Krishna Janmashtami: भाेग से लेकर झांकी और मस्तक पर तिलक तक का होता है कृष्ण जन्म पर महत्व, पढ़ें क्या कहते हैं ज्योतिषविद्
Krishna Janmashtami जन्माष्टमी पर पंचामृत में प्रयोग में आने वाली हर सामग्री आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करती है। झांकी की सजावट में अशोक के पत्तों का प्रयोग होता है जो कि सुख शांति व समृद्धि का श्रोत होता है।
आगरा, जागरण संवाददाता। परिवार में एक बच्चे का जन्म बहुत सारी खुशियां और हर्ष लाता है। जन्म के उपरांत प्रतिवर्ष हम अपने बच्चे का जन्मदिन मनाते हैं और जब जन्मदिन हो हमारे भगवान का तो क्यों ना मनाएंं पूरे हर्ष व उल्लास के साथ। भाद्रपद की कृष्ण पक्ष अष्टमी की मध्य रात्री श्रीकृष्ण का जन्म पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। भारत ही क्यों पूरे विश्व में मनाया जाता है श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव। घर की महिलाएं पूरी लगन से जन्म की तैयारी करती हैं। बच्चे सुंदर झांकियां सजाते हैं और सब व्रत कर पूरी श्रद्धा से रात्रि पूजन की तैयारी करते हैं। पंच मेवा व पंजीरी का प्रसाद भोग के लिये बनाया जाता हैं। रात्रि में पंचामृत से लड्डू गोपाल का अभिषेक होता है। कृष्ण जन्माष्टमी पूजन के लिए उपयोग होने वाली हर वस्तु का अपना एक विशेष महत्व होता है।
आधुनिक वास्तु एस्ट्रो विशेषज्ञ दीप्ति जैन के अनुसार भारतीय संस्कृति बड़ी रहस्यमयी है। इसके हर रीति रिवाज के पीछे विज्ञान और आध्यात्मिकता छिपी है। सावन में नमी के कारण घरों व मंदिरों में बहुत से विषैले जीव व कीड़े मकौड़े जन्म लेते हैं। जन्माष्टमी की तैयारी के समय मंदिरों को पूर्ण रूप से स्वच्छ किया जाता है। पुरानी व फटी पुस्तकें व सामानों की छटाई होती है। इस तरह हम उत्सव के बहाने कबाड़ को बाहर कर, नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाते हैं।
झांकी का होता है महत्व
झांकी की सजावट में अशोक के पत्तों का प्रयोग होता है, जोकि सुख, शांति व समृद्धि का श्रोत होता है। अशोक, शोक को हरता है और व्यक्ति को खुशियां प्रदान करता है। अशोक की पत्तियां कीटाणुरोधक का काम करती हैं। यह वातावरण को शुद्ध कर संक्रमण से बचाती हैं। भगवान की झांकी में अनेक प्रकार के पुष्पों का प्रयोग होता है। जिसमें मोगरे का फूल प्रमुख रूप से प्रयोग किया जाता है। मोगरे का फूल अशांत मन को शांति प्रदान करता है। इस पुष्प की सुगंध व्यक्ति को कर्मठ बनाती है। आपसी कटुता दूर कर मैत्री भाव उत्पन्न करती है। वातावरण व व्यक्ति के पंच विकारों को संतुलित करने में यह गंध बहुत सहायक है। कन्हैया की झांकी में गुलाब के पुष्प भी प्रयोग किया जाता है। यह पुष्प व्यक्ति में हिम्मत व सामंजस्य स्थापित करता है। वातावरण में उत्साह व उमंग लाता है। गुलाब की सुगंध मन की शक्ति को बढ़ाने में सहायक होती है।
तुलसी दल का प्रयोग करने में रखें सावधानी
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में तुलसी का प्रयोग होता है। तुलसी एक चमत्कारिक औषधि है। यह आस्था का आधार होने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमताओं को बढ़ती है। अनेक वायरल व मलेरिया जैसे रोगों से बचाती है। यह प्रयास हीन लोगों को क्रियाशील बनाता है। इसकी गंध कीटाणु नाशक होती है। वातावरण को सकारात्मकता प्रदान करती है। तुलसी मंगल ग्रह की शुद्धि करती है लेकिन जन्माष्टमी के दिन तुलसी दल काे तोड़ना नहीं चाहिए। एक दिन पहले ही तोड़ लें। जन्माष्टमी पर तुलसी के पौधे की पूजा करें लेकिन पत्ती न तोड़ें।
पंचामृत होता है विशेष
पंचामृत में प्रयोग में आने वाली हर सामग्री आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करती है। घी और दही व्यक्ति के शुक्र ग्रह को शुद्ध करते हैं। दूध व गंगा जल, चंद्रमा ग्रह को शुद्ध करते हैं। शहद गुरु ग्रह को मजबूती प्रदान करते हैं। पंचामृत से स्नान कराना अपने ग्रहों को शुद्ध करने की प्रक्रिया है। साथ ही मंदिर में रखी मूर्ति का शुद्धिकरण भी होता है।
शंख की ध्वनि
जन्म के समय शंख और घंटा बजाने से वातावरण की शुद्धि होती है। नकारात्मक ऊर्जा समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। माथे में चंदन लगाने से मस्तिष्क शांत व संतुलित होता है।
आधुनिक वास्तु एवं ज्योतिष विशेषज्ञ दीप्ति जैन
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