Move to Jagran APP

Krishna Janmashtami: साल में एक बार ही होती बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती, जन्माष्टमी पर निभाइ जाती है ये परंपरा

Krishna Janmashtami नित श्रृंगार आरती के साथ ही होते हैं दर्शन। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन ठाकुरजी का रात 12 बजे पंचगव्य से महाभिषेक होता है। रात 1.55 बजे बांकेबिहारी के होते हैं मंगला दर्शन। लाखों की संख्या में श्रद्धालु मंगला आरती दर्शन के लिए वृंदावन पहुंचते हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2022 04:17 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 04:17 PM (IST)
जन्माष्टमी पर रात 1.55 बजे बांकेबिहारी के होते हैं मंगला दर्शन।

आगरा, विपिन पाराशर। मंदिर हों या फिर आश्रम हर जगह दिन में आराध्य के दर्शन की शुरुआत भोर में होने वाली मंगला आरती के साथ होती है। लेकिन, ठा. बांकेबिहारी मंदिर में मंगला आरती नहीं होती। यहां दिन में सेवापूजा और दर्शन की शुरुआत श्रृंगार आरती के साथ होती है। ठा. बांकेबिहारी मंदिर में मंगला आरती केवल श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की रात ही होती है। इसके पीछे मान्यता है ठाकुरजी नित निधिवन राज मंदिर में राधारानी और ब्रजगोपियों संग आज भी रास रचाते हैं। देर रात वे मंदिर पहुंचकर विश्राम करते हैं। ऐसे में ठाकुरजी सुबह देर से जागते हैं। उनके दर्शन श्रृंगार आरती के साथ ही शुरू होते हैं।

loksabha election banner

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन ठाकुरजी का रात 12 बजे पंचगव्य से महाभिषेक होता है, इस दिन सुबह 1.55 बजे ठा. बांकेबिहारीजी को जगमोहन में स्वर्ण-रजत सिंहासन पर विराजमान कराया जाता है और मंगला आरती होती है। इस मंगला आरती के लिए देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालु रात को ही मंदिर में डेरा जमा लेते हैं और लाखों की संख्या में श्रद्धालु मंगला आरती दर्शन के लिए वृंदावन पहुंचते हैं। ठा. बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत आचार्य गोपेश गोस्वामी बताते हैं कि ठा. बांकेबिहारीजी की सेवा परंपरा रस परंपरा के तहत होती है।

साल में एक ही दिन मंगला आरती होने के पीछे का कारण वह बताते हैं कि ठा. बांकेबिहारी रात को शयन आरती के बाद निधिवन राज मंदिर पहुंचते हैं और वहां राधारानी और ब्रजगोपियों संग रास रचाते हैं अपनी लीलाओं को संपादित करते हैं। भगवान निधिवन में रास रचाने के बाद सुबह चार बजे मंदिर पहुंचते हैं तो वे थक जाते हैं। इसलिए उन्हें जल्दी नहीं उठाया जाता। दूसरे मंदिरों में ठाकुरजी को सूर्याेदय से पहले उठाकर मंगला आरती की जाती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन चूंकि भगवान का जन्मोत्सव है, तो उस दिन रास नहीं रचाते, उनका प्राकट्य दिवस होता है और मंदिर में ही महाभिषेक होता है। इसलिए साल में एक ही दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठा. बांकेबिहारीजी की मंगला आरती की जाती है। इसके अलावा आम दिनों में ठाकुरजी की सेवा श्रृंगार आरती के साथ ही शुरू होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.