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रक्षाबंधन विशेष: मुहूर्त में दोष नहीं, राखी बांधने में रखें इन सात चीजों का ध्‍यान Agra News

भद्रा सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी। बहनें पूरे दिन अपने भाई को राखी बांध सकती हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 14 Aug 2019 05:13 PM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 10:21 PM (IST)
रक्षाबंधन विशेष: मुहूर्त में दोष नहीं, राखी बांधने में रखें इन सात चीजों का ध्‍यान Agra News
रक्षाबंधन विशेष: मुहूर्त में दोष नहीं, राखी बांधने में रखें इन सात चीजों का ध्‍यान Agra News

आगरा, तनु गुप्‍ता। तीखी मीठी नोंकझोंक, प्‍यार, दुलार और दुत्‍कार, ढेर शरारत और बहुत सारी परवाह। जी हां भाई बहन का रिश्‍ता कुछ ऐसा ही तो होता है। कहते हैं भाई बहन की तकरार के बिना बचपन अधूरा होता है और भाई के कांधे के बिना बहन की डोली की विदाई अधरी। नेह से पगे इस रिश्‍ते को रक्षा बंधन का त्‍योहार नये रंगों से सजाता है। हर बार दिन विशेष पर मुहूर्त का पहरा लगा होता था लेकिन इस बार बहनों के लिए खुशी की खबर है। इस दिन भाई की कलाई को सजाने में आड़े न भद्रा आएगी और न कही कोई अशुभ काल आएगा। ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार इस दिन भद्रा नहीं है, यह सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी, इसलिए बहनें पूरे दिन अपने भाई को राखी बांध सकती हैं। शुभ समय सुबह 5.50 बजे से शाम 5.59 तक रहेगा। पूर्णिमा तिथि 14 अगस्त को अपराह्न 3.45 बजे से शुरू होगी और 15 अगस्त की शाम 5.58 बजे तक रहेगी। इस दिन सुबह 8 बजे श्रवण नक्षत्र भी है। शुभ मुहूर्त दोपहर 1.48 बजे से शाम 4.22 बजे तक होगा।

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इस बार 19 साल बाद रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस एक साथ मनाया जाएगा। चंद्र नक्षत्र श्रवण का संयोग बहुत ख़ास रहेगा। सुबह से ही सिद्धि योग बनेगा जिसके चलते पर्व की महत्ता और अधिक बढ़ेगी। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा नहीं है, इसलिए पूरा दिन राखी बांधने के लिए शुभ रहेगा।

ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा

क्‍या है कथा की मान्‍यता

डॉ शोनू कहती हैं कि इस पर्व को मनाने के पिछे कहानियां हैं। यदि इसकी शुरुआत के बारे में देखें तो यह भाई- बहन का त्‍योहार नहीं बल्कि विजय प्राप्ति के किया गया रक्षा बंधन है। भविष्य पुराण के अनुसार बहुत समय पहले की बाद है देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ा हुआ था लगातार 12 साल तक युद्ध चलता रहा और अंतत: असुरों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर देवराज इंद्र के सिंहासन सहित तीनों लोकों को जीत लिया। इसके बाद इंद्र देवताओं के गुरु, ग्रह बृहस्पति के पास के गए और सलाह मांगी। बृहस्पति ने इन्हें मंत्रोच्चारण के साथ रक्षा विधान करने को कहा। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन गुरु बृहस्पति ने रक्षा विधान संस्कार आरंभ किया। इस रक्षा विधान के दौरान मंत्रोच्चारण से रक्षा पोटली को मजबूत किया गया। पूजा के बाद इस पोटली को देवराज इंद्र की पत्नी शचि जिन्हें इंद्राणी भी कहा जाता है ने इस रक्षा पोटली के देवराज इंद्र के दाहिने हाथ पर बांधा। इसकी ताकत से ही देवराज इंद्र असुरों को हराने और अपना खोया राज्य वापस पाने में कामयाब हुए। वर्तमान में यह त्‍योहार बहन- भाई के प्यार का पर्याय बन चुका है, कहा जा सकता है कि यह भाई- बहन के पवित्र रिश्ते को और गहरा करने वाला पर्व है। एक ओर जहां भाई-बहन के प्रति अपने दायित्व निभाने का वचन बहन को देता है, तो दूसरी ओर बहन भी भाई की लंबी उम्र के लिये उपवास रखती है। इस दिन भाई की कलाई पर जो राखी बहन बांधती है वह सिर्फ रेशम की डोर या धागा मात्र नहीं होती बल्कि वह बहन-भाई के अटूट और पवित्र प्रेम का बंधन और रक्षा पोटली जैसी शक्ति भी उस साधारण से नजर आने वाले धागे में निहित होती है।

ब्राह्मणों से भी बंधवाते हैं राखी

रक्षा बंधन के दिन पुरोहित भी अपने यजमानों को दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र बांधते हैं। मान्यता है कि श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रवण नक्षत्र हो, तो वह बहुत फलदायी होता है। पहले के समय में ऋषि-मुनि श्रावण पूर्णिमा के दिन अपने शिष्यों का उपाकर्म कराकर उन्हें शिक्षा देना प्रारंभ करते थे।

रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र

येन बद्धो बली राजा दानवेंद्रोमहाबल

तेन त्वां प्रतिबंधनामी

रक्षे मा चल मा चल

पूजा की थाली में रखें इन सात चीजों का ध्‍यान

कुमकुम

बहन भाई को कुमकुम का तिलक लगाती है, (जो सूर्य ग्रह से संबंधित है) और दुआएंं करती हैंं कि आने वाले साल में भाई को हर प्रकार का यश और ख्याति प्राप्त हो।

चावल(अक्षत)

पूजा में चावल को सबसे शुभ माना जाता है। बहन भाई को कुमकुम के तिलक के ऊपर चावल लगाती है, (जो कि शुक्र ग्रह से संबधित है) और दुआएंं करती है कि मेरे भाई के जीवन में हर तरह की शुभता आए और मेरा मेरे भाई से हमेशा प्रेम बना रहे।

नारियल

इसको पूजा में श्रीफल कहा जाता है। (यह राहु ग्रह से संबधित है) बहन जब भाई को श्रीफल देती है तो इसका अर्थ है कि आने वाले वर्ष में भाई को सभी प्रकार के सुख सुविधा मिले।

रक्षा सूत्र (राखी)

रक्षासूत्र हमेशा दाएंं हाथ की कलाई पर बांधा जाता है। (यह मंगल ग्रह से संबधित है) जो कहता है कि बहन की दुआएंं हैं कि उसके भाई सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष मुश्किलों से उसकी रक्षा करें।

मिठाई

बहन भाई को मिठाई खिलाती है, (जो कि गुरु ग्रह से संबधित है) और दुआ करती है कि उसके भाई पर लक्ष्मी की कृपा बनी रहे। भाई के संतान और वैवाहिक जीवन भी सुखद रहे। भाई के घर में सभी कार्य निर्विघ्न पूरे हों।

दीपक

बहन भाई की दीपक से आरती करती है, (जो शनि और केतु ग्रह से संबधित है) और दुआएंं करती है कि मेरे भाई के जीवन में आने वाले रोग और कष्ट सभी दूर हों।

जल से भरा कलश

फिर जल से भरे कलश से भाई की पूजा करें, (जो कि चंद्रमा से संबधित है) जिसमें बहन दुआएंं करती है कि मेरे भाई के जीवन में मानसिक शांति हमेशा बनी रहे।

इसलिए देते हैं उपहार

बुध ग्रह को ज्ञान एवं बहन का कारक ग्रह माना गया है। अब आप जो बहन को उपहार देंगे उससे आपका बुध ग्रह शुभ होकर फल देगा। (बुध ग्रह जो आपके व्यापार से संबंधित है) अगर आपकी बहन या ज्ञान(पुरोहित अर्थात् ब्राह्मण) की दुआएंं मिल जाए तो आपके व्यापार में वृद्धि कर देता है। इसलिए हमेशा अपनी बहन को गिफ्ट देकर उनकी दुआएं लेते रहें।  


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