Move to Jagran APP

Kaal Bhairav Jayanti 2020: सात को है काल भैरव जयंती, जानिए कथा और पूजन विधान

Kaal Bhairav Jayanti 2020 काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। काल भैरव की पूजा करने से मृत्यु का भय दूर होता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 05:06 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 05:06 PM (IST)
काल भैरव की पूजा से रोगों और दुखों से निजात मिल जाता है।

आगरा, जागरण संवाददाता। हर वर्ष मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। इस वर्ष यह तिथि 7 दिसंबर, सोमवार के पड़ रही है। काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार कालभैरव दो शब्दों से मिलकर बना है। काल और भैरव। काल का अर्थ मृत्यु, डर और अंत। भैरव का मतलब है भय को हरने वाला यानी जिसने भय पर जीत हासिल की हो। काल भैरव की पूजा करने से मृत्यु का भय दूर होता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है। कालभैरव भगवान शिव का रौद्र रूप हैंं। काल भैरव की पूजा से रोगों और दुखों से निजात मिल जाता है।

loksabha election banner

क्‍या है जन्‍म कथा

पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि शिव के भैरव रूप में प्रकट होने की अद्भुत घटना है कि एक बार सुमेरु पर्वत पर देवताओं ने ब्रह्मा जी से प्रश्न किया कि परमपिता इस चराचर जगत में अविनाशी तत्व कौन है जिनका आदि-अंत किसी को भी पता न हो ऐसे देव के बारे में बताने का हमें कष्ट करें। इस पर ब्रह्माजी ने कहा कि इस जगत में अविनाशी तत्व तो केवल मैं ही हूंं क्योंकि यह सृष्टि मेरे द्वारा ही सृजित हुई है। मेरे बिना संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जब देवताओं ने यही प्रश्न विष्णुजी से किया तो उन्होंने कहा कि मैं इस चराचर जगत का भरण-पोषण करता हूंं,अतः अविनाशी तत्व तो मैं ही हूंं। इसे सत्यता की कसौटी पर परखने के लिए चारों वेदों को बुलाया गया। चारों वेदों ने एक ही स्वर में कहा कि जिनके भीतर चराचर जगत, भूत, भविष्य और वर्तमान समाया हुआ है,जिनका कोई आदि- अंत नहीं है,जो अजन्मा है,जो जीवन- मरण सुख- दुःख से परे है, देवता-दानव जिनका समान रूप से पूजन करते हैं, वे अविनाशी तो भगवान रूद्र ही हैं। वेदों के द्वारा शिव के बारे में इस तरह की वाणी सुनकर ब्रह्मा जी के पांचवे मुख ने शिव के विषय में कुछ अपमानजनक शब्द कहे जिन्हें सुनकर चारों वेद अति दुखी हुए।

इसी समय एक दिव्यज्योति के रूप में भगवान रूद्र प्रकट हुए। ब्रह्मा जी ने कहा कि हे रूद्र! तुम मेरे ही शरीर से पैदा हुए हो अधिक रुदन करने के कारण मैंने ही तुम्हारा नाम 'रूद्र' रखा है अतः तुम मेरी सेवा में आ जाओ, ब्रह्मा के इस आचरण पर शिव को भयानक क्रोध आया और उन्होंने भैरव नामक पुरुष को उत्पन्न किया और कहा कि तुम ब्रह्मा पर शासन करो। उस दिव्यशक्ति संपन्न भैरव ने अपने बाएं हाथ की सबसे छोटी अंगुली के नाखून से शिव के प्रति अपमानजनक शब्द कहने वाले ब्रह्मा के पांचवे सिर को ही काट दिया जिसके परिणामस्वरूप इन्हें ब्रह्महत्या का पाप लगा। शिव के कहने पर भैरव ने काशी प्रस्थान किया जहां उन्हें ब्रह्महत्या से मुक्ति मिली। रूद्र ने इन्हें काशी का कोतवाल नियुक्त किया। आज भी ये काशी के कोतवाल के रूप में पूजे जाते हैं। इनके दर्शन किए बिना विश्वनाथ के दर्शन अधूरे रहते हैं ।

इस विधान से करें पूजन

पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि रात्रि में भगवान काल भैरव की पूजा काले कपड़े पहनकर करनी चाहिए। आसन भी काले कपड़े का होना चाहिए। पूजा में अक्षत, चंदन, काले तिल, काली उड़द, काले कपड़े, धतुरे के फूल का प्रयोग करना चाहिए। इन्हें नीले फूलों की माला भी अर्पित कर सकते हैं। माना जाता है कि इस दिन काल भैरव को शराब का भोग लगाने से वह प्रसन्न हो जाते हैं। व्रत रखने वालों को काल भैरव जयंती पर काले कुत्ते को अपने हाथों से बना हुआ भोजन कराना चाहिए। क्योंकि काला कुत्ता भैरव का वाहन माना जाता है।

कालभैरव की प्रमुख बातें

1- कालभैरव भगवान शिव के अवतार हैं और ये कुत्ते की सवारी करते है।

2- भगवान कालभैरव को रात्रि का देवता माना गया है।

3- कालभैरव काशी का कोतवाल माना जाता है।

4- काल भैरव की पूजा से लंबी उम्र की मनोकामना पूरी होती है।

5- काल भैरव की आराधना का समय मध्य रात्रि में 12 से 3 बजे का माना जाता है।

6- काल भैरव की उपासना में चमेली का फूल चढ़ाया जाता है।

7- भैरव मंत्र,चालीसा, जाप और हवन से मृत्यु का भय दूर हो जाता है।

8- शनिवार और मंगलवार के दिन भैरव पाठ करने से भूत प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिल जाती है।

9- जो लोग शनि, राहु-केतु और मंगल ग्रह से पीड़ित हैं उनको काल भैरव की उपासना जरूर करनी चाहिए।

10- भैरव जी का रंग श्याम वर्ण तथा उनकी चार भुजाएं हैं। भैरवाष्टमी के दिन कुत्ते को भोजन करना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.