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आस्था की दुनिया में अद्वितीय, अलौकिक और अनुपम माता कीरत का मंदिर

25 स्वर्ण शिखर से सुशोभित 12 साल में 500 मजदूरों ने नागर शैली में तैयार किया कीर्ति मंदिर। दुनियाभर में राधारानी की मां कीरत का कोई मंदिर नहीं, अमेरिका से मंगवाए एक दर्जन खंभे।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 10:56 PM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 10:56 PM (IST)
आस्था की दुनिया में अद्वितीय, अलौकिक और अनुपम माता कीरत का मंदिर
आस्था की दुनिया में अद्वितीय, अलौकिक और अनुपम माता कीरत का मंदिर

आगरा, रसिक शर्मा। अद्वितीय, अलौकिक, अद्भुत। राधारानी के गांव बरसाना में माता कीरत का मंदिर देखकर होठों से बरबस ही यही शब्द निकलते हैं। दुनियाभर में राधारानी के मंदिर तो हैं, लेकिन राधारानी की माता कीरत का ये पहला और अनूठा मंदिर है।

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कीर्ति मंदिर की आधारशिला जगदगुरु कृपालु महाराज ने आठ मई 2006 को रखी थी। उनके देहावसान के बाद उनकी तीन पुत्रियों ने इस उनकी कल्पना को साकार रूप दिया। 13,200 वर्ग फीट क्षेत्रफल की विशालता समेटे इस मंदिर की बुनियाद 25 फीट गहरी है। मंदिर के गुम्बदों पर लगे 25 स्वर्ण कलश आभा बिखेरते नजर आते हैं। 12 साल में 500 मजदूरों ने दिनरात काम करके इसे तैयार किया है। राजस्थान और ओडिशा के कलाकारों ने इसमें नक्काशी कर मंदिर को मनमोहक बनाया है। 111 फीट ऊंचे मंदिर में 11 हजार टन वंशी पहाड़पुर पत्थर का प्रयोग किया गया है। इसके द्वार को 'कल्पवृक्ष' की कल्पना से तैयार किया गया है। मंदिर की छत में इटेलियन मार्बल लगा है। एक दर्जन खंभों को अमेरिका से मंगवाकर चीन में ग्राइंड किए गए। इनकी खासियत यह है कि बिजली की रोशनी में ये खंभे हीरों सी चमक बिखेरने लगते हैं। इनले मार्बल से महाराजश्री के चरण तैयार किए गए हैं। चरणों को देखने पर पुष्प मुस्कराते नजर आते हैं। मंदिर के तीन दिशाओं में तीन दरवाजे बने हुए हैं। प्रांगण में दो बड़ी एलईडी लगी हैं। जाने-माने आर्केटेक्ट मनोज तिवारी के निर्देशन में इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाए हैं। इसकी अनुमानित राशि 100 करोड़ आंकी जा रही है।

कुछ यूं होंगे दिव्य दर्शन 

विशाल और खूबसूरत मंदिर के बीचोंबीच कीरत माता की विशाल मूर्ति अपनी गोद में राधारानी लिए दर्शन देती नजर आती हैं। उनके एक तरफ राम-जानकी का, तो दूसरी तरफ राधाकृष्ण दर्शन दे रहे हैं। गर्भगृह के दरवाजे के दोनों ओर अष्ट सखियां अपनी लाडि़ली को निहारती नजर आती हैं। मंदिर परिसर में सजी आकर्षक झांकियां भक्तों को अपलक निहारने पर मजबूर कर देती हैं। राधारानी को झूला झुलाते श्रीकृष्ण की झांकी सावन महीना की याद दिला देती है। राधारानी के चरण दबाते श्रीकृष्ण की झांकी बरबस ही पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। सखियों के मध्य रासलीला करते राधाकृष्ण की झांकी द्वापर युगीन महारास को जीवंत करती है। 11 फरवरी को कृपालु महाराज की तीन बेटियां डॉ. विशाखा त्रिपाठी, डॉ. श्यामा त्रिपाठी और डॉ. कृष्णा त्रिपाठी इसका लोकार्पण करेंगी।

प्रेम सरोवर के जल से किया कीर्ति मंदिर का अभिषेक

कृपालु परिषद के नए कीर्ति मंदिर का गुरुवार को प्रेम सरोवर के जल से अभिषेक किया गया। इससे पहले करीब पांच हजार अनुयायियों ने बैंड बाजों के साथ रंगीली महल से लेकर गाजीपुर तक कलश यात्रा निकाली। शोभायात्रा की अगुवाई कृपालु महाराज की पुत्रियों ने की। कीर्ति मंदिर का लोकार्पण 11 फरवरी को किया जाना है। इसकी रंगीली महल में तैयारियां चल रही है। कृपालु महाराज की पुत्री डॉ विशाखा त्रिपाठी, श्यामा त्रिपाठी, कृष्णा त्रिपाठी की संयुक्त अगुवाई में सुबह करीब आठ बजे हजारों अनुयायी प्रेम सरोवर पहुंचे। उनके साथ पांच हजार कलश भी थे। इनको प्रेम सरोवर से भरकर बैंडबाजों के साथ रंगीली महल लाया गया। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कीर्ति मन्दिर का जलाभिषेक किया गया। कलश शोभायात्रा को देखने के लिए आसपास के गांवों से भी बड़ी तादाद में ग्रामीण आए हुए थे।

राधारानी को दिया न्यौता  

हे बृषभान दुलारी कीरत सुता, चलो बुलावा आया, मां कीरत ने बुलाया है। इसी भाव लेकर शाम कृपालु महाराज की पुत्रियां हजारों अनुयायियों के साथ राधारानी को कार्यक्रम का न्यौता देने के लिए उनके निज महल में पहुंची। समूचा नगर राधे-राधे के जय घोष से गुंजायमान हो उठा। रंगीली महल आश्रम में कीर्ति जी का एक मात्र मंदिर है, दूसरी जगह कहीं पर भी कीर्ति जी का मंदिर नहीं है। कृपालु के भक्तों जगह-जगह करतब भी प्रस्तुत किए। रंगीली महल के सचिव नितिन गुप्ता और प्रशासनिक अधिकारी अजय त्रिपाठी मौजूद थे।

कैसे पहुंचें

मथुरा से 40 किमी दूरी पर बरसाना स्थित है। मथुरा से सरकारी बस और टैक्सी द्वारा बरसाना पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से आने वाले श्रद्धालु दिल्ली-मथुरा हाईवे पर छाता से जा सकते हैं।


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