Kargil Vijay Diwas: आगरा के इस गांव के रणबांकुरों ने बदलीं युद्ध की इबारत, पढ़ें रुदमुली की शाैर्य गाथा
Kargil Vijay Diwas बाह तहसील मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर रुदमुली गांव के युवक वतन की रक्षा को हर समय तैयार रहते हैं।
आगरा, सत्येंद्र दुबे। तहसील का गांव रुदमुली। यहां राष्ट्रभक्ति की धारा बहती है। इस गांव ने भारतीय सेना को ऐसे कई जवान दिए, जिन्होंने युद्ध के दौरान अपने रणकौशल से परिणाम बदल दिए। इस गांव की मिट्टी से शहादत की खुशबू आती है। यहां हर घर में एक सैनिक है।
बाह तहसील मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर रुदमुली गांव के युवक वतन की रक्षा को हर समय तैयार रहते हैं। गांव के युवा होश संभालने के साथ ही सैनिक बनने का सपना पालने लगते हैं। इस गांव के सपूतों ने देश के लिए शहादत दी हैं। गांव के जवानों ने चीन, पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाइयां लड़ी हैं।
कश्मीर में बना है आरएस पुरा सेक्टर
रुदमुली के बिग्रेडियर रनवीर सिंह ने वर्ष 1965 में पाक सेना को खदेड़कर अपनी जमीन वापस ली थी। जीत की उस याद को संजोने के लिए कश्मीर में आरएस पुरा सेक्टर उन्हीं के नाम पर बसा है। इसी बिग्रेडियर ने वर्ष 1962 में चीन के साथ लड़ाई में दुश्मनों के दांत खट्टे किए थे। उनके साहस की गाथाएं आज भी युवाओं को प्रेरित करती हैं।
हनुमंत बने गुरु द्रोण
वर्ष 1971 के युद्ध में नागा हिल, मिजोरम, सिक्किम में अपना जौहर दिखाने वाले रुदमुली गांव निवासी पूर्व हवलदार हनुमंत सिंह अब गांव में सेना के लिए जवान तैयार कर रहे हैं। उनके निर्देशन में ऋषभ, नितिन, मुकुल, सत्यम, विजेंद्र, शिवम, सूर्यप्रताप, आकाश, ऋषि, सुजेंद्र, चंदन, पवन जैसे तीन दर्जन युवा प्रशिक्षण ले रहे हैं।
'हर युद्ध में सीमा पर सीना तान खड़े रुदमुली गांव के वीर जवानों ने दुश्मनों को परास्त किया। एक दर्जन से अधिक ने शहादत दी। सैकड़ों रिटायर हुए, लेकिन सरकार ने गांव में शहीद गेट बनवाने की पुरानी मांग आज तक पूरी नहीं की। अस्पताल, बैंक की सुविधा भी गांव से छिन चुकी है। रोडवेज बस का भी संचालन बंद है।
- मुनेंद्र सिंह भदौरिया, ग्राम प्रधान रुदमुली।
क्षेत्रफल : 509.38 हेक्टेयर
आबादी : करीब 1200
सेना में जवान : करीब 100, रिटायर 150, तैयारी 40, शहीद हुए 14