदि का सहयोग रहा।


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