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Ekadashi Vrat 2021: कल मोहिनी एकादशी में 'त्रिस्पृशा' का दुर्लभ संयोग, जरूर करें इस दिन व्रत

Ekadashi Vrat 2021 कल रविवार को है माेहिनी एकादशी का व्रत। सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक थोड़ी सी एकादशी द्वादशी एवं अन्त में किंचित् मात्र भी त्रयोदशी हो तो वह त्रिस्पृशा-एकादशी कहलाती है। एक दिन का व्रत देता है सहस्त्र व्रतों का फल।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 22 May 2021 03:33 PM (IST)Updated: Sat, 22 May 2021 03:33 PM (IST)
Ekadashi Vrat 2021: कल मोहिनी एकादशी में 'त्रिस्पृशा' का दुर्लभ संयोग, जरूर करें इस दिन व्रत
रविवार 23 मइ को है मोहिनी एकादशी का व्रत।

आगरा, जागरण संवाददाता। कल यानि 23 मइ को मोहिनी एकादशी का व्रत है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जय जोशी के अनुसार रविवार को विक्रम संवत 2078की वैशाख शुक्ल एकादशी है। इस दिन परिवार के सभी व्रत अवश्य करें। बहुत कम एेसे सुंदर याेग बनते हैं। पद्मपुराण के अनुसार यदि सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक थोड़ी सी एकादशी, द्वादशी, एवं अन्त में किंचित् मात्र भी त्रयोदशी हो, तो वह 'त्रिस्पृशा-एकादशी' कहलाती है। यदि एक 'त्रिस्पृशा-एकादशी' को उपवास कर लिया जाये तो एक सहस्त्र एकादशी व्रतों का फल (लगभग पूरी उम्रभर एकादशी करने का फल )प्राप्त होता है। 

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'त्रिस्पृशा-एकादशी' का पारण त्रयोदशी में करने पर 100 यज्ञों का फल प्राप्त होता है। प्रयाग में मृत्यु होने से तथा द्वारका में श्रीकृष्ण के निकट गोमती में स्नान करने से, जो शाश्वत मोक्ष प्राप्त होता है, वह 'त्रिस्पृशा-एकादशी' का उपवास कर घर पर ही प्राप्त किया जा सकता है, ऐसा पद्मपुराण के उत्तराखण्ड में 'त्रिस्पृशा-एकादशी' की महिमा में वर्णन है। 

मोहिनी एकादशी की महिमा

मोहिनी एकादशी के दिन भगवान‍ विष्‍णु ने समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश को बचाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। इस दिन उपवास रखने से पुण्‍य फल की प्राप्ति होती है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है। व्रती को दशमी तिथि के दिन एक बार सात्‍वि‍क भोजन करना चाहिए। मन से भोग विलास की भावना त्‍यागकर भगवान विष्‍णु का स्‍मरण करना चाहिए। एकादशी के दिन सूर्योदय काल में स्‍नान करके व्रत का संकल्‍प करना चाहिए। षोडषोपचार सहित भगवान श्री विष्‍णु की पूजा करनी चाहिए। भगवत कथा का पाठ करना चाहिए।

एकादशी का महत्व

हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल 24 एकादशियां आतीं है। इन सभी एकादशी तिथियों में मोहिनी एकादशी का विशेष महत्‍व बताया गया है। एकादशी व्रत का वर्णन महाभारत काल में भी मिलता है। भगवान श्रीकृष्‍ण के कहने पर धर्मराज युद्धिष्ठिर ने एकादशी का व्रत विधिपूर्वक पूर्ण किया था। उन्‍होंने स्‍वयं युद्धिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी के महत्‍व के बारे में बताया था। मोहिनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होतीं हैं और जीवन में आने वाली समस्‍याओं से मुक्ति मिलती है।


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