गुरुद्वार गुरु का ताल पर सजा कीर्तन दरबार
आगरा: सिकंदरा स्थित गुरुद्वारा गुरु का ताल में आयोजित 30वें सालाना गुरमत समागम के दूसरे दिन समागम हाल में भक्ति की धारा बही।
जागरण संवाददाता, आगरा: सिकंदरा स्थित गुरुद्वारा गुरु का ताल में आयोजित 30वें सालाना गुरमत समागम के दूसरे दिन समागम हाल में भक्ति की धारा बही।
सिरसा से पधारे हीरा सिंह ने गुरुओं के इतिहास का वर्णन करते हुए बताया कि सिख जन्म गुरुओं ने इसलिए बख्शा है क्योंकि सिख बलिदान के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, जैसा बलिदान गुरु तेग बहादुर साहब ने किया। कुलदीप सिंह कोमल ने श्री गुरु ग्रन्थ साहब से गुरबानी का गायन कर संगतों का मन मोह लिया। रणजीत सिंह गोहर ए मसकीन बताया कि संसार में परमात्मा की मर्जी बिना कोई पत्ता भी नहीं हिल सकता । संसार में दो तरह के लोग होते हैं। पहले तमाशा देखते हैं और दूसरे जो तमाशा करते है। जो तमाशा देखते हैं वो आनंदित होते हैं।
गुरुद्वारा गुरु का ताल के इतिहास के बारे में उन्होंने बताया कि यह वह स्थान है, जहां भारत की गुलामी के संकट को टालने के लिए श्री गुरु तेग बहादुर साहब ने हिन्दू धर्म की रक्षा की खातिर अपनी गिरफ्तारी दी। दरबार साहिब अमृतसर से आए हुजूरी रागी राय सिंह ने बताया कि जो भगवान का स्मरण करते हैं, उनका जन्म लेना धन्य हो जाता है। सुबह से शुरू हुए कीर्तन देर रात तक चलते रहे। गुरुद्वारा प्रमुख संत बाबा प्रीतम सिंह ने समागम में पहुंचे एससी आयोग के अध्यक्ष डॉ. रामशंकर कठेरिया, मौलाना रियासत अली, अशोक जैन सीए आदि को पवित्र सरोपा देकर सम्मानित किया। मीडिया प्रभारी गुरनाम सिंह और बंटी ग्रोवर ने बताया कि तीन अक्टूबर को कीर्तन का प्रारंभ प्रात: 10 बजे और समापन शाम 3 बजे होगा। इस दौरान बाबा जंग सिंह, बाबा ईश्वर सिंह हैदराबाद, बाबा जसवंत सिंह, बाबा गुरतेज सिंह, बाबा पाल सिंह, बाबा अमरीक सिंह, जत्थेदार सतनाम सिंह आदि मौजूद रहे।