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जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी से निकाले गंभीर मरीज, एक मौत

आगरा: एसएन इमरजेंसी से शनिवार रात दो बजे के बाद जूनियर डॉक्टरों ने गंभीर मरीजों को बाहर निकाल दिया। इससे एक की मौत हो गई। जबकि तीमारदारों में अफरातफरी मची रही।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 10:00 AM (IST)
जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी से निकाले गंभीर मरीज, एक मौत

आगरा: एसएन इमरजेंसी से शनिवार रात दो बजे के बाद जूनियर डॉक्टरों ने गंभीर मरीजों को बाहर निकाल दिया। इलाज बीच में बंद होने से निमोनिया से पीड़ित मासूम की मौत हो गई। वहीं, इमरजेंसी के बाहर गेट पर तीमारदारों ने मरीजों को लिटा दिया, इलाज के लिए गिड़गिड़ाते रहे। रविवार सुबह से गंभीर मरीज लौटा दिए, इससे करीब 90 मरीजों की जान पर बन आई। शाम चार से आठ बजे तक इमरजेंसी के गेट से मेडिकल छात्र हट गए लेकिन रात आठ बजे जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी और वार्ड में दोबारा इलाज ठप कर दिया।

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रात दो बजे पुलिस द्वारा 25 जूनियर डॉक्टरों को गिरफ्तार करने के बाद साथी भड़क गए। इमरजेंसी के सर्जरी, मेडिसिन, बाल रोग विभाग, अस्थि रोग विभाग, बर्न वार्ड सहित करीब 40 गंभीर मरीजों को बाहर निकाल दिया। टेढ़ी बगिया निवासी मजदूर मनोज कुमार ने अपने 10 महीने के बेटे रुद्र को निमोनिया होने पर शनिवार शाम को भर्ती कराया था। इलाज के बाद हालत में सुधार हुआ लेकिन रात तीन बजे इमरजेंसी से बाहर निकाल दिया गया। मनोज का कहना है कि निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए पैसे नहीं थे, वे उसे अपने घर ले गए। बीच में इलाज बंद होने से रविवार दोपहर दो बजे मौत हो गई। इमरजेंसी से गंभीर मरीजों को रात में बाहर निकालने पर तीमारदार इलाज के लिए बिखलते रहे। इमरजेंसी के गेट पर ही मरीजों को लिटा दिया। इमरजेंसी के गेट पर मासूम को लिटाकर बिलखती रही मां

शिकोहाबाद निवासी मानसिंह ने 10 महीने के बेटे को पीलिया होने पर शनिवार को इमरजेंसी में भर्ती कराया था। यहां एक यूनिट ब्लड चढ़ाया गया, सुबह चार बजे इमरजेंसी से बाहर निकाल दिया। गेट पर मासूम को लिटाकर मां बेटे के इलाज के लिए गिड़गिड़ाती रही, मीडिया कर्मियों के कहने पर बाल रोग विभाग के डॉ. नीरज यादव ने बच्चे को रिक्शा से बाल रोग वार्ड में भर्ती कराया। एसएन से जिला अस्पातल के चक्कर लागते रहे गंभीर मरीज

एसएन इमरजेंसी में सुबह से गंभीर मरीज पहुंचने लगे। इन्हें जिला अस्पताल भेज दिया, जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने इलाज करने से इन्कार कर दिया। यहां से दोबारा एसएन भेज दिया। फीरोजाबाद निवासी सुरजीत को के सिर में चोट लगने पर परिजन दोपहर में इमरजेंसी लेकर पहुंचे, यहां से जिला अस्पताल भेज दिया। वहां भर्ती नहीं किया, वे दोबारा उन्हें एसएन ले आए। यहां से निजी अस्पताल ले गए। इसी तरह से एक दर्जन मरीज एसएन और जिला अस्पताल के चक्कर लगाते रहे।

घायलों को लेकर पहुंचे राहगीर को लौटाया

पथौली में बाइक सवार दो युवक और एक युवती को ट्रक ने टक्कर मार दी। उन्हें गंभीर हालत में पुलिस के साथ अपनी कार से लेकर राहगीर पहुंचा। घायलों के सिर में चोट थी, उन्हें भर्ती नहीं किया गया और लौटा दिया। मरीज की उखड़ती सांस पर बिलखते रहे परिजन

एसएन इमरजेंसी में मरीजों को लेकर पहुंचे तीमारदार बिलखने लगे। उन्हें भर्ती नहीं किया गया, तीमारदार जूनियर डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाते रहे। वार्ड में इलाज बंद, मरीज नहीं किए डिस्चार्ज

एसएन के वार्ड में भी जूनियर डॉक्टरों ने इलाज बंद कर दिया। वहीं, जिन मरीजों को डिस्चार्ज किया जाना था, उन्हें डिस्चार्ज करने से इन्कार कर दिया। इससे तीमारदार परेशान रहे। अबोध बेटियों को भगवान भरोसे घर ले गई मां

-फीरोजाबाद से 103 डिग्री बुखार से पीड़ित थी तीन माह की जुड़वा

-जेब में थे सिर्फ कुछ रुपये, चारों बच्चे किए गए थे एसएन रेफर

जागरण संवाददाता, आगरा: 'तीन महीने की जुड़वा बेटियों के इलाज को डॉक्टरों ने मना कर दिया है। उनके सामने रोई भी कि कुछ जेब में कुछ रुपये हैं। निजी अस्पताल कैसे लेकर जाउंगी, मगर डॉक्टर नही पसीजे। अब ऊपर वाले के भरोसे दोनों को ले घर ले जा रही हूं।' चांदनी समेत कई गरीब और मजबूर गंभीर रूप से बीमार लोगों को शनिवार आधी रात को इमरजेंसी से बिना इलाज कराए लौटना पड़ा।

फीरोजाबाद के कर्बला चौक निवासी चांदनी पत्नी हैदर अली के चार बेटियां हैं। चारों वायरल से पीड़ित थीं। तीन माह की बेटियों की हालत चिंताजनक देख डॉक्टरों ने इमरजेंसी रेफर किया था। दंपती उन्हें यहां लेकर आए, कुछ घंटे बाद ही डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया। दंपती आधी रात को चारों बच्चों को घर लेकर लौट गए। क्योंकि खाली जेब होने के कारण रात में उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था। यही हाल एटा एत्मादपुर निवासी रमा शर्मा, सिकंदरा के गैलाना निवासी मल्लूराम, एटा के बंटू समेत दर्जनों मरीजों का था। जूनियरों को गेट पर बिठाया, बेड पर लेट गए सीनियर

रात दो बजे से जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी पर एकत्रित हो गए। सुबह उन्होंने एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों को इमरजेंसी के गेट पर बिठा दिया, वे पुलिस मुर्दाबाद के नारे लगाते रहे। वहीं, रात में जगने के बाद सीनियर और जूनियर डॉक्टर अंदर वार्ड में मरीजों के बेड पर सो गए। पुलिस अधिकारियों से इमरजेंसी में नोंकझोक

इमरजेंसी में रात से ही पुलिस फोर्स तैनात कर दिया गया, दोपहर में सीओ कोतवाली अब्दुल हमीद पहुंचे। इमरजेंसी के गेट पर वार्ता के दौरान जूनियर डॉक्टरों ने नोंकझोक हुई। इसके बाद एसपी सिटी प्रशांत वर्मा पहुंच गए, उनसे भी नोंकझोक हुई। उन्होंने इमरजेंसी में प्राचार्य से वार्ता की। एसएसपी से मिलने की कहकर चले गए। प्राचार्य और वरिष्ठ डॉक्टर हुए शर्मसार

रात में कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. राजेश्वर दयाल सहित वरिष्ठ डॉक्टर इमरजेंसी पहुंच गए। यहां पुलिस ने जूनियर डॉक्टरों पर अंकुश न लगा पाने पर खरी खोटी सुनाई। वहीं, सुबह प्राचार्य डॉ. जीके अनेजा सहित वरिष्ठ डॉक्टर डीएम एनजी रवि कुमार के पास पहुंचे। उन्होंने जूनियर डॉक्टरों द्वारा शराब के लिए मचाए गए बवाल और इमरजेंसी में इलाज ठप करने पर सख्त लहजे में बात की, यहां उन्हें शर्मसार होना पड़ा। दोपहर में प्राचार्य अपने साथ अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों को लेकर एसएसपी अमित पाठक के पास पहुंचे। उन्होंने जूनियर डॉक्टरों पर इमरजेंसी परिसर में पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने पर आपत्ति की, इस पर वे भड़क गए। प्राचार्य से जूनियर डॉक्टरों पर नियंत्रण में रहने के लिए कहा, तर्क दिया जूनियर डॉक्टरों ने बवाल किया था। इसलिए मजबूरी में पुलिस को लाठी उठानी पड़ी। चार घंटे के लिए खुला इमरजेंसी का गेट

शाम चार बजे जूनियर डॉक्टरों ने साथियों को थाने से छोड़ने के आश्वासन पर इमरजेंसी के गेट खोल दिए। बाहर बैठे मेडिकल छात्रों को हटा दिया। वहीं शाम सात बजे 15 जूनियर डॉक्टरों को जेल भेजने की सूचना मिलने पर जूनियर डॉक्टर भड़क गए। रात आठ बजे दोबारा इमरजेंसी में इलाज ठप कर दिया। रात में पार्टी मनाने निकलते हैं जूनियर डॉक्टर

जूनियर डॉक्टर रात में पार्टी के लिए निकलते हैं, इस दौरान कई बार विवाद हो चुके हैं। आज से बिगड़ जाएंगे हालात

एसएन में रविवार के चलते गंभीर मरीज ही पहुंचे थे, ओपीडी बंद रहती है। मगर, सोमवार को ओपीडी में भी मरीज आएंगे, इससे हालत बिगड़ सकते हैं।

ये है हाल

एसएन इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मरीज - 70 से 80 हर रोज

वार्ड में भर्ती मरीज - 650 से 700

- ओपीडी में आने वाले मरीज - 2500 से 3000 जिला अस्पताल और लेडी लॉयल में मरीजों के इलाज की व्यवस्था की गई है, किसी भी मरीज को वापस नहीं किया जाएगा।

डॉ. मुकेश वत्स, सीएमओ


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